किरिंग बापला – सर्वाधिक प्रचलित विवाह प्रणाली है जिसके अंतर्गत माता – पिता द्वारा मध्यस्था के माध्यम से विवाह तय किया जाता है।
- संथालो में विवाह के समय वर पक्ष द्वारा वधु पक्ष को वधु मूल्य वस्तुएँ दिया जाता है , जिसे पोन कहा जाता है।
- संथाल समाज में सर्वाधिक कठोर सजा बिटलाहा है। यह सजा तब दी जाती है जब कोई व्यक्ति निषिद्ध यौन संबंधों का दोषी पाया जाता है। यह एक प्रकार का सामाजिक बहिष्कार है।
- सामाजिक व्यवस्था से सम्बंधित विभिन्न नामकरण :-
गाँव का संदेशवाहक – गुड़ेंत/ गोड़ैाईत
विवाह – बापला
वधु मूल्य – पोन
ग्राम प्रधान – माँझी
उप -ग्राम प्रधान – प्रानिक/ प्रमाणिक
गाँव – आतो
ग्राम प्रधान अथार्त माँझी के पास प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकार होते है।
आर्थिक व्यवस्था — संथाल मूलतः खेतिहर है जिनका रूपांतरण कृषकों के रूप में हो रहा है।
संथाल चावल से बनने वाले शराब (स्थानीय मदिरा ) करते हैं जिसे ‘हड़िया ‘ या ‘पोचाई’ कहा जाता है।
संथालो के अगर धार्मिक व्यवस्था को देखते है तो संथालो का प्रधान देवता सिंगबोंगा या ठाकुर है जो सृष्टि का रचयिता माना जाता है। संतलो के दूसरे प्रमुख देवता मरांग बुरु है, प्रधान ग्राम देवता जहर – एरा है जिसका स्थान जाहेर थान ( सखुआ या महुआ के पेड़ो के झरमुट के बिच स्थित ) कहलाता है।
संथालों के गृह देवता को ओड़ाक बोंगा कहते है। धार्मिक प्रधान को नयाके कहा जाता है। अगर जादू – टोन के मामले में संथाली स्त्रि विशेषज्ञ मानी जाती है।
- संथालों में शव को जलाने तथा दफनाने दोनों प्रकार की प्रथा प्रचलित है।
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