महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?
मुख्य बिंदुओं पर चर्चा होगी :-
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* महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश गाँव , बिरादरियों या महालों व्यवस्था का ही एक संशोधित रूप थी।
भुमि पर गाँव बिरादरियों के समुदिक स्वामित्व को भाईचारा कहा जाता था। गाँव समूह महाल कहलाते हे। इस व्यवस्ता के अंतर्गत भुमि का ग्राम समुदाय का सामुहिक अधिकार होता था लगान के अदायगी के लिए पूरा महाल/ ( गाँव के जागीर ) या क्षेत्र ‘ सामूहिक रूप से जिम्मेदार होते थे। हालंकि ग्राम के सदस्य अलग – अलग या फिर संयुक्त रूप से लगन की अदायगी कर सकते थे।
* कहाँ – कहाँ लागु थी ?
दक्क्न के जिले , मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश ) उत्तर प्रदेश (संयुक्त प्रांत) , पंजाब, आगरा ,अवध ।
* कितने भागों पर लागु थी ?
यह ब्रिटिश भारत के 30 % भाग पर लागु की गई। प्रति खेत के आधार पर राजस्व निश्चित नहीं किया गया बल्कि प्रत्येक महाल ( गाँव के जागीर ) के अनुसार निश्चित किया गया।
* महलवाड़ी क्यों नाम पड़ा ?
यह व्यवस्था महलवाड़ी नाम से इसलिए रखा गया क्योकि महालो द्वारा इसकी खेती के आधार पर इसकी कर की अदायगी निश्चित की जाती थी।
* महलवाड़ी पद्धत्ति के जन्मदाता कौन थे ?
पद्धति के जन्मदाता होल्ड मेकेंजी होए 1819 ईस्वी प्रतिवेदन में इन्होने महलवाड़ी भूमि व्यवस्था के सूत्रपात किया। 1822 ईस्वी में यह व्यवस्था कानुनी हुई। 1833 ईस्वी में मार्टिन बार्ड तथा जेम्स टाम्सन के बंदोबस्त में यह अपने सबसे अच्छे रूप मेंसामने आई। 1837 ईस्वी में कर 2/3 हिस्सा पर कर वसूल करना तय किया गया।
* महलवाड़ी पद्धत्ति के कर की प्रक्रिया ?
इस व्यवस्था में पहली बार लगान तय करने के लिए मानचित्र तथा पात्रिको/ पंजियो का प्रयोग किया गया। यह भुमि योजना मार्टिन बार्ड के निर्देशक में तैयार की गई थी
इन्हे उत्तर भारत की भूकर व्यवस्था का पर्वतक भी मन जाता है। इस व्यवस्था का में सरकार ने सीधा संपर्क नहीं किया बल्कि गांव या जागीरों के मुख्या या लंबरदार को कर वसूली का आधिर किन्तु सरकार ने कृषक को भूमि बेचने अथव उसका जिम्मेदारी ऋण लेने का अधिकार प्रदान दिये थे।
समूचे ग्राम के उत्पात के आधार पर कर लिया जाता था।
इस व्यवस्था में प्रारंभ में लगान की डॉ कुल उपज का 80% निश्चित की गई थी।
1833 में लॉर्ड विलियम वैंटिक ने लगान की डॉ को कम करके 66% कर दिया।
1855 ईस्वी में पुनः लॉर्ड डलहौजी ने लगान की डॉ को 50% निश्चित किया।
* व्यवस्था की दोष
सरकार एवं किसानो के प्रत्यक्ष संबंध समाप्त हो गये।
महलवाड़ी बंदोबस्ती ने महाल के मुखिया या प्रधान को अत्यधिक शक्तिशाली बना दिया
मुखिया द्वारा किसानों को भूमि से बेदखल क्र देने के अधिकार का द्रुपयोग किया गया।