Wednesday, October 30, 2024
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1971 का बांग्लादेश स्वतंत्रा संग्राम

1971 का बांग्लादेश
स्वतंत्रा संग्राम
 

 

बांग्लादेश का स्वतंत्र्ता  संग्राम 1971  में हुआ था इसे मुक्ति संग्राम भी कहते है।  यह युद्ध वर्ष 1971  में  3 -15 दिसंबर युद्ध  तक चला  था।  इस रक्तरंजित युद्ध
के माध्यम से बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वाधीनता प्राप्त की
16  दिसम्बर  सन  1971 को बांग्लादेश बना
था।
  भारत
ने
93 हजार
पाकिस्तानी
  घुटने
टेकने पर मजबूर कर
  दिया
था।
1971 के
पहले बांग्लादेश पाकिस्तान का एक प्रान्त था जिसका पूर्वी पाकिस्तान का
  प्रांत था।  जबकि वर्तमान
पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान कहते थे।
  कई सालो के संघर्ष और पाकिस्तान की सेना
के अत्याचार और बांग्लाभाषियों के दमन को विरोध में पूर्वी पाकिस्तान के लोग सड़को
पर उतर आए थे।
 
1971 
में आजादी के आंदोलन को कुचले के लिए पाकिस्तानी सेना ने
पूर्वी पाकिस्तान के लोगो पर जम कर अत्याचार किए।
  लाखो लोगो  मौत को घाट उतार दिया
गया
30 लाख
लोगो को पस्च्मि पकिस्तान ने कटवा दिया।
  और अनगिनत 4 लाख महिलाओ के साथ
बलात्कार किया।
  पूर्वी
पाकिस्तान की यह हालत बहोत ही शर्मसार थी।
 

 

भारत ने पड़ोसी  देश के नाते इस जुल्म
का विरोध किया और क्रांतिकारियों की मदद की।
  इसका नतीहै यह हुआ की भारत और पाकिस्तान
की बिच सीधी जंग हुई। जिसमें
  पाकिस्तान को  शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। इस लड़ाई में भारत ने
पकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबुर
  क्र दिया।  इसके साथ ही दक्षिण
एशिया में एक नए देश का उदय हुआ।
 

 

 
पृष्ठ
भुमि
 

 

14 अगस्त
1947  को
धर्म पर आधारित स्वतंत्र पाकिस्तान देश का गठन हुआ तत्कालीन पाकिस्तान की दो भाग
थे पूर्वी पाकिस्तान एवं पश्चिमी पाकिस्तान एवं दोनों ही भाग में समाजिक आर्थिक
एवं शैक्षणिक
  समानताएं  नहीं थी।  संसाधनों के अनुसार
पूर्वी पाकिस्तान जयदा समृद्ध था लेकिन राजनितिक रूप से
  पश्चिमी पाकिस्तान
ज्यादा पर्खावैं हावी था।
 
इस
प्रकार एक ही देश के दो भागो में पायी जाने वाली समाजिक एवं आर्थिक विषमताएं एवं
प्रभुत्व जनो के द्वारा सत्ता के ऊपर नियंत्रण करने की प्रवृति
  ही देश व्यापी असंतोष
एवं अंत में
1971 में
बांग्लादेश के गठन का कारन बानी।
 

पकिस्तान के गठन के समय पश्चिमी क्षेत्र
में सिंधी पठान बलोच और मुजाहिरो
  की बड़ी संख्या थी जब्कि  पूर्व  हिस्से में बंगाली बोलने वालो की बहुमत
था।
  हालांकि  पूर्वी भाग में
रहनीतिक चेतनाओं की कमी नहीं
  पुर्वी 
पाकिस्तानी
कोगो में जबरदस्त जराजगी थी और इसी नराजगी का राजनितिक लाभ लेने के लिए बांग्लादेश
के नेता शेख मुजीब – ऊर- रहमान ने आवामी लीग का गठन
  किया और पाकिस्तान के अंदर ही और  स्वायत्तता की मांग
की
1970  में
हुए आम चुनाव में पूर्वी क्षेत्र में शेख पार्टी ने जबर्दस्त
  विजय हासिल की।  उनके दल  ने संसद में बहुमत भी
हासिल की।
  लेकिन
बजाये उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के उन्हें जेल में डाल
  दिया गया और यही से
पाकिस्तान के विभाजन की नीव पड़ती है।
  

1971 के
समय पाकिस्तान में जनरल याहा
  खान राष्ट्रपति थे और उन्होंने पूर्वी हिस्से में फैली नराजगी
जो दूर करने के लिए जनरल टिक्का खान को जिम्मेदारी दी। लेकिन उनके द्वारा दबाव से
मामले हल करने का प्रयास किये गये। जिससे स्थिति बिगड़ गई।
 

 

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध

 3
-15
दिसंबर तक युद्ध चला था। पूर्वी पाकिस्तान के इस हिस्से में
सेना एवं पुलिस की अगुआई में जबरदस्त नरसंहार हुआ इससे पाकिस्तान सेना में काम कर
 रहे पुर्वी  क्षेत्र के निवासियों
में जबर्दस्त आक्रोश हुआ।
 इस
युद्ध में भारत ने भी अपनी वीरता दिखाई और पाकिस्तान को धुल चटा
  दिया।  93000 सेनिको को आत्म
समर्पण
करने के लिए भारत ने पाकिस्तान को बाध्य किया। बांग्लादेश स्वतंत्र हुआ
 

 

बांग्लादेश स्वतंत्र 

उन्होंने अलग मुक्ति वाहिनी बना ली (
मुक्ति वाहिनी एक दल थी जो पूर्वी पकिस्तान के लोगो ने पकिस्तान के सेनिको के साथ
अपने हक की लड़ाई लड़ी ) पाकिस्तानी फौज का निरपराध
  वाहिनी लोगो पर अत्याचार जारी रहा जिससे
लोगो का पलायन आरंभ
 
हो
गया जिसके कारन भारत ने अंतराष्ट्रीय
  समुदाय से लगातार अपील की कि पूर्वी
पाकिस्तान की स्थिति सुधरी जाए
  परन्तु किसी ने ध्यान नहीं दिया।  और जब पूर्वी
पाकिस्तान के लोग लगातार भारत आते गए तो अप्रैल
  1971  में तत्कालीन
प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने मुक्ति वाहिनी को
  समर्थन दिया और बंगलादेश  को आजाद कराने  का  निर्णय लिया। 

Click below link :-

ताशकंद समझौता 1966 


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