Monday, November 18, 2024
HomeBIOGRAPHY#Biography of Rani Gaidinliu #रानी गाइन्दिल्यु की जीवनी। - learnindia24hours

#Biography of Rani Gaidinliu #रानी गाइन्दिल्यु की जीवनी। – learnindia24hours

 

            रानी गाइन्दिल्यु/Rani Gaidinliu


जन्म:- 26 जनवरी 1919

मृत्यु:- फरवरी 1993

पिता:- लोत्तनोहोड़

माता:- कलोतनेनल्यु

रानी गाइन्दिल्यु का जन्म 26 जनवरी 1919 के दिन नुड्काओ
गाँव के कबुई
परिवार में हुआ | इनके पिता का नाम लोत्तनोहोड़
था और माता का नाम कलोतनेनल्यु था |

13 वर्ष की
आयु में वह नागा नेता जादोनाग के सम्पर्क में आईं।
जादोनाग मणिपुर से अंग्रेज़ों को निकाल बाहर करने के प्रयत्न में लगे हुए थे। वे
अपने आन्दोलन को क्रियात्मक रूप दे पाते, उससे पहले ही गिरफ्तार करके अंग्रेजों ने
उन्हें 29 अगस्त, 1931 को फांसी पर लटका दिया।

अब स्वतंत्रता के लिए चल रहे आन्दोलन
का नेतृत्व बालिका गाइदिनल्यू के हाथों में आ गया। उसने गांधी
जी
के आन्दोलन के बारे में सुनकर सरकार को किसी प्रकार का कर न देने की घोषणा की। उसने नागाओं के कबीलों में एकता
स्थापित करके अंग्रेज़ों के विरुद्ध संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए कदम उठाये।

सोलह वर्ष की इस बालिका ने केवल चार हज़ार सशस्त्र नागा सिपाही को लेकर गाइदिनल्यू ने
अंग्रेज़ों की सेना का सामना किया। वह छापामार युद्ध
और शस्त्र संचालन में अत्यन्त निपुण थी। अंग्रेज उन्हें बड़ी खूंखार नेता मानते थे।
 रानी द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन को
दबाने के लिए अंग्रेज़ों ने वहाँ के कई गांव जलाकर राख कर दिए। पर इससे लोगों का
उत्साह कम नहीं हुआ। सशस्त्र नागाओं ने एक दिन खुलेआम ‘असम
राइफल्स
’ की सरकारी चौकी पर हमला कर दिया। स्थान बदलते, अंग्रेज़ों की सेना
पर छापामार प्रहार करते हुए गाइदिनल्यू ने एक इतना बड़ा क़िला बनाने का निश्चय
किया, जिसमें उनके चार हज़ार नागा साथी रह सकें। इस पर काम चल ही रहा था कि 17 अप्रैल, 1932 को अंग्रेज़ों की सेना ने अचानक आक्रमण
कर दिया। गाइदिनल्यू गिरफ़्तार कर ली गईं। उन पर
मुकदमा चला और कारावास की सज़ा हुई। उन्होंने चौदह वर्ष
जेल
में बिताए।

 सन 1946 में जब नेहरू
प्रधानमंत्री
बने तब उनके निर्देश रानी गाइदिनल्यू को तुरा जेल से रिहा कर
दिया गया। अपनी रिहाई से पहले उन्होंने लगभग 14 साल विभिन्न जेलों में काटे थे।
रिहाई के बाद वे अपने लोगों के विकास के लिए कार्य करती रहीं। रानी गाइदिनल्यू नागा नेशनल कौंसिल (एन.एन.सी.) का विरोध करती थीं
क्योंकि वे नागालैंड को भारत से अलग करने चाहते थे एन.एन.सी.उनका इस बात के लिए भी
विरोध कर रहे थे क्योंकि वे परंपरागत नागा धर्म और रीति-रिवाजों को पुनर्जीवित
करने का प्रयास भी कर रही थीं। नागा कबीलों की आपसी स्पर्धा के कारण रानी को अपने
सहयोगियों के साथ 1960 में भूमिगत हो जाना पड़ा और
भारत सरकार के साथ एक समझौते के बाद वे 6 साल बाद 1966 में
बाहर आयीं।

फ़रवरी 1966 में
वे दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शाष्त्री
से मिलीं और एक पृथक ज़ेलिआन्ग्रोन्ग प्रशासनिक इकाई की मां की। इसके बाद उनके
समर्थकों ने आत्म-समर्पण कर दिया जिनमें से कुछ को
नागालैंड आर्म्ड पुलिस में भर्ती कर लिया गया । भारत
की नागा आध्यात्मिक एवं राजनीतिक नेत्री थीं जिन्होने भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया। भारत की
स्वतंत्रता के लिए रानी गाइदिनल्यू ने नागालैण्ड में क्रांतिकारी आन्दोलन चलाया
था। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के समान ही वीरतापूर्ण कार्य करने के लिए इन्हें ‘नागालैण्ड की रानी लक्ष्मीबाई’ कहा जाता है।

सन 1972 में उन्हें
‘ताम्रपत्र स्वतंत्रता सेनानी पुरस्कार’, 1982 में पद्म भूषण
, 1983 में ‘विवेकानंद सेवा पुरस्कार’ 1996 बिरसा मुंडा पुरस्‍कार, एवं उनकी
स्‍मृति में 1996 में डाक टिकट भी जारी किया गया

17 फरवरी 1993 को 78 साल
की आयु में उनका निधन हो गया।


 ———————————————————————————————————

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments