Tuesday, November 19, 2024
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All Facts about Gotam budh


    बौद्ध  धर्म 

                           

 बौद्ध धर्म  एक बहुत ही शांति प्रिय प्रवृति को मानने वाला धर्म
है। बौद्ध धर्म की उत्पत्ति
  भारत में ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व
ही हो चुका था। बौद्ध धर्म उस काल का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध धर्मो मेसे एक था। इस
धर्म को मानने वाले जयादातर लोग
 चीनजापान,कोरियाथाईलैंडकंबोडियाश्रीलंकानेपालभूटानऔर भारत आदि देशों में रहते
है।
 

 

इस धर्म में मोक्ष को मान्यता दी
जाती है। धर्म को
 दो शब्दों में बौद्ध धर्म को
व्यक्त
 किया जा सकता है – अभ्यास और जागृति बौद्ध धर्म नास्तिकों
  है। कर्म ही जीवन में
सुख और दुख लाता है। सभी कर्म मुक्त हो जाना ही मोक्ष
  है। कर्म से मिक्त
होने या ज्ञान प्राप्ति हेतु मध्यम मार्ग अपनाते व्यक्ति को
 चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग अभ्यास कहना चाहिए यही मोक्ष
प्राप्ति है।
 

 

बुद्ध का परिचय :-  बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बौद्ध थे।
बुद्ध का मतलब होता है
 प्रज्ञावान अथवा जागृत  प्रज्ञावान या जागृत वह होता हैजिसकी सारी इच्छाएँ  समाप्त हो चुकी हो। बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था।  इनका गोत्र गौतम था।  पिता का नाम शुदोधन था,  कपिलवस्तु  शाक्यकुल  मुखिया थे,  माता का नाम महामाया। था  इसका जन्म कपिलवस्तु के निकट लुम्बनी नामक स्थान
पर हुआ था
 उनकी माता के मृत्यु उपरांत उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने ही गौतम बुद्ध को पाला 
 

 

महान ऋषियों द्वारा की गई भविष्यवाणी थी की यह या तो श्रेष्ठ राजा होंगे  बार घूमते हुए इन्होने 4  चीजों को देखाजो चार सत्य कहलायेएक बूढ़े व्यकित को
(मृत्यु )
और एक सन्यासी को ( परिव्राजक )। 

सन्यासी को देखकर बुद्ध को अपार संतोष हुआ और रात जब इनकी पत्नी
यशोधरा
 ने पुत्र राहुल जन्म दिया थाउसी रात अपने सारथि चन्ना और घोड़ा कंथक  अपने गृह त्याग। किया  गृह त्याग की घटना महाभिनिष्क्रमण कहलायी। 

 

बुद्ध की शिक्षा  :-  बुद्ध  ने सबसे पहले आलार
कलाम से उपनिषद की शिक्षा प्राप्त की तथा इसके पश्चात्य रुद्रक राम पुत्र से
सांख्य दर्शन की शिक्षा प्राप्त की।
  लेकिन इन्हे संतोष
नहीं मिला
इसके पश्चात ये उरुवेला पहुँचेयहाँ  इन्होंने पाँच  सन्यासियों  के साथ तपस्या किया।  जिसका उदेश्य दुःख के
रहस्य
  जानना थावे सफल नहीं हुए।
जिसके उपरांत बुद्ध गया पहुँचे
जहाँ  निरंजना नदी (फल्गु
नदी )
 के तट पर अस्वथ ( पीपल ) के
वृक्ष के निकट सुजाता नामक
  कन्या से खीर के रूप
में भोजन ग्रहण किया और
  वृक्ष के निचे यह प्रण करते हुए बैठ गये  कि जब तक दुःख  के रहस्य नहीं जान
लेंगे उठेंगे नहीं।
  इसी क्रम में कुछ इन्द्रिय  भौतिक सुख भोगने वाले
असुरो
  ने उनकी तपस्या में बाधा डालने की कोशिश
की
लेकिन बुद्ध डरे नहीं  इसके बाद असुर ने अपने
तीन पुत्री आमंट
 कमाना और वासना को तपस्या भंग करने भेजालेकिन बुद्ध डटे  रहे।  अंततः 49वे दिन बुद्ध  को ज्ञान कि प्राप्ति
हुई।
 दुःख का रहस्य जान गए और बुद्ध  कहलाये। अंतः
बौद्ध धर्म
  इनके ज्ञान प्राप्ति के घटना को निर्वाण के नाम से
जाना जाता है।
 

 

भगवान् बुद्ध दवारा दिये उपदेश :- गौतम बुद्ध  ने सबसे  के ऋषिपतनम के मृगदाव में पांच सन्यासियों  को अपना  पहला उपदेश दिया,  उपदेश धर्मचक्र
परिवर्तन के नाम से जाना।
  इसके पश्चात बुद्ध
निरंतर अपने का
  प्रसार करते रहे।  वर्षा के चार माह उदज
(गुफा ) निवास करते थे
  आगे चलकर विहार में
बदल गया। बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश कौशल की राजधानी श्रावस्ती में
  अंतिम वर्श्वास वैशाली
में बिता
 इसके उपरांत बुद्ध  पावाग्रम (पावापुरी)
गये
जहाँ कुन्द नामक  लौहार अंतिम भोजन
ग्रहण किये। पाली ग्रंथ के अनुसार इन्होने सुकर माधाव (सूअर) ग्रहण
 कियाइस कारण  इन्हे अमितसार
(पेचिस) रोग
 
हुआ और जब ये मल्ल  की राजधानी कुशीनगर पहुँचेतब 480ईस्वी में 80 वर्ष की अवस्था में
इनकी
 मृत्यु हो गई। 

 

गौतम बुद्ध  की मृत्यु के पश्चात्य उनके अवशेष के रूप में राख  को विभिन्न स्थानों पर भेजा गया तथा
इन्हे धरती के अंदर गाड़कर स्तूप 8 का निर्माण किया
 गया।  जैसे – पाटलिपुत्र  नरेश अजातशत्रु ने राजगीर पर्वत पर बौद्ध
स्तूप
 का निर्माण करवाया।  मौर्य शासक अशोक ने
साँची और भरहुत के स्तूप
 का निर्माण करवाया। बौद्ध  धर्म के महायान शाखा
ने बुद्ध
  के अवतार बौद्धसत्व की कल्पना की। बौद्ध
धर्म में आ रही समस्याओं
  को दूर करने के लिए
बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया।
  चार बौद्ध  संगीति का आयोजन किया
गया।
 

 Part – 1

 

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