ऐतिहासिक तथ्य की प्रमुख विशेषता ( Nature or Kinds of Datas )
ऐतिहासिक तथ्य की सामान्य रूप से निम्न्लिखित विशेषताये बताई जा सकती है
1 . अनेक उदगम स्रोत – प्र्तेक ऐतिहासिक तथ्य में कतिपय दो तत्व होते है जिनका उदगम अनेक स्रोतों से होता है। ‘ इस विचार का प्रतिपदान वेबर द्वारा किया गया। उदाहरणार्थ – प्रथम विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण राजकुमार फर्डिनेण्ड की हत्या थी। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। किन्तु इतिहासकारों द्वारा प्रथम विश्व युद्ध के अनेक अन्य कारन भी प्रस्तुत किये जाते है। उन कारणों को भी ऐतिहासिक तथ्यों की ही शेणी में रखा जाता है। इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध एक ऐतिहासिक तथ्य है जिसके विभिन्न उदगम स्रोत है। इस प्रकार ऐतिहासिक तथ्य की एक प्रमुख विशेषताअनेक उदगम स्रोतों का होना है।
2 . घटना से सम्बंधित सभी बातें ऐतिहासिक तथ्य – डेविड थम्प्सन के अनुसार सम्पूर्ण समष्टि तथ्य, ऐतिहासिक तथ्य होता है। जिसका तातपर्य यह है की किसी भी ऐतिहासिक घटना से सम्बन्धित सभी बाते ऐतिहासिक तथ्य कहलाती है। उदाहरणार्थ – प्रथम विश्व युद्ध एवं द्वितीय विश्व युद्ध ऐतिहासिक घटनाये है तथा इनसे सम्बन्धित सभी बातें ऐतिहासिक तथ्य है।
3 . समाज की प्रत्येक घटना ऐतिहासिक तथ्य नहीं — समाज की प्रत्येक घटना को ऐतिहासिक तथ्य की संज्ञा नहीं दी जा सकती है। किसी व्यक्ति – विशेष या इतिहासकार द्वारा उल्लिखित घटना ही ऐतिहासिक तथ्य होती है। कई बार किसी अत्यन्त साधरण धटना का भी उल्लेख महान व्यक्ति द्वारा कर दिये जाने पर वह घटना भी ऐतिहासिक तथ्य बन जाती है।
4 . मान्यता प्रदान विचार – बैराक्लाफ के अनुसार यदपि इतिहास तथ्यों पर आधारित होता है किन्तु कुछ तथ्य ऐतिहासिक तथ्य न होकर मान्यता प्रदत्त विचार होते है। भारत में समाजिक व धार्मिक भवना उसी रूप में विद्यमान है की जिस रूप में वर्षो पूर्व विद्यमान थी। यद्यपि विभिन्न समाज सुधराको एवं विदेशी शसकों द्वारा इसमें परिवर्तन के प्रयास किये गए किन्तु वे इसमें आंशिक एवं वांछनीय परिवर्तन ही कर सके। समाज एवं धर्म का मौलिक स्व यथावत कायम रहा। ऐसे विषयो पर मान्यता – प्रदत्त विचार यद्धपि ऐतिहासिक तथ्य नहीं होते है लेकिन लोग भृमवश इन्हे ऐतिहासिक तथ्य स्वीकार कर लेते है।
5 . ऐतिहासिक तथ्य एक प्रतीक है – कार्ल बेकर, सेबोस तथा एलेन बुलाक आदि विद्वान् के नुसार ऐतिहासिक तथ्य अतीतकलिक घटना नहीं वरन एक प्रतीक है जो इतिहासकार को कल्पना द्वारा घटना के पुर्निर्माण में समर्थ वास्तविक घटना विलुप्त हो चुकी है और उसके धूमिक चित्र ही मस्तिष्क में है। घटना के घूमिल चित्रों, लेखो, पत्र – पत्रिकाओं आदि के माध्यम से परिकल्पना के आधार पर ही इतिहासकार इतिहास तथ्य स्वीकार कर लेते है।
6 . ऐतिहासिक तथ्य एक अनुमान है — संबोस व् एलेन बुलाक के अनुसार ऐतिहासिक तथ्य एक अनुमान है क्योकि न तो उनका निरीक्षण किया जा सकता है न ही उन्हें यथार्थ रूप में समझा जा सकता है। वरन यह किसी ऐतिहासिक घटना से सम्बन्धित ऐसा प्रतीक है जो वर्तमान में इतिहासकार के मस्तिष्क में रहता है। अतीत की घटना के परिकल्पना पुर्ननिर्माण अनुमान का ही आश्रय लिया जाता है है।
7 . विस्वसनीयता का अभाव — प्रो0
वाल्श के अनुसार तथ्य साधारण स्वयं व्यवस्थिक सिद्धांत होता है जिसकी विस्वसनीयता के विषय में गंभीरता संदेह न हो। ‘ वाल्श ने इतिहास को विज्ञान मानकर ही इस कथन का प्रयोग किया है। तथ्यों से सम्बंधित यह अवधारण विज्ञान में तो संभव है किन्तु इतिहास में नहीं। वैज्ञानिक तथ्यों की विश्वसनीय का परीक्षण प्रयोगशालाओं में किया जाता है किन्तु ऐतिहासिक तथ्यों का प्रत्यक्षीकरण एवं परीक्षण सम्भव नहीं है। अतः ऐतिहासिक तथ्यों में विस्वसनीयता का स्पष्ट अभाव दिखाई पड़ता है।
8 . इतिहासकार की स्वीकृति आवश्य्क – समाज में अनेक घटनाये घटित होती है किन्तु सभी घटनाये इतिहास का हिस्सा नहीं होती। केवल वही घटनाये इतिहास का हिस्सा होती है , जिनका उल्लेख इतिहासकार द्वारा क्र किया जाता है। यह ध्यान देने योग्य है की इतिहासकार द्वारा ऐतिहासिक तथ्यों का संकलन प्रमाणों के आधार पर ही किया जाता है। स्पष्ट है की इतिहासकार जिन तथ्यों स्वीकार करे उसे ही ऐतिहासिक तथ्य खा जा सकता है।
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