चंपारण सत्याग्रह
चंपारण सत्याग्रह (बिहार ) के किसानों से अंग्रेज बागान मालिकों ने एक करार कर रखा था,
जिसके अंतर्गत किसानों को अपने कृषिजन्य क्षेत्र 3/20 वे भाग पर नील के खेती करनी होती
थी. इस को तीन कठिया पद्धत्ति के नाम से जाना जाता था।
नेतृत्व :- महात्मा गाँधी ने किया था।
कारण :- 19वी सदी के अंतिम दिनों में रासायनिक रंगों की खोज और
उसके प्रचलन से नील के बाजार में गिरावट आने लगी, जिससे बागानमालिक चंपारण क्षेत्र के कारखानों को बंद करने
लगे। इस खेती से किसानों को कोई लाभ नहीं होता
था, अथवा नील की खेती से भूमि 3 वर्षो के लिए बंजर भी हो जाती थी, अंततः नील के खेती के कारण किसानों के खेतों पर जमींदारों
ने कब्ज़ा कर लिया था जिसे वो किसानों को लौटने से इंकार करने लगे थे। और यह भी सत्याग्रह
का महत्वपूर्ण कारण बना।
1917 :- चंपारण के राजकुमार शुक्ल ने चंपारण किसान आंदोलन के नेतृत्व हेतु गाँधी जी को आमंत्रित किया।
भारत में गाँधी जी ने सत्याग्रह का प्रयोग किया
चम्पारण सत्याग्रह गांधीजी
के कुशल नेतृत्व से प्रभावित होकर रविंद्र
नाथ टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा ‘ उपाधि प्रदान
की। और यह सत्यग्रह गाँधी जी का भारत में पहला सफल सत्यग्रह हुआ।