भुइंहार क्या हैं?
अनुसूचित जन – जाति के दूसरे किस्म के व्यक्ति जो जंगल के भू -भाग को खेती करने के उदेश्य से लेती है तो वह व्यक्ति भुइंहार कहलाता है। इस प्रकार एक भुइंहार जंगल – भूमि के किसी हिस्सा या सम्पूर्ण भाग पर पर खेती करने का उदेश्य रखता है तो कहा जाएगा कि वह भुंइहारी अधिकार प्राप्त कर लिया है।
ये भुइंहार उराव जनजाति के होते है। पुराने C.N.T के अंतर्गत भुंइहरी भूमि का सर्वे, तथा इसका अभिलेख तैयार किये गये जो अंतिम रूप से तैयार किये गये जो अंतिम रूप से तैयार किए। वे क्षेत्र जो मुंडारी क्षेत्र के अलावे है जहाँ भुंइहारी सर्वे का कार्य नहीं किया गया था तथा जहाँ रैयत जंगल भूमि के लिए पुनः दावा पेश किए। वैसे रैयतों को खूंट – कट्टी अधिकार प्राप्त रैयत कहलाये। भुइंहार भू – धारक प्राप्त रैयत अब अधिभोगी नहीं रहे। जबकि खूंट कट्टी अधिकार प्राप्त रैयत अब अधिभोगी रैयत हो गये।
भुंइहारी हित अब लगान देने से आजाद हो गये या वे निश्चित लगान पर हित को धारण किए हुए तो वैसे हालत में उनके लगान में वृद्वि धारा 10 के अंतर्गत नहीं किये जायेंगे।
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