राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) भारत की तीसरी और सबसे आधुनिक शिक्षा नीति है, जिसे 29 जुलाई 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। यह नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) की जगह लेकर भारत की शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव लाने के उद्देश्य से तैयार की गई। इसका मुख्य उद्देश्य 21वीं सदी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक समग्र, लचीली और समावेशी शिक्षा प्रणाली विकसित करना है।
नीति के मुख्य बिंदु:
1. स्कूली शिक्षा में सुधार
- नई संरचना: 10+2 प्रणाली को हटाकर 5+3+3+4 की नई प्रणाली लागू की गई:
- 5 वर्ष: फाउंडेशनल स्टेज (प्राथमिक शिक्षा)।
- 3 वर्ष: प्रिपरेटरी स्टेज।
- 3 वर्ष: मिडिल स्टेज।
- 4 वर्ष: सेकेंडरी स्टेज।
- आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (Foundational Literacy & Numeracy): 2025 तक सभी बच्चों को पढ़ने, लिखने और गणना करने में सक्षम बनाना।
- भाषा नीति:
- त्रिभाषा सूत्र लागू रहेगा।
- शिक्षा का माध्यम कक्षा 5 तक (और कक्षा 8 तक संभव) मातृभाषा/स्थानीय भाषा में होगा।
- कोडिंग और डिजिटल शिक्षा: कक्षा 6 से छात्रों को कोडिंग सिखाई जाएगी।
2. उच्च शिक्षा में बदलाव
- चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम:
- मल्टीपल एंट्री और एग्जिट विकल्प।
- सर्टिफिकेट: 1 वर्ष,
डिप्लोमा: 2 वर्ष,
डिग्री: 3 या 4 वर्ष।
- सिंगल रेगुलेटरी बॉडी:
- उच्च शिक्षा के लिए “हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया (HECI)” का गठन।
- चिकित्सा और विधि शिक्षा को छोड़कर अन्य सभी पाठ्यक्रम इसके दायरे में।
- अनुसंधान को बढ़ावा:
- “नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF)” की स्थापना।
3. व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास
- कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा शुरू की जाएगी।
- छात्रों को इंटर्नशिप का अवसर मिलेगा।
- कौशल विकास और आजीविका के अवसरों पर जोर।
4. शिक्षा का सार्वभौमिकरण
- 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के सभी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य।
- ग्रोस एनरोलमेंट रेशियो (GER): उच्च शिक्षा में 2035 तक 50% GER प्राप्त करने का लक्ष्य।
5. शिक्षकों का प्रशिक्षण और भूमिका
- शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता: 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बी.एड।
- शिक्षकों के पेशेवर विकास के लिए प्रशिक्षण और मूल्यांकन।
- शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर वेतन और कार्य की स्थिति।
6. तकनीकी शिक्षा और डिजिटल इंडिया
- ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे DIKSHA और SWAYAM को बढ़ावा।
- डिजिटल उपकरणों का अधिकतम उपयोग।
- ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता।
7. समावेशी और समग्र शिक्षा
- वंचित वर्गों के बच्चों को समान अवसर प्रदान करना।
- महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांगजनों के लिए विशेष योजनाएं।
8. शिक्षा में वित्तीय निवेश
- शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6% खर्च करने का लक्ष्य।
नीति के विशेष पहलू
- भारत को वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनाने का प्रयास।
- शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला और रोजगारोन्मुखी बनाना।
- राष्ट्रीय मूल्य, संस्कृति और भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देना।
महत्व और प्रभाव
- यह नीति भारत की शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने में सहायक है।
- छात्रों को उनके कौशल और रुचि के आधार पर सीखने के अधिक अवसर प्रदान करेगी।
- शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को कम करने में मदद करेगी।
यदि आप इस नीति के किसी विशेष बिंदु पर अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया बताएं!