कांतिकारियों ने भारत के अलावा विदेशो में भी कई स्थानों पर क्रांतिकारी गतिविदियों को अंजाम दिया। इसमें से कुछ स्थान में भारत से बहार हुए क्रांतिकारी गतिविधियाँ।
कांतिकारियों ने भारत के अलावा विदेशो में भी कई स्थानों पर क्रांतिकारी गतिविदियों को अंजाम दिया। इसमें से कुछ स्थान/देश निम्नानुसार है – इंग्लैण्ड लंदन में क्रांतिकारी गतिविधियों के नेतृत्व की बात करे तो मुख्यतया श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर, मदनलाल ढींगरा एवं लाला हरदयाल ने किया था। श्यामजी कृष्णवर्मा ने 1905 में भारत स्वशासन नमक एक समिति की स्थापना की, जिसे ‘इंडियन हाउस’ के नाम से जाना जाता है। फरवरी, 1905 में लंदन में श्यामजी कृष्ण वर्मा ने भारत के लिए स्वशासन की प्राप्ति के उदेश्य से इंडियां होमरूल सोसाइटी की स्थापना की। सोसाइटी द्वारा इंडियन हाउस की आधारशिला रखने तथा श्री वर्मा द्वारा ‘द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट ‘ नमक पत्र के प्रकाशन के साथ ब्रिटेन में भारतीय राष्ट्रिय क्रांतिकारी आंदोलन की नींव पड़ी।
फ़रवरी, 1905 में लंदन में श्यामजी कृष्ण वर्मा ने ‘इंडियन होमरूल’ सोसाइटी की स्थापना की. यहा से एक समाचार- पत्र ‘ द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट’ का प्रकाशन भी प्रारंभ किया। लंदन में सरकारी तंत्र के विशेष सक्रीय होने के कारण श्यामजी वहाँ से पेरिस और अंततः जेनेवा चले गए।
श्यामजी कृष्णा के बाद इंडिया हाऊस का कायभार विनायक दामोदर सावरकर ने संभाला। यही सावरकर ने ‘1857 ‘ का ‘स्वतंत्रता संग्राम ‘ नमक प्रशिद्ध पुरस्तक लिखी। उन्होंने मैजिनी की आत्मकथ का मराठी में अनुवाद भी किया। 1909 में मदनलाल ढींगरा ने कर्नल विलियम कर्जन वैली की हत्या कर दी। ढींगरा को भी गिरफ्तार कर फांसी में चढ़ा दिया गया। 13 मार्च 1910 को नसिक षड्यंत्र केस में सावरकर जी को गुरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें काले पानी की सजा दी गयी।
अमेरिका तथा कनाडा :- संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा में क्रांतिकारी सेन गतिविधियों को लालहरदयाल ने संभाला था। 1 नवम्बर 1913 को लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापन की इसकी अन्य शाखाएं भी थी। ग़दर पार्टी की स्थापना 21 अप्रैल, 1913 को ब्रिटिश सरकार से मुक्ति हेतु भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने के उदेश्य से की गई थी। इसे अमेरिका एवं कनाडा बसे भारतीयों द्वारा गठित किया गया था। पार्टी का मुख्यलय सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में स्थित था। ग़दर दाल ने 1857 के विद्रोह की समृति में ‘ग़दर’ नमक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन किया।
जर्मनी :- प्रथम विश्वयुद्ध के समय इंग्लैंड तथा जर्मनी के आपसी सबंध काफी तनावपूर्ण होने लगे और जिसके कारण जितने भी क्रांतिकारी कार्यकारण जितने भी कार्यकर्ता थे वे सभी जर्मनी आये और जर्मनी को अपना केंद्र बना लिए। वीरेंद्र चट्टोपाध्याय बर्लिन को अपनी गतिविधियों का केंद्र बना लिया।
ग़दर पार्टी :- इसकी स्थापना लाला हरदयाल ने 1913 में USA के सेंट फ्रांसिस्को में किया। यह एक क्रांतिकारी संगठन था। इसे अमेरिका एवं कनाडा में बसे भारतीय द्वारा गठित किया गया था। पार्टी का मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में स्थित था। वर्ष 1913 में सोहन सिंह भकना ने ‘एसोसिएशन ऑफ़ हिंदुस्तानी वर्कर्स ऑफ़ पैसिफिक कोस्ट’ नमक संस्था की स्थापना की। इस संस्था ने ‘ग़दर ‘ नामक एक अखबार निकला, जिससे इस संस्था का नाम भी ‘ग़दर पार्टी ‘ पड़ गया। लाला हरदयाल इस संस्था के मनीषी पथ – प्रदर्शक थे। ग़दर पार्टी के सदस्यों में रामचंद्र, बरकतुल्ला, रास बिहारी बोस, राजा महेंद्र प्रताप, अब्दुल रहमान, मैडम भीकाजी कामा, भाई परमानंद, करतार सिंह सराभा तथा पंडित काशीराम प्रमुख थे।
कामागाटा मारु (1914) गुरुदत्त सिंह ने कामागाटा मारु नमक जापानी जहाज को भाड़े पर लिया और कुछ भारतीय को कलकत्ता से लेकर कनाडा की और निकल गये किन्तु कनाडा सरकार ने अंग्रेजों के दबाव में आकर यह घोषणा किया की बैकुअर बंदरगाह पर उसी जहाज को रुकने दिया जायेगा जो रास्ते में बिना कही रुके आया है किन्तु कामागाटामारू जहाज सिंगापूर में रुका था। अन्तः कनाडा सरकार ने उस जहाज को बैकुअर बंदरगाह पर रुकने नहीं दिया। अतः जहाज वापस कलकत्ता बंदरगाह लौट आया। जब ये क्रांतिकारी वापस कलकत्ता के बजबज बंदरगाह पर पंहुचे तो अंग्रेजों और इनके बिच गोलीबारी शुरू गई इस घटना को कामागाटा मारु की घटना कहते है।
भीकाजी रुस्तम कामा क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की समर्थक थी। उन्होंने यूरोप एवं अमेरिका से क्रांति का संचालन किया। वर्ष 1907 में इन्होने स्टुटगार्ट (जर्मनी ) की अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस में भाग लिया, जहां इन्होंने प्रथम भारतीय झंडे को फहराया जिसकी डिजाइन इन्होने स्वयं वी. डी. सावरकर एवं श्यामजी कृष्ण वर्मा के साथ मिलकर संयुक्त रूप से तैयार किया था। भारतीय क्रांति की माँ/जननी के रूप में भी जाना जाता है।
अंग्रेज अधिकारियों की हत्या – इंग्लैंड में अंग्रेज अधिकारियों की हत्या के आरोप में मदनलाल ढींगरा तथा ऊधम सिंह को फांसी की सजा मिली थी। ध्यातव्य है की मदनलाल ढींगरा ने 1 जुलाई, 1909 को लंदन में भारतीय राष्ट्रिय संघ की बैठक में भारत राज्य सचिव के सलाहकार कर्जन वायली तथा कावास को गोलियों से भून दिया था। फलतः उन्हें फांसी की सजा दी गई। ऊधम सिंह ने जलियावाला बाग़ में हत्या के अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार तत्कालीन पंजाब के गवर्नर माइकल ओ डायर लंदन में मार्च, 1940 में हत्या कर दी थी, फलतः इन्हे भी फांसी की सजा हुई थी।