Wednesday, December 25, 2024
HomeHomeभु - राजस्व व्यवस्था भारत में ( Land Revenue System) in...

भु – राजस्व व्यवस्था भारत में ( Land Revenue System) in India.

 

भुराजस्व व्यवस्था बंदोबस्त ,या जमींदारी प्रथा यह तीन एक ही है। जो लार्ड कार्नवालिस द्वारा 1793  में लागु किया वह बनाया गया था जो उस समय गवर्नर के पद पर स्थापित थे स्थाई बदोबस्ती , जमींदारी प्रथा एक ऐसे प्रथा थी जिसमे भूमि का मिलिक अंग्रेजी शासकों ने जमींदारों को बना दिया था। जसमे भूमि का पूर्णता अधिकृति जमीदारों का हुआ करता था  एवं जमीदारों  द्वारा अंग्रेजो शासको को लगान वसुल कर देते थे। लार्ड कार्नवालिस ने वयवस्था को बंगाल , बिहार , उड़ीसा , उत्तर प्रदेश , बनारस , उत्तरी कर्नाटक पर लागु  किया गया था।  इस वयवस्था में जो % भुमि  अंग्रेजी शासकों  के अधीन गया था वह थी 19% जिसमे यह कहा  जा  सकता है कि  19 % के भूमि पे स्थाई बंदोबस्ती लागु  कि गयी थी।  यह भूमि जो जमींदारों द्वारा अधिकृत कर  ली जाती थी जिसमे अँग्रेजी  शासको की स्वीकृती  होती थी।  

 

गवर्नर जनरल वॉरन हेस्टिन 

 जमींदारी  व्यवस्था  क्यों आई ?

 भारतीय अर्थव्यवस्था  पर ब्रिटिश प्रभाव ब्रिटिश के आए से पूर्व  भारत कृषि प्रधान        देश आत्मनिर्भर देश  थी। 


*
भु
राजस्व कंपनी
की
आय
सबसे
बड़ा
स्रोत
है
या।  


* 1772 
में
गवर्नर जनरल
वॉरन
हेस्टिन के
द्वारा द्विवेध  शासन
को
समाप्त किया। 
 

इजारेदारी प्रथा :- 


कंपनी
किसी
क्षेत्र या
जिले
के
भु 
क्षेत्र से
राजस्व वसूली
को
जिम्मेदारी उसे
सोपती
थी।जिसके
प्रक्रिया इस
प्रकार थी
की
अगर
कोई
भुमि 
को
जमींदारों को
सौपना 
चाहते
थे  इस
भूमि
के
बोली
सबसे
है। 
उसे
जमींदार बनाया
जाता
था। 
कंपनी
राजस्व का
एक
भाग
इंग्लैण्ड  जति
थी। 
परन्तु नीलामी की
व्यवस्था  से
कंपनी
आय
में
सुस्थित  नहीं
आया।
इसलिये  कंपनी
ने
बंगाल
और
बिहार
में
भु
राजस्व स्थायी रूप
से
निश्चित करने
का
निर्णय किया। 
 
 

                                                                   लार्ड कार्नवालिस

स्थायी बंदोबस्ती –

 

1793  ईस्वी में कार्नवालिस ने  नई व्यवस्था  लागु  क्र डी जिसे स्थायी बंदोबस्ती का नाम।   वयवस्था के अंतर्गत जमींदार जागीर मालिक भी बन गया।  उसे प्रत्येक वर्ष निश्चित कालवधि में राजस्व काएक निश्चित राशि सरकर  को देने पड़ती थी। 
यह ब्रिटेन भारत के 19% क्षेत्र पर लागू थी जिसमे में बंगाल के जमींदारों के साथ दस वर्षीय अनुबंध के आड़ 1793  ईस्वी में बंगाल और बिहार  व्यवस्था की (स्थायीव्यवस्था)  का स्वरूप प्रदान किया।  इस  नई व्यवस्था ने जमींदारों को भूमि का मालिक बना दिया गया था।  



*
भुमि 
पर
उनका
स्वामित्व पैतृक
हो
गया। 
अब
किसान
मात्र
रैयत 
के
रूप
में
जमींदारों पर
आश्रित हो
गए।  



*
जा,जमींदारों के लिए यह आवश्यक बना दिया कि  वे निश्चित अवधि के लिए निर्धारित किये लगान  का 10/11  हिस्सा कंपनी के कोष में जमा करवा दे तथा 1 /11  भाग लगान  वसुली  में होने वाले व्यय के लिए अपने पास रखे। 



*
जमींदारों के
लिए
निश्चित कर 
लगान 
जमा
करना
आवश्य्क था
अगर
कोई
जमींदार से
पर
लगन
नहीं
जमा
करते 
थे।
उसकी
जमींदारी छीन 
ली
जाती
थी
वह
नीलम
कर
दी
जाती
अथवा
यह
जमींदारी नीलाम 
कर 
दी
जाती 
अथवा
यह
जमींदारी दूसरे
जमींदार के
हाथों 
में
चला
जाता
था।  









 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments