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चीन द्वारा बनाया गया कृत्रिम सूरज।

चीन द्वारा बनाया गया कृत्रिम सूरज हिंदी में जानकारी।
चीन द्वारा बनाया गया कृत्रिम सूरज हिंदी में जानकारी।

 

चीन द्वारा कृत्रिम सूरज बनाया गया है। 

 

यह सुरज 10 गुणा ज्यादा शक्तिशाली है , यह असली सुरज से 3 गुणा रोशनी वह गर्मी देगा।  परन्तु यह असली सूरज के तरह आसमान में नहीं चमकेगा वह नहीं उगेगा इसके साथ – साथ इसकी ऊर्जा ना तो दिन में घटेगी और ना रात में यह समान्य रहेगी।  असली सुरज के तुलना में यह हमेसा ज्यादा शक्तिशालीहोगी।  यह चीन का सबसे बड़ा और आधुनिक न्यूक्लियर फ्यूजन एक्सपेरिमेंटल रिसर्च डिवाइस है। इस रिएक्टर का नाम  HL – 2M तथा ऊँचे तापमान की क्षमता के चलते इसे आर्टिफिशियल सन  यानी कृत्रिम सुरज कहते है। 

 

 

कृत्रिम सूर्य EAST ने नया रिकॉर्ड स्थापित किया है।

·      चीन के कृत्रिम सूर्य EAST ने 101 सेकड़ में 216 मिलियन डिग्री फारेनहाइट( 120 मिलियन डिग्री सेल्सियस ) तापमान
हासिल करने का नया रिकॉर्ड बनाया है।

 

·      अगले 20  सेंकड में “कृत्रिम सूर्य ” ने 288  मिलियन डिग्री फारेनहाइट(160 मिलियन डिग्री सेल्सियस ) का चरम तापमान भी हासिल कर
लिया
, जो सूर्य के तापमान से 10 गुणा अधिक
है।

 

 

 

 

इसकी जानकारी :- 

 चीन के पीपुल्स डेलि ने दी है।  ये डिवाइस गर्म प्लाज्मा को मिलाने के लिए ताकतवर
मेग्नेटिक फिल्ड का इस्तेमाल करती है
, इसका तापमान 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस पर पहुँच  सकता है जबकि सूर्य  के  कोर का तापमान लगभग 15 मिलियन डिग्री सेलसियल तक ही पहुंच पाता है।   जो की सुर्य की कोर से औसतन 10 गुना ज्यादा  गर्म है और चीन के पीपुल्स डेलि के अनुसार यह चीनी अर्थव्यवस्था वह विकाश के लिए भी महत्वपूर्ण है। 

 

कृत्रिम सूर्य EAST यानी  Experimental Advanced Superconducting Tokamak में बारे में :-

·      यह एक नाभिकीय रिएक्टर है। 

·      यह रिएक्टर उन्नत नाभिकीय संलयन(Nuclear Fusion) की प्रक्रिया पर आधारित
प्रयोगात्मक अनुसंधान उपकरण है।
 

नाभिकीय संलयन के बारे में

·
नाभिकीय संलयन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बड़ी मात्रा में अपशिष्ट उत्पन्न किए  बिना उच्च स्तर  की ऊर्जा का उप्तादन किया जाता है। 

·      नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया में दो हल्के  परमाणु नाभिक मिलकर एक भारीपरमाणु नाभिक का निर्माण करते है।

·
इस प्रक्रिया में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्नहोती है।

 

 

·      इसीलिए इसे कृत्रिम सूर्य कहा जाता है। 

·      इस रिएक्टर की ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया सूर्य की ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया यानि नाभिकीय पर आधारित है। 

·      यह रिएक्टर चीन के हेफेई ( Hefai ) में विज्ञानं अकादमी के प्लाजमा भौतिकी सस्थान में स्थित है। 

 

 

Control :  इसका निर्माण परमाणु फ्यूजन से किया गया है और
कंट्रोल भी इसी से किया जायेगा।
 

 

 

 

इसका इस्तेमाल :-  कृत्रिम सूरज के बारे में कहा जा रहा है  की सूर्य में पैदा नाभिकिय ऊर्जा को विशेष तकनीकी से, पर्यावरण के लिए सुरक्षित ऊर्जा में बदला जा सकेगा।  जिससे धरती पर ऊर्जा का बढ़ाता संकट दूर किया जा सकेगा।  हालाँकि इसकी वजह से पैदा होने वाली जहरीला न्यूक्लियर कचरा, इंसानो के लिए काफी खरतरनाक हो सकता  है। 

 

 

 

यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है? :-

वैज्ञानिकों द्वारा कहा जा रहा है की दिनप्रति दिन सूर्य की रौशनी कमजोर होती जा रही है, जिसके कारण पृथ्वी पर हिम का खतरा बढ़ने के आशंका होती जा रही है  और इसी बिच कृत्रिम सूरज की खोज बहोत महत्वपूर्ण हो जाती है। कई देशो में वैज्ञानिकों  द्वारा इस दिशा में कार्य हो रहे थे, लेकिन इसमें सबसे पहले चीन को सफलता प्राप्त हुई। 

 

 

 

इसे  बनाने का प्रयोग कब से हो रहा था? :-

कहा जा रहा है की इसको बनाने की कोशिश 2006 से ही किया जा रहा था,  चीन के वैज्ञानिको द्वारा छोटे न्यूक्लियर फयूजन केविकास पर काम कर रहे थे।  लेकिन अब जाके कामयाबी मिली है।