Friday, December 6, 2024
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31 अक्टूबर, 1920 को ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)

 

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस का इसलिये गठन किया गया था क्योंकि हमारे देश में मजदूरों ने भी आंदोलन संचालित  किया था जिसमे मजदूरों द्वारा पहला आंदोलन अहमदाबाद मजदुर मिल का आंदोलन था। जिसमें इनकी सहायता महात्मा गाँधी जी ने किया था और इससे मजदूरों के भुकतान राशि की बड़ा दी गई थी। मजदूरों की आंदोलन में बढ़ती भागीदारी को देखकर इनको भी राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा बनाने के उदेश्य से ऐसा विचार इनके दिमाग में आया,  मजदूरों को  संगठित  कर उन्हें भी राष्ट्रिय आंदोलन में सम्मलित करना इस संगठन का उदेश्य था।  इसे देश के वरिष्ठ नेता चितरंजन दास के सलाह पर 31 अक्टूबर, 1920  को ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना की गयी थी।   उस वर्ष (1920 ) के भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष, लाला  लाजपत राय को  एटक का  प्रथम अध्यक्ष तथा दीवान चमलाल जो इसके प्रथम नेता थे , जिन्होंने पूंजीवादी को साम्राज्य से जोड़ने का प्रयास किया।  उनके अनुसार ” साम्राज्यवाद एवं सैन्यवाद, पूंजीवाद की जुड़वा संताने होती है। 

 

 

AITUC के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. श्रमिकों के वेतन, काम के घंटे, और काम की स्थिति में सुधार करना।
  2. श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा और लाभ प्रदान करना।
  3. श्रमिक वर्ग की एकता और सशक्तिकरण के लिए काम करना।
  4. श्रमिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना और उन्हें न्याय दिलाना।
  5. औद्योगिक विवादों को सुलझाने और श्रमिकों को कानूनी सहायता प्रदान करना।

AITUC का नेतृत्व अक्सर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन यह एक स्वतंत्र संगठन है और विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के साथ काम करता है। AITUC ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आज भी यह संगठन श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय है।

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) का इतिहास और विस्तार:

 

 

स्थापना और प्रारंभिक दौर

AITUC की स्थापना 31 अक्टूबर 1920 को मुंबई में हुई थी। इसके संस्थापकों में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता शामिल थे, जैसे लाला लाजपत राय, जो इसके पहले अध्यक्ष बने। संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था कि भारतीय श्रमिकों को संगठित किया जाए और उनके अधिकारों और हितों की रक्षा की जाए।

 

 

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

AITUC ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ मजदूरों की आवाज को बुलंद किया और विभिन्न हड़तालों और आंदोलनों का नेतृत्व किया। इस संगठन ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान श्रमिकों की एकता और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष को प्राथमिकता दी।

 

 

विभाजन और अन्य संगठनों का गठन

1947 में भारत की आजादी के बाद, AITUC में वैचारिक मतभेद उभरने लगे। इन मतभेदों के परिणामस्वरूप, 1947 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े नेताओं ने AITUC से अलग होकर इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC) की स्थापना की। इसके बाद भी, 1970 और 1980 के दशक में विभिन्न अन्य ट्रेड यूनियन संगठनों का गठन हुआ, जो अलग-अलग राजनीतिक दलों के साथ जुड़े हुए थे।

 

 

प्रमुख गतिविधियाँ और उपलब्धियाँ

AITUC ने मजदूरों के हक के लिए कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया है, जिनमें:

  1. हड़तालें और विरोध प्रदर्शन: AITUC ने विभिन्न उद्योगों में श्रमिकों की हड़तालों का नेतृत्व किया है, जैसे कपड़ा उद्योग, रेलवे, और कोयला खदानें। इन हड़तालों के माध्यम से इसने श्रमिकों के वेतन, काम के घंटे और काम की स्थिति में सुधार के लिए संघर्ष किया।
  2. कानूनी अधिकार और सामाजिक सुरक्षा: AITUC ने श्रमिकों के कानूनी अधिकारों की रक्षा और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसने मजदूर कानूनों में सुधार के लिए सरकार पर दबाव डाला है और श्रमिकों के लिए पेंशन, बीमा और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग की है।
  3. श्रमिक एकता और शिक्षा: AITUC ने श्रमिक एकता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इसने श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उन्हें संगठित करने के लिए अभियान चलाए हैं।

An image representing the All India Trade Union Congress (AITUC), a major trade union organization in India. Depict a group of diverse workers including men and women, holding flags with the AITUC emblem. The setting can be a rally with a large banner displaying 'AITUC' in both English and Hindi (ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस). The workers should be shown in vibrant, traditional and modern Indian attire, symbolizing unity and strength. The background should include elements like factories and construction sites to represent various industries.

वर्तमान स्थिति

आज, AITUC भारतीय मजदूर आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह संगठन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम कर रहा है और विभिन्न ट्रेड यूनियन संघों और संगठनों के साथ मिलकर श्रमिकों की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रयासरत है। AITUC का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और इसके अध्यक्ष का पद वर्तमान में डॉक्टर एन. राजन है।

AITUC की कार्यशैली और उसके उद्देश्यों का मुख्य आधार है श्रमिकों के हितों की रक्षा और उनके अधिकारों की सुरक्षा। यह संगठन मजदूर वर्ग की आवाज को बुलंद करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए समर्पित है।

मुख्य उदेश्य :- भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के गया अधिवेशन (1922) में सारसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर  एटक की स्थापन का स्वागत किया गया था तथा साथ ही साथ इसकी सहायता के लिये एक समिति का गठन भी  किया गया।  सी. आर. दास ने सुझाव भी दिया की कांग्रेस द्वारा श्रमिको एवं किसानों   को राष्ट्रिय आंदोलन की प्रक्रिय में भागिदार बनाया जाना चाहिए और उनको  (श्रमिकों एवं किसानों ) समर्थन करना चाहिए। अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती है तो ये दोनों ही वर्ग राष्ट्रीय आंदोलन की मुख्य धारा से पृथक हो जायेंगे।  इन बातो को सभी  राष्ट्रवादी  विचारधारा के  प्रमुख नेताओं जैसे :- जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, सी. एफ एंड्रूज, सत्यमूर्ति, जे. एम. सेनगुप्ता, सरोजिनी नायडू, वी. वी. गिरी, इत्यादि नेताओं ने भी ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांगेस से निकट सबंध स्थापित करने का प्रयास किया।  अपनी स्थापन की प्रारंभिक वर्षो में ‘एटक’ ब्रिटेन  श्रमिक दल के सामाजिक एवं लोकतांत्रिक विचारो से काफी प्रभवित था। क्योंकि इस संस्था पर अहिंसा एवं वर्ग सहयोग जैसे गांधीवादी दर्शन के सिद्धांतो का भी गहरा प्रभाव था।  

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के बारे में और विस्तार से जानकारी:

 

 

संगठन संरचना और कार्यप्रणाली

AITUC का संगठनात्मक ढांचा श्रमिकों की अधिकतम भागीदारी और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। इसमें निम्नलिखित प्रमुख इकाइयाँ शामिल हैं:

  1. राष्ट्रीय परिषद: यह AITUC की सर्वोच्च नीति-निर्धारण इकाई है, जो सभी प्रमुख नीतिगत निर्णय लेती है। इसमें विभिन्न राज्य इकाइयों और संघों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
  2. कार्यकारी समिति: यह संगठन के दैनिक कार्यों का संचालन करती है और राष्ट्रीय परिषद द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करती है। इसमें अध्यक्ष, महासचिव, और अन्य प्रमुख पदाधिकारी शामिल होते हैं।
  3. राज्य इकाइयाँ: प्रत्येक राज्य में AITUC की इकाइयाँ हैं, जो राज्य स्तर पर श्रमिकों के मुद्दों को संबोधित करती हैं और उन्हें राष्ट्रीय इकाई के साथ समन्वित करती हैं।
  4. जिला और स्थानीय इकाइयाँ: जिला और स्थानीय स्तर पर भी AITUC की इकाइयाँ होती हैं, जो जमीनी स्तर पर श्रमिकों के साथ सीधे संपर्क में रहती हैं और उनके मुद्दों को उठाती हैं।

प्रमुख घटनाएँ और आंदोलन

AITUC ने अपने इतिहास में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया है:

  1. 1928 की बॉम्बे टेक्सटाइल स्ट्राइक: यह हड़ताल बॉम्बे (अब मुंबई) के कपड़ा मिल मजदूरों द्वारा की गई थी, जिसमें AITUC ने प्रमुख भूमिका निभाई। इस हड़ताल ने मजदूरों के वेतन और काम की स्थितियों में सुधार के लिए दबाव बनाया।
  2. 1946 का नेवल अप्रेसिंग: भारतीय नौसेना के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगावत की, जिसमें AITUC ने समर्थन दिया। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  3. 1974 की रेलवे हड़ताल: यह भारत में सबसे बड़ी और सबसे लंबी रेलवे हड़ताल थी, जिसमें AITUC ने प्रमुख भूमिका निभाई। इस हड़ताल ने रेलवे कर्मचारियों के वेतन और काम की स्थितियों में सुधार के लिए सरकार पर दबाव बनाया।

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

AITUC अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय है और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों के साथ जुड़ा हुआ है। यह संगठन निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता है:

  1. वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (WFTU): AITUC WFTU का सदस्य है और इसके माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक आंदोलन में योगदान देता है।
  2. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO): AITUC ने ILO के साथ मिलकर श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और सुधार के लिए काम किया है।

 

चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

वर्तमान में, AITUC को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें श्रम कानूनों में बदलाव, औद्योगिक स्वचालन, और आर्थिक वैश्वीकरण प्रमुख हैं। इसके बावजूद, AITUC अपने उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध है और निम्नलिखित प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है:

  1. श्रमिक अधिकारों की रक्षा: बदलते श्रम कानूनों और नीतियों के बीच श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना।
  2. श्रमिकों की एकता: श्रमिकों की एकता को बनाए रखना और उन्हें संगठित करना, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए मजबूती से आवाज उठा सकें।
  3. शिक्षा और प्रशिक्षण: श्रमिकों को नई तकनीकों और कौशलों के लिए तैयार करना, ताकि वे बदलते औद्योगिक परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बने रह सकें।
  4. सामाजिक सुरक्षा: श्रमिकों के लिए पेंशन, बीमा, और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) भारतीय मजदूर आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह संगठन श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उनके हितों के लिए संघर्ष करता है। अपने लंबे और संघर्षमय इतिहास के माध्यम से, AITUC ने भारतीय श्रमिक वर्ग के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं और भविष्य में भी इसी दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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