सामानांतर सरकार
सर्वप्रथम अगस्त, 1942 में पूर्वी संयुक्त प्रांत के बलिया जिले में गांधीवादी चिंटू पांडे के नेतृव में सामानांतर सरकार का गठन हुआ। बंगाल के मिदनापुर जिले के तामलुक में 17 दिसम्बर, 1942 को जातीय सरकार बानी, जो एक सितम्बर, 1944 तक चली।
जातीय सरकार ने तूफान पीड़ितों को राहत पहुँचाने का कार्य सभाला, स्कूलों को अनुदान दिया और एक सशक्त विधुत वाहिनी का गठन किया।
सर्वाधिक दृघ्कालिक एवं प्रभावी समानांतर सरकार इस समय महाराष्ट्र के सतारा जिले में बनी। इसके प्रमुख नेता नाना पाटिल, वाईo वीo चवहन, अच्युत पटवर्धन आदि थे। इस समानांतर सरकार ने न्यायदान मंडलो या जनता की अदालतों की स्थापना की। पूर्ण नशाबंदी लागू की और गांधीवादी विवाहों का आयोजन किया।
सितम्बर, 1942 के बाद बढ़ते हुए ब्रिटिश दमन के कारण आंदोलन अपने तृतीय व अन्तिम चरण में भूमिगत हो गया।
अखिल भारतीय स्तर के भूमिगत नेताओं में अच्युत पटवर्धन, अरुणा आसफ अली, राममनोहर लोहिया, सुचेता कृपलानी, जैय प्रकाश नारायण आदि मुख्य थे।
जय प्रकाश नारायण को आंदोलन के आरंभ में गिरफतार कर हजारी बाग सेंट्रल जेल में रखा गया था।
9 नवम्बर, 1942 को जयप्रकाश नारायण अपने पांच साथियों के साथ जेल की दिवार फांद कर फरार हो गये और एक ‘केंद्रीय संग्राम समिति’ (सेन्ट्रल एक्शन कमेटी ) का गठन किया।
भूमि आंदोलनकारियों ने कांग्रेस रेडियो का भी संचालन किया, भूमिगत कांग्रेस रेडियो के संचालक मुख्यतः उषा मेहत, राममनोहर लोहिया, बीo एम० खाकर आदि थे।
राम मनोहर लोहिया नियमित रूप से बम्बई रेडियो स्टेशन से प्रसारण करते थे।
भूमिगत नेताओं में सुचेता कृपलानी, छोटुभाई पुराणिक, बीजू पटनायक आर० पी० गोयनका आदि गोला – बारूद आदि विस्फोटक सामग्री एकत्र कर गुप्त संगठनों में बांटते थे।