Wednesday, January 15, 2025
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राधाकृष्णन आयोग (1948-49)

राधाकृष्णन आयोग (1948-49), जिसे आधिकारिक रूप से विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग (University Education Commission) कहा जाता है, भारत में विश्वविद्यालय शिक्षा प्रणाली में सुधार के उद्देश्य से स्थापित एक आयोग था। यह आयोग भारत सरकार द्वारा 1948 में बनाया गया था, और इसके अध्यक्ष प्रसिद्ध दार्शनिक और शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने।

आयोग का उद्देश्य:

आयोग का मुख्य उद्देश्य भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली का मूल्यांकन करना और इसमें सुधार के लिए सिफारिशें देना था। इसका गठन स्वतंत्रता के तुरंत बाद किया गया, जब शिक्षा को एक आधुनिक और प्रगतिशील दृष्टिकोण से पुनर्गठित करने की आवश्यकता महसूस हुई।

 

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मुख्य सिफारिशें:

  1. शिक्षा का उद्देश्य: शिक्षा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय चरित्र निर्माण, सामाजिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों को विकसित करना होना चाहिए।
  2. विश्वविद्यालयों का सुधार:
    • विश्वविद्यालयों में स्वायत्तता (Autonomy) दी जानी चाहिए।
    • शिक्षकों और छात्रों के बीच बेहतर संबंध बनाए जाने चाहिए।
    • पाठ्यक्रम को आधुनिक और रोजगारपरक बनाया जाना चाहिए।
  3. धार्मिक और नैतिक शिक्षा: शिक्षा में नैतिक और धार्मिक मूल्यों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  4. शोध और अनुसंधान को प्रोत्साहन: उच्च शिक्षा संस्थानों में शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई।
  5. अध्ययन का माध्यम: मातृभाषा और अंग्रेजी, दोनों को शिक्षा के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करने की सलाह दी गई।
  6. शिक्षा में समानता: महिलाओं और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा में अधिक अवसर प्रदान करने पर जोर दिया गया।
  7. विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता: विश्वविद्यालयों में गुणवत्ता और मानकों को बढ़ाने के लिए अनुशासन और जिम्मेदारी लागू करने की बात कही गई।


राधाकृष्णन आयोग का प्रभाव:

राधाकृष्णन आयोग की सिफारिशों ने भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा दी। इसने विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम, प्रशासन और शोध के क्षेत्र में कई सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया। आयोग ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को पश्चिमी मॉडल के साथ संतुलित करते हुए भारतीय मूल्यों और आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह आयोग भारतीय उच्च शिक्षा के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।

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