Monday, November 18, 2024
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पंचशील सिद्धांत क्या है?

पंचशील सिद्धांत क्या है, पंचशील सिद्धांत कब स्थित्व में आया, इसकी भारत आवश्यता क्यों पड़ी इसके क्या प्रभाव रहे थे, भारत और विश्व के क्या हित निहित थी इस पंचशील सिद्धांत में।  

पंचशील कोई नई 
सिद्धांत नहीं थी। 
बल्कि इस सिद्धांत को बौद्ध धर्म में पंचशिका नाम से जानी जाती है। 
जिसका उल्लेख हमे देखने को मिलता है इसके उल्लेख नुस्मृति के 10 
सिद्धांतो में भी इन 5 सिद्धांत का निचोड़ हमें 
देखने को भी मिलती है। बौद्ध धर्म के संम्पत एवं सूत्रनिपाट से 
पंचशील को जानकारी मिलती है।

 

 जवाहरलाल नेहरू जी ने आजादी के बाद 1947 
के पश्चात जब वो विदेश निति आधार शिला रखने का प्रयास कर रहे थे। उसी समय उन्होंने पंचशील सिद्धांत के विषय में इन्होने भी यह कहा की पंचशील भारत के लिए कोई नहीं सिद्धांत नहीं है। 
इसकी व्याख्या हम प्रचीन समय से भारत में देखते आए 
है। 
भारत प्ररम्भ से ही शांति प्रिय देश रहा है और हमेशा ही मित्रता सहयोग, 
शाअस्तित्व 
और अहस्तक्षेप की निति पर ही चला है 
जवाहरलाल नेहरू खुद कहते है की भारत के महान शासक अशोक 2200 ईस्वी पूर्व 
ही शाअस्तित्व से ही मित्रता और सहयोग को समझते थे और इसी के तोर साम्राज्य को चलाते थे। यहाँ 
पे यह निश्चित तोर पर कहा जा सकता है की पंचशील सिद्धांत प्रारम्भ से ही भारत के सभ्यता वह संस्कृति का हिस्सा रहा है।

 

पंचशील सिद्धांत क्या है एवं पांच सुत्र।

 

1 .  एक दूसरे की प्रदेशक अखंडता और 
सर्वोच्च सत्ता के लिए पारस्परिक सम्मान की भावना,

2.  अनाक्रमण,

3.  एक दूसरे के मामलों 
में हस्तक्षेप करना,

4.  समानता एवं पारस्परिक लाभ तथा

5.  शांतिपूर्ण सहअस्तिव।

 

पंचशील सिद्धांत की जरूरत को पड़ी।

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द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पुरे विश्व में अराजगता का वातावरण फैला 
था। 
विश्व के हर एक देश शांति को स्थापित करने की कोशिश 
हुआ था। 
जवाहर लाल नेहरू भारत स्वतंत्र के बाद जब विदेश निति को स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे। 
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नाजीवाद 
के शासन के अधीन विश्व की क्या स्थिति हुई थी। 
इसे देखते हुए। 
विश्व के जितने भी देश थे शांति स्थपना के प्रयास में लगे हुए थे और शांति ही चाहते थे यही एक मौका था  की जवाहर लाल नेहरू के लिए की वह सम्रग रूप से  के पांच शील सिद्धांत को विस्तृत करने का प्रयास करे ताकि विश्व के पड़ोसी 
देशो के स्वतंत्रता सहयोग वह परस्परिक संबध स्थापित हो सके। 
1947 
में जब स्वतंत्रता 
प्राप्त हुए तब भारत की 
आर्थिक स्थित सही नहीं 
थी और वह चाह रहे थे की भारत किसी भी युद्ध में या कोई भी संधि अव्य राष्ट्र में शामिल ना 
हो ताकि भारत में और आर्थिक प्रभाव पड़े। 
भारत को अगर सुदृढ़ता 
प्रदान करने की बात की जाए तो पंचशील इसमें बहोत मददगार साबित हुआ था।

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  भौगोलिक मान चित्र के दृष्टि से भारत स्थित क्या है। 

 भौगोलिक मान चित्र के दृष्टि से भारत दक्षिण पूर्वी एशिया तथा मध्य पुर के मध्य में स्थित है आर्थिक दृष्टिकोण से वाह हिन्दमहासागर तथा उत्तर में साम्यवाद देश चीन से घिरा हुआ है। 
जितने भी राष्ट्र उस समय विश्व में थे। जो राजनितिक, समाजिकपरिस्तिथियों को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे थे वे सभी राष्ट्र जवाहरलाल नेहरू जी के साथ उनके पंचशील सिद्धांत में समर्थन कर रहे थे। 
और इसे आगे पढ़ाने 
का प्रयास कर 
रहे थे। 
अगर देखा जाए तो 1947 में ही पंचशील सिद्धांत की शुरुआत हुए थी बुर्सेल के सम्मेलन में जवाहरलाल नेहरू जी ने 
सर्वप्रथम साहसतित्व एवं सहयोग की बात की यही से पंचशील सिद्धांत का आधार रखा जा चूका था। 
और साथ ही साथ भारत की विदेश निति की आधार शिला यही पर रखी गई थी।

 पंचशील सिद्धांत की आवश्यकता भारत को क्यों पड़ी ?

 पंचशील का विकास भारत स्वत्रंता पश्चात भारत चीन के साथ अपना सम्बद्ध अच्छे बनाने का प्रयास कर रहा था। तथा चीनी राष्ट्रियपति चाव एन. लाई 
जो थे उन्होंने भी भारत के साथ अपने सम्बन्धो को बेहतर बनाने का प्रयास किया और 1954 
में हम यह देखते है की दोनों राष्ट्र नेताओं ( भारत एवं चीनी ) में अस्तित्व में पंचशील सिद्धांत आया इसका प्रसार इतने तेज से हुआ की खुद जवाहरलाल नेहरू जी ने इसे 1956 
International Coin 
की संज्ञा दी थी।

 

11  दिसम्बर 1959 
को UN  General Assembly  ने भी पंचशील के शुत्रो 
को मान्यता प्रदान कर 
दी थी।

 

 भारत में केवल बल्कि विश्व के अन्य देश सोवियत, रूस, 
पोलेण्ड, 
युगोस्लाविया, ये सभी राष्टों 
के साथ भारत को पंचशील सिद्धांत में यह मौका दिया की जो था उसे बेहतर बनाया जा सके यदि पंचशील सिद्धांत के बारे में बात किया जाए तो यह एक ऐसे विश्व में वातावरण तैयार करने में सामर्थ रहा था की वह राजनितिक 
आर्थिक समाजिक क्षेत्रों में शांति का समर्थक कर 
सके। 


पंचशील का सिद्धांत कब प्रतिपादन हुआ था

पंचशील के इन सिद्धांतो  का प्रतिपादन अंतराष्ट्रीय स्तर पर सर्वप्रथम
29 अप्रैल 1954  को
तिब्बत के सम्बंधित में भारत और चीन के मध्य हुए एक समझौते में किया गया था।  एशिया के प्रायः  सभी देशों 
ने पंचशील के सिद्धांत को स्वीकार कर लिए।  पंचशील के सिद्धांत वस्तुतः अत्यंत उच्च और श्रेष्ट
सिद्धांत है।  इस सिद्धांत के संदर्भ में श्री परेदेसी कम  मत है – ” इस पंचशील सिद्धांत
नए शीत युद्ध के कुहरे को हटा दिया
और विश्व जनता 
ने शांति की सांस  ली।  इस प्रकार पंचशील जो भारतीय इतिहास और संस्कृति
की अपूर्व देन है , विश्व के वर्तमान और भविष्य की आधारशिला बन गई।

For Detail chapter you can click below link  :-








https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html        

महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/ What is Mahalwari and Ryotwari system?————-

https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html

रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/What is Rayotwari System? ————————

https://www.learnindia24hours.com/2020/10/what-is-rayotwari-systemfor-exam.html 




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