अजित डोभाल
जन्म:- 20 जनवरी1945 में गढ़वाल उत्तराखंड
उपनाम:- जेम्स बोंड
पिता:- गुणनाद डोभाल
पत्नी:– अनु डोभाल
बेटा:- शौर्य डोभाल
अजित डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक
गढ़वाली परिवार हुआ। इनके पिता का नाम गुणनाद
डोभाल है । उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर
के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और
पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। कड़ी मेहनत के बल
पर 1968 में
आईपीएस के लिए चुन लिए गए।
अजीत डोभाल 1968
में केरल कैडर से आईपीएस में चुने गए थे, 2005 में
इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं। वह सक्रिय रूप
से मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं। अजीत डोभाल, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।
वे 30 मई 2014 से इस पद पर हैं। डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
हैं।
अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में
भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल
फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोभाल ने ललडेंगा के सात
में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को
मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपनाना पड़ा था।
डोभाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए
रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी।
जब 1999 में
इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था
तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को
कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था।
अजीत जी ने सेना प्रमुख के साथ म्यांमार के बाहर चल रहे आतंकवादियों के खिलाफ अभियान
में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, यह अभियान 50
आतंकवादियों को ढेर करते हुये एक सफल अभियान साबित हुआ था.
अजीत डोभाल को पाकिस्तान के संबंध में
भारतीय सुरक्षा नीतियों में बदलाव करने का श्रेय भी प्राप्त है. साल 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में अजीत जी कि
भूमिका को भी अहम माना जाता है, कहा जाता है कि इन्ही की योजना से भारत अपने
लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुआ है।
साल 2018 में इन्हे स्ट्रेटेजिक
पॉलिसी ग्रुप का अध्यक्ष भी न्युक्त किया गया है. इसके अलावा अभी हाल ही में
पुलवामा आतंकी हमला के जवाब में भारतीय वायु सेना द्वारा किए गई
जवाबी कार्यवाही में भी अजीत जी की भूमिका को अहम था।
1984 में भारतीय सेना
द्वारा चलाया गया ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के वक़्त आपने पाकिस्तानी जासूस की
भूमिका निभाकर खालिस्तानियों का का विश्वास जीत कर सेना को गुप् सूचना मुहैया
करवाकर आपरेशन सफल बनाया।
जो मैडल
किसी आईपीएस अफसर को 17 साल बाद दिया जाता है वो मैडल आपने सेवा के सिर्फ 6 सालो में
ही पा लिया था। पकिस्तान में 7 साल जासूस बनकर बिताये और इसी दौरान आप वहाँ की
आर्मी में मार्शल की पोस्ट तक पभारत के एक
मात्र non
army person हैं जिन्हें कीर्ति चक्र
और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया है। से नवाजा
गया।
बलोचिस्तान में RAW को फिर से
एक्टिव करके उसे अंतराष्ट्रीय मुद्दा बनाया।
जब 1993 में
खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बंधक बनाया तो अपने उसे बचाने की भी सफल
योजना बनायी।
डोभाल कई ऐसे खतरनाक कारनामों को
अंजाम दे चुके हैं जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के
किस्से भी फीके लगते हैं।
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