ताशकंद समझौता 1966, कब, क्यों, कहा, किसके – किसके मध्य और प्रभाव
ताशकंद समझौता 1966
1965 का इण्डो – पाकिस्तान युद्ध का महत्वपूर्ण परिणाम ताशकंद समझौता रहा था। ताशकंद समझौता का उदेश्य था की भारत और पाकिस्तान अपने विवादों को निपटाने के लिए युद्ध को समाप्त करके शांतिपुर्ण तरीको को अपनाये और इसी के लिए ताशकंद समझौता किया गया था। जिसमे भारत – पाकिस्तान अपने सेना जिसकी स्थिति ख़राब हुई थी सेनाओ की उनको स्थिति पुनः सुधारने की बात कही गई। 25 फरवरी 1966 तक 5 अगस्त 1965 से पहले स्थिति पर वपास लाने के कार्य करेंगे दोनों देश।
समझौता किसके – किसके मध्य हुआ।
ताशकंद समझौता भारत – पाक के मध्य 10 जनवरी 1966 को हुआ। भारत की और से भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शस्त्री तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयुब खान की लम्बी वार्ता के उपरांत हुआ जिसमे सोवियत के राष्ट्रपति अलेक्सी कोसिगिन मध्यस्ता बने हुए थे।
ताशकंद समझौता कहा हुआ था।
ताशकंद सोवियत संघ, वर्तमान उजबेकिस्तान में हुआ था।
ताशकंद समझौता की शर्ते :-
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शांतिपूर्ण तरीकों का सहारा
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5
अगस्त 1965 से पहले वाले स्थान पर वापस सेनाओ को लाना
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एक दूसरे के आंतरिक मामलो में हस्तक्षेप नहीं करना
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एक दूसरे के खिलाफ प्रचार – प्रसार नहीं करेंगे ।
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मैत्रीपूर्ण सबंधो को प्रोत्साहित करेंगे ।
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सामान्य राजनयिक गतिविधिया प्रारंभ की जाएगी
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उच्चायोग फिर से अपना कार्य प्रारंभ कर देंगे
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सांस्कृतिक आदान – प्रदान भी प्रारंभ होगा
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युदध के बंदियों का देश पत्यावर्तन
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जब्त कि गए सम्पति वापस ।
ताशकंद समझौता का प्रभाव:-
ताशकंद समझौता का उदेश्य भारत – पाकिस्तान दोनों देशो के मध्य शांति और आपसी सम्बन्धी, व्यपारिक वह सांस्कृतिक को सुधारने के लिए किया गया था परन्तु दोनों देशो के द्वारा इसके शर्तो को नहीं अपनाया गया और न ही इनका अनुशरण किया गया जिसका परिणाम हमे 1971 पुर्वी पाकिस्तान वर्तमान में बांगलादेश के गठन के रूप में युद्ध देखने का दुर्भाग्य हुआ था। ताशकंद समझौते केवल इसलिए याद रखी गई की इस समझौते पर हस्ताक्षर करने कुछ ही घंटो बाद भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की दिल का दौरा पड़ने से दुःखद मृत्यु हो गई थी। उनके शव के साथ रूस के प्रधानमंत्री कोसिगिन भारत आये थे। इस अवसर पर उन्होंने भरी संवदेना व्यक्त की। इस सहानुभूति के कारण भारत और रूस में सम्बन्धो के घनिष्ठता और बढ़ गयी थी।