राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) भारत में दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति थी, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान लागू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना, आधुनिक बनाना और इसे समावेशी एवं समान बनाना था। यह नीति देश की बदलती सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार की गई थी।
नीति के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. सर्व शिक्षा अभियान
- सभी बच्चों को 14 वर्ष की आयु तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना।
- प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण पर विशेष जोर।
2. शिक्षा में समानता
- महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा के समान अवसर सुनिश्चित करना।
- शिक्षा प्रणाली में लैंगिक असमानता को दूर करने के प्रयास।
3. माध्यमिक और उच्च शिक्षा में सुधार
- विज्ञान, तकनीकी, और व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन।
- उत्कृष्टता के केंद्रों की स्थापना, जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), आदि।
- उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा।
4. व्यावसायिक शिक्षा
- छात्रों को रोजगारपरक कौशल प्रदान करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा की शुरुआत।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कौशल आधारित कार्यक्रम।
5. शिक्षकों का प्रशिक्षण और स्थिति में सुधार
- शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए विशेष योजनाएं।
- शिक्षकों के लिए बेहतर कार्य की स्थिति और सम्मान सुनिश्चित करना।
6. भाषा नीति
- त्रिभाषा सूत्र को लागू करना:
- मातृभाषा या स्थानीय भाषा,
- हिंदी,
- अंग्रेजी या कोई अन्य भारतीय भाषा।
- संस्कृत को एक वैकल्पिक भाषा के रूप में प्रोत्साहित करना।
7. मीडिया और शिक्षा
- दूरदर्शन और रेडियो जैसे माध्यमों का उपयोग करके शिक्षा के प्रसार को बढ़ावा।
- दूरस्थ शिक्षा (Distance Education) को लोकप्रिय बनाना।
8. शिक्षा पर व्यय में वृद्धि
- शिक्षा पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) का 6% खर्च करने का लक्ष्य।
9. नवाचार और प्रौद्योगिकी का समावेश
- कंप्यूटर और आधुनिक तकनीक को शिक्षा प्रणाली में शामिल करना।
- तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष संस्थानों की स्थापना।
प्रभाव
1986 की शिक्षा नीति ने शिक्षा में व्याप्त असमानताओं को कम करने, आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाने, और महिलाओं व कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा के अवसरों को व्यापक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस नीति के आधार पर 1992 में एक संशोधित नीति लागू की गई, जिसे शिक्षा के क्षेत्र में और सुधार के लिए उपयोग किया गया।
यदि आप इस नीति के किसी विशेष पहलू पर अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया बताएं।