Monday, November 18, 2024
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Indo – Pak war 1965/ भारत – पाकिस्तान युद्ध 1965 learnindia24hours

      


   इण्डो – पाकिस्तान युद्ध  1965 कारण क्या थे 


 इण्डो – पाकिस्तान युद्ध जो 1965  में भारत और पकिस्तान के बिच हुआ था।  जिसका प्रभाव न केवल इन  दोनों देशो के ऊपर अथवा अन्य देशो पर भी पड़ा क्योंकी आगे चलकर इसने विदेशीक मामलो को भी प्रभावित करने का काम किया था।  अथवा  भारत और पाकिस्तान के जो रिश्ते थे अन्य विदेशीक राष्ट्रों  को भी निर्धारित किया था।  भारत पाकिस्तान का युद्ध न केवल इन दोनों देशो अथवा अंतराष्ट्रीय  परिदृश्य  में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 1965 के युद्ध को  हम कश्मीर युद्ध के नाम से भी जानते है। 




1965 के युद्ध का इतिहास:-

 1965 युद्ध की आधारशिला 1947 भारतीय स्वतंत्रता में जो सबसे विवाद्स्पदा  वाला सवाल था वह  काश्मीर विभाजन को लेकर था। क्योंकि  काश्मीर पे पाकिस्तान अपना अधिकार बताता था वही भारत, काश्मीर को अपना एक अभिन्न अंग बताते था और यह जो कारण  था 1947 का यह  इण्डो – पकिस्तान युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक कारण था।  

कच्छ के रण विभाजन:-

पाकिस्तान द्वारा उनके ईरादे  जनवरी 1965 में देखा गया क्योकि अपनी सेना को गुजरात के कच्छ  के रण  की सिमा। पे तैनात प्रारंभ कर दी थी  जिसके  कारण 8 अप्रैल  को भारत और पकिस्तान में सैन्य ठिकानो को लेकर विवाद हुआ। यद्पि इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री हेरोल्ड विल्सन के द्वारा इस मामले की गंभीरता को सुधारने  के लिए दोनों के मध्य सुलाह  करने की कोशिश की। 


 


हेरोल्ड विल्सन के द्वारा ट्रिव्यूलेन का गठन :-

ट्रिव्यूनल का गठन किया था ताकि वह इस युद्ध को सुलझा सके परंतु यह असफल हुआ 


नदियों के लिए मदभेद:-

भारत – पाक  युद्ध 1965  के बिच का कारण  यह युद्ध की पृष्ठ्भूमि  में नदियों की भी महत्वपूर्ण 

भूमिका रही थी।  जैसा की हम जानते है भारत और पाक  के मध्य पांच नदी है। जिसके लिए भारत पाकिस्तान में नदी जल बंटवारा को लेकर मतभेद हो रहा था । 


 जिसमे सिंधु,  चिनाब, सतलुज, ब्यास और रवि का पानी भारत से होकर गुजरता था। 1948  में भारत में नदियों  का पानी बंद कर दिया गया था।  इससे भी भारत और पाकिस्तान  के मध्य काफी दरार आ चुकी थी। 

भारत पाक  के 1965  के युद्ध के संदर्भ में नहरू और आयुब  खान के बिच सिंधु जल संधि हुई थी।  इस संधि के अनुसार भारत सतलुज, ब्यास और रावी नदी का पानी पर अपनाधिकार  दावा  रखगा।  एवं इसका प्रयोग भी करेगा। यही पाकिस्तान झेलम, चेनाब और सिंधु नहीं के पानी  पर अपना आधिकारिक दावा  रखगा एवं इसका प्रयोग करेगा। 

पाकिस्तानी घुसपैठ भारत में :-

इसी समय हमे देखने को मिलता है की अप्रैल 1965 से ही काश्मीर में पाकिस्तानी  घुसपैठ  का प्रवेश प्रारंभ हो गया था और इसके लिए एक अभियान भी रखा गया था।  जिसका नाम ऑपरेशन जिब्राल्टर था।  पकिस्तान काश्मीर के क्षेत्र में लगातार घुसपैठ वह षडियंत्र कर रहे थे। अन्त में 9 अगस्त 1965 को पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़  दी।  जिसमे लगभग 26000 पाकिस्तानी  सैनिक काश्मीर राज्य में प्रवेश कर रहे थे। 


भारतीय सेना की प्रक्रिया :-

15 अगस्त को भारतीय सेना को जानकारी प्राप्त हुई इस प्रक्रिय के बारे में और भारत की सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों  के खिलाफ हमला बोल दिया।  जिसके बाद पाकिस्तानियो के द्वारा कब्जा किये हुए तीन पहाड़ियों को मुक्त करवा लिया। 


 

भुमि और क्षेत्रो के लिए विद्रोह :- 

पाकिस्तान द्वारा कई  इलाकों  पर कब्जा कर लिया था जिसमे उरी और पुंछ  महत्वपूर्ण क्षेत्र थे।


भारत ने भी पाकिस्तान के अधिकार वाले क्षेत्र जो आधी कश्मीर का हिस्सा था। उसके हाजी पीर दर्रे वाले क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।  इससे पाकिस्तान  के सेनाओ में भय उतपन्न हो गया था की कही मुजफ्फराबाद पर भी भारत कब्जा न कर ले। 


भारतीय ऑपरेशन  ग्रैंड स्लैम प्रारंभ कर पाकिस्तान के अखनूर और जम्मु  पर हमला कर दिया था हाजीपुर दर्रे से पाकिस्तान भयभीत होकर युद्ध टेंक और सेना को भारी मात्रा में युद्ध मैदान में भिजा दिया था। 


भारत उस स्थिति के लिए तैयार नहीं था जिसका फायदा पाकिस्तानी सेना को मिला इस स्थिति से निकलने के लिए भारतीय सेनिको ने हवाई हमले करना प्रारंभ कर दिया था।  जिसके कारण  भारत के विरुद्ध पाकिस्तान ने भी भारत के पंजाब एवं कश्मीर इलाको पर हमला कर दिया था। भारतीय सेना को यह चिंता  हो रही हो रही थी की अगर पाकिस्तानी सेना अखनूर पर कब्ज़ा कर लेगी तो सहज ही पाकिस्तान का कब्जा कश्मीर पर हो जाएगा।  यही कारण था कि भारतीय सेना ने अपनी पुरी ताकत अखनूर को बचने में लगा दिया था। 


 

इसी समय पाकिस्तान द्वारा  कमांडर को  बदल दिया गया मेजर जेनरल याहिया खान को भेजा गया था। जिसके द्वारा में हिस्सा तो लिया गया था लेकिन  यह सफल नहीं हो पाया था।  


इसी तरह  भारत ने अतिरिक्त फौज और हथियार अखनूर में भेज दिया।  जिससे की अखनूर सुरक्षित हो गया था उसी समय भारत ने अंतराष्ट्रीय सीमा को पार करते हुए हुए पश्चिम मोर्चा पर हमला बोल दिया था।  इस भारतीय फौज का नेतृत्व विश्व युद्ध में शामिल रहे मेजर जेनरल प्रसाद कर रहे थे भारतीय सेना ने एछेगल  नहर को पार करते हुए  पाकिस्तानी  सिमा में घुसपैठ कर  दी थी तथा आगे बढ़ते  हुए प्रयास किया था। 


 भारतीय सेना लाहौर हवाई अड्डे :- 

भारतीय सेना के द्वारा लाहौर हवाई अड्डे के समीप अपना डेरा डाल दिया था।  इसे पाकिस्तान भयभीत हो गया था।  जिसके कारण  उसने अमेरिका से मदद मांगी।  


अमेरिका द्वारा भारत – पाकिस्तान  के मध्य हस्तक्षेप :-

अमेरिका द्वारा भारत से आग्रह किया गया की  कुछ समय के लिए युद्ध को विराम कर दिया जाये ताकि  पाकिस्तान लाहौर में रहे अपने नागरिक को निकाल सके।  भारत ने मानवीय पक्ष को देखते हुए यह बात को मान ली थी।  यह स्थिति पुरे युद्ध को परिवर्तन करने वाला रहा था। 


 पाकिस्तान के द्वारा लाहौर पर दबाब को कम  करने के लिए खेम करण  पर हमला कर दिया गया। लाहोर में भारतीयों का रहना उनके हित  में अच्छा हुआ क्योकि उसके पश्चात पाकिस्तानी सेना का दबाब अखनूर में  कम हो गया था। 


मुनाबाओ:-

8 सितंबर पाकिस्तान के द्वारा मुनवाओ पर आक्रमण कर  दिया गया था।  जिसमे भारत के मराठा रेजिमेंट के कई सैनिक शहिद हो गये  थे। तथा 10 सितंबर  को मुनाबाओ पर पाकिस्तान का कब्जा करने के बाद पाकिस्तान अमृतसर पर भी कब्जा करना चाह रहा था।  जिसे भारतीय सेना द्वारा लगातार हमला कर के रोक दिया गया।  

पाकिस्तान के 97 टेंक नष्ट हुए वह इसके अपेक्षा भारत के केवल 30 टैंक ही नष्ट हुई थी।  


भारती य सेना ने मुख्य रूप से लाहौर सियालकोट और कश्मीर के उपजाऊ इलाको को अपने  कब्जे में ले लिया। इस युद्ध में भारत की जित हुई थी। 

5 सितंबर को युद्ध विराम हुआ था जिसमे दोनों देशों की क्षति भारी मात्रा में हुई और युद्ध 17 दिनों तक चला था जिसके बाद ताशकंद समझौता 11 जनवरी 1966 में हुआ।   

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महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/ What is Mahalwari and Ryotwari system?————-

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रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/What is Rayotwari System? ————————

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