जलालुद्दीन फिरोज खिलजी
(1290-96 ई.)
13 जून, 1290 को जलालुद्दीन
फिरोज खिलजी ने गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर खिलजी वंश की स्थापना की, उसने अपनी
राजधानी किलोखरी को बनाया।
जलालुद्दीन खिलजी ने कङा के
सूबेदार मुगीसुद्दीन (मलिक छज्जू)के विद्रोह का दमन किया।
जलालुद्दीन के काल में मंगोल
नेता अब्दुला का आक्रमण हुआ। जलालुद्दीन के शासनकाल की सबसे बङी उपलब्धि देवगिरि की
विजय थी।
जलालुद्दीन की हत्या 1296
ई. में उसके भतीजे एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने कङा-मानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी
अलाउद्दीन खिलजी
(1296-1316 ई.)
अलाउद्दीन खिलजी 22 अक्टूबर,
1296 में दिल्ली का सुल्तान बना। अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली या गुरशस्प था। अलाउद्दीन
का राज्यारोहण दिल्ली में स्थित बलबन के लाल महल में हुआ।
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अलाउद्दीन ने सिकंदर-ए-सानी की उपाधि धारण की।
अलाउद्दीन ने गुजरात, जैसलमेर,
रणथंभौर, चित्तौङ, मालवा, उज्जैन, धारानगरी, चंदेरी, सिवाना तथा जालौर पर विजय प्राप्त
की। अलाउद्दीन प्रथम मुस्लिम सुल्तान था, जिसने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया और उसे
अपने अधीन कर लिया। दक्षिण भारत की विजय का श्रेय अलाउद्दीन के सेनानायक मलिक काफूर
को दिया जाता है। मलिक काफूर एक हिन्दू हिंजङा था, जिसे नुसरत खाँ ने गुजरात विजय के
दौरान 1,000 दीनार में खरीदा था, जिसके कारण उसे हजारदीनारी
भी कहा जाता था। अलाउद्दीन खिलजी प्रशासनिक क्षेत्र में महान सेनानी था। अलाउद्दीन
खिलजी प्रशासनिक क्षेत्र में महान सेनानी था। अलाउद्दीन की नीतियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण
उसकी बाजार नियंत्रण की नीति थी।
अलाउद्दीन ने भू-राजस्व की
दर को बढाकर उपज का 1/2 भाग कर दिया। राजत्व का दैवी सिद्धांत प्रतिपादित करने वाला
शासक अलाउद्दीन था।
·
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में दो नए कर चराई (दुधारू पशुओं
पर) पर एवं गढी (घरों एवं झोंपङी पर) लगाया।
·
अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नगद वेतन देने एवं स्थायी सेना रखने
की प्रथा चलाई।
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अलाउद्दीन खिलजी ने घोङा दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की
प्रथा की शुरुआत की। अलाउद्दीन ने इक्ता, इनाम, मिल्क तथा वक्फ भूमि को खालसा (राजकीय)भूमि
में परिवर्तित कर दिया।
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अलाउद्दीन के शासनकाल में गैर-मुस्लिमों से जजिया कर और मुस्लिमों
से जकात कर वसूला जाता था।
·
उसके दरबार में प्रमुख विद्वान अमीर खुसरो और हसन देहलवी थे।
अलाउद्दीन को सर्वप्रथम उलेमा-वर्ग
के प्रभाव से स्वतंत्र होकर शासन करने का श्रेय दिया जाता है। अमीर खुसरो अलाउद्दीन
के दरबारी कवि थे। इन्हें सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। अमीर
खुसरो को अलाउद्दीन खिलजी ने तूति-ए-हिन्द (भारत का नेता) के नाम से संबोधित किया।
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु
5 जनवरी, 1316 ई. को हुई थी।
शहाबुद्दीन उमर तथा मलिक काफूर
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु
के बाद मलिक काफूर ने राज्य के अमीरों और अधिकारियों को एक जाली उत्तराधिकार पत्र दिखा
कर नाबालिग उमर खाँ को सुल्तान बना दिया।
मलिक काफूर ने अलाउद्दीन के
पुत्रों को बंदी बनाकर अंधा करवा दिया और शासन करने लगा।
अलाउद्दीन के तीसरे पुत्र
मुबारक खिलजी ने 11 फरवरी, 1316 ई. को मलिक काफूर की हत्या कर दी तथा स्वयं सुल्तान
का संरक्षक बन गया।
कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी
(1316 – 20 ई.)
मुबारक शाह, सुल्तान अलाउद्दीन
खिलजी का पुत्र था। वह 5 जनवरी, 1316 को दिल्ली की गद्दी पर बैठा। वह एक भ्रष्ट शासक
था। कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी ने बगदाद के खलीफा के अस्तित्व को नकारते हये स्वयं
को खलीफा घोषित कर दिया। मुबारक के वजीर खुसरो शाह ने 15 अप्रैल, 1320 को उसकी हत्या
कर दी और स्वयं दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
खुसरो शाह ने पैगम्बर के सेनापति
की उपाधि धारण की।
नसीरुद्दीन खुसरो शाह (15 अप्रेल – 5 सितम्बर 1620)– मुबारक शाह की हत्या के बाद सरदारों की सहायता खुसरो का 15 अप्रेल 1620 ईस्वी को सिंहासनारोहण हुआ। 5 सितम्बर 1620 तक उसका शासन चलता रहा। उसने नसीरुद्दीन खुसरो शाह की उपाधि ग्रहण की। बहुत से पुराने अधिकारियों व सरदारों को उनके पद पर रहने दिया गया। कुछ की हत्या भी कर दी गई। खुसरो शाह ने खिर्ज़ खां की विधवा देवल देवी के साथ विवाह कर लिया।
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