डोंगरिया कोंध जनजाति कौन है और डोंगरिया जनजाति चर्चा में क्यों है?
डोंगरिया कोंध जनजाति भारत के ओडिशा राज्य में निवास करने वाली एक आदिवासी समुदाय है। यह जनजाति अपनी अनूठी संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली के लिए जानी जाती है। डोंगरिया कोंध जनजाति मुख्य रूप से नयागढ़, रायगढ़ और कंधमाल जिलों के पहाड़ी और जंगल क्षेत्रों में पाई जाती है। यहाँ डोंगरिया कोंध जनजाति के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:
डोंगरिया जनजाति चर्चा में क्यों है?
- अगर हम डोंगरियाकोंध जनजाति के विषय में बात करे तो इस जनजाति में कोरोना वायरस
के संक्रमण का पहला मामला सामने आया है। जिसके कारण कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासन ने विशेष रूप से डोंगरिया कोंध जनजाति के गाँव में डोर- टू-डोर सर्वेक्षण शुरू किया है। - डोगरिया जनजाति COVID -19 की पहली लहर में COVID के सम्पर्क में नहीं आई थी।वह इससे अछूताथी।
- पोषण की कमी और एकांत जीवन शैली कारण डोंगरिया कोंध जनजाति की रोग प्रतिरोकक्षमता कम है जो अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
- डोंगरिया कोंध पहाड़ियों में फैले गाँवों में रहते है। इस जनजाति का मानना है की नियमगिरि पहाड़ियों की ढलानों पर खेती करना उनका अधिकार है इन्हे नियम राजा ने दिया है तथा ये लोग नियम राजा को अपना शाही वंशज मानते है।
भौगोलिक स्थिति:
- डोंगरिया कोंध जनजाति ओडिशा राज्य के नयागढ़, रायगढ़ और कंधमाल जिलों के नर्मदा और कुटिया पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करती है।
- ये लोग मुख्य रूप से नयागढ़ के नियामगिरी पहाड़ियों में बसे हैं।
आजीविका:
- डोंगरिया कोंध जनजाति कृषि पर निर्भर रहती है। ये लोग झूम खेती (शिफ्टिंग कल्टिवेशन) करते हैं, जिसमें पहाड़ी ढलानों पर खेती की जाती है।
- इनके प्रमुख फसलों में बाजरा, मक्का, ज्वार, दलहन और तिलहन शामिल हैं।
- ये लोग जंगल से भी कई प्रकार की वन उपज जैसे कंद, जड़ी-बूटी, फल, और शहद एकत्र करते हैं, जो उनकी आजीविका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन:
- डोंगरिया कोंध जनजाति की समाज संरचना पितृसत्तात्मक है, लेकिन महिलाएं भी परिवार और समुदाय के महत्वपूर्ण निर्णयों में भाग लेती हैं।
- इनकी पारंपरिक वेशभूषा रंग-बिरंगी होती है। पुरुष और महिलाएं दोनों ही गहने पहनते हैं, जिनमें मोतियों, सीपियों और धातु के बने गहने प्रमुख हैं।
- डोंगरिया जनजाति में आभुषण पहनने , गोदना तथा केश सज्जा जैसे श्रृंगार भी की जाती है।
महिला नाक में तीन बालियाँ और अन्य गोलाकार रिंग गले में पहनती है वहीं पुरुष नाक में दो बालियाँ पहनता है। इसके आलावा महिला कैश सज्जा के लिए किलिप इत्यादि का इस्तेमाल करती है। - इनके समाज में नृत्य, संगीत और लोकगीतों का विशेष स्थान है। ये लोग अपने त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान पारंपरिक नृत्य और संगीत का प्रदर्शन करते हैं।
धार्मिक मान्यताएँ:
- डोंगरिया कोंध जनजाति प्रकृति पूजक है। ये लोग पहाड़, जंगल, नदी और पेड़-पौधों को पूजते हैं।
- इनकी प्रमुख देवी धरनी पेनू (धरती माता) हैं, जिनकी पूजा फसल की बुवाई और कटाई के समय की जाती है।
- इनके धार्मिक अनुष्ठानों में बलिदान का विशेष महत्व होता है, जिसमें जानवरों की बलि दी जाती है।
- इनलोगों को दुर्लभ औषधीयो जड़ी – बुटियों का ज्ञान भी है। जिसका इस्तेमाल ये भिन्न बिमारियो के इलाज के लिए करते है।
वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ:
- डोंगरिया कोंध जनजाति विकास के कई योजनाओं के चलते विस्थापन और अन्य सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है।
- नियामगिरी पहाड़ियों में बॉक्साइट खनन को लेकर डोंगरिया कोंध जनजाति ने विरोध प्रदर्शन किया है, क्योंकि यह उनके पारंपरिक जीवन और पर्यावरण को खतरे में डालता है।
- सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
डोंगरिया कोंध जनजाति का जीवन प्रकृति के साथ गहरे संबंधों पर आधारित है, और उनकी संस्कृति और परंपराएँ हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।