झारखण्ड की स्थानीयता नीति क्या है
झारखण्ड की स्थानीयता नीति राज्य में रोजगार और शिक्षा में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से बनाई गई है। इस नीति का उद्देश्य झारखण्ड के स्थानीय लोगों को रोजगार और शैक्षिक अवसरों में प्राथमिकता देकर उनके सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यहाँ इस नीति के प्रमुख बिंदु दिए गए हैं, हर राज्य, देश, क्षेत्र या सिमा इत्यादि पे शासक या सरकार द्वारा लगाया जाता है, इस निति के अंतर्गत बनाई गई नियमों के तहत ही किसी व्यक्ति, समुदाय या जाती को किसी राज्य, देश या क्षेत्र के सिमा में नागरिक वह निवासी का दर्जा प्राप्त हो सकता है।
झारखण्ड सरकार द्वारा 7 अप्रैल, 2016 को राज्य गठन के 15 वर्षों के बाद स्थानीयता नीति की घोषणा की गई है। इस नीति के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में अगले 10 वर्षों तक राज्य तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय पदों की सरकारी नौकरियाँ स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दी गयी है। इस नीति के तह्त वैसे भारतीय नागरिकों को झारखण्ड का स्थानीय निवासी माना जाएगा, जो निम्न्लिखित में से किसी एक शर्त को पूरा करता हो —
- झारखण्ड राज्य के भौगोलिक सीमा में निवास करता हो एवं स्वयं अथवा पूर्वज के नाम गत सर्वे खतियान में दर्ज हो। भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्रामसभा द्वारा की जाएगी, जो झारखण्ड में प्रचलित भाषा, संस्कृति एवं परंपरा पर आधारित होगी। Read More
किसी व्यापार, नियोजन एवं अन्य कारणों से झारखण्ड की भौगोलिक सिमा में विगत 30 वर्षो या अधिक अवधि से निवास करता हो एवं अचल संपत्ति अर्जित की हो या ऐसे व्यक्ति की पत्नी/पति/संतान हो एवं झारखण्ड में निवास करने की प्रतिबद्धता रखने का प्रतिज्ञान करता हो।
झारखण्ड राज्य सरकार/राज्य सरकार द्वारा संचालित/मान्यता प्राप्त संस्थानों, निगम आदि में नियुक्त एवं कार्यरत पदाधिकारी/कर्मचारी या उनकी पत्नी/संतान हो एवं झारखण्ड राज्य में निवास करने की प्रतिबद्धता रखने का प्रतिज्ञान करता हो।
भारत सरकार कापदाधिकारी/कर्मचारी जो झारखण्ड राज्य में कार्यरत हो या उनकी पत्नी/पति/संतान हो एवं झारखण्ड राज्य में निवास करने करने की प्रतिबद्धता का प्रतिज्ञान करता हो। झारखण्ड राज्य में किसी संवैधानिक या विधिक पदों पर नियुक्त व्यक्ति उनकी पत्नी/पति/संतान हो एवं झारखण्ड राज्य में निवास करने की प्रतिबद्धता का प्रतिज्ञान करता हो।
ऐसा व्यक्ति, जिसका जन्म झारखण्ड में हुआ हो तथा जिसने अपनी मेट्रिकुलेशन अथवा समकक्ष स्तर तक की पूरी शिक्षा झारखण्ड स्थित मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्राप्त की हो तथा एवं झारखण्ड राज्य में निवास करने की प्रतिबद्धता का प्रतिज्ञान हो।
झारखण्ड की स्थानीयता नीति में और भी महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं जो राज्य के विकास और स्थानीय निवासियों के सशक्तिकरण को सुनिश्चित करते हैं। आइए इन पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें:
- स्थानीयता के प्रमाण के लिए दस्तावेज़:
- 1932 के खतियान: जिन लोगों के पूर्वजों के नाम 1932 के खतियान (भूमि रिकॉर्ड) में दर्ज हैं, उन्हें स्थानीय निवासी माना जाएगा।
- जन्म प्रमाणपत्र: झारखण्ड में जन्मे व्यक्ति, जिनके पास झारखण्ड का जन्म प्रमाणपत्र है, उन्हें भी स्थानीय निवासी माना जाएगा।
- अन्य प्रमाण पत्र: झारखण्ड में लगातार 30 साल से निवास करने का प्रमाण प्रस्तुत करने वाले व्यक्तियों को भी स्थानीय निवासी माना जा सकता है।
- स्थानीय उद्योगों में रोजगार:
- राज्य में स्थापित होने वाले नए उद्योगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने कुल कर्मचारियों में से कम से कम 75% झारखण्ड के स्थानीय निवासियों को रोजगार दें।
- पुराने उद्योगों को भी अपने कर्मचारियों की समीक्षा करके इस नियम का पालन करना होगा।
- शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण:-
- राज्य के सरकारी और निजी शैक्षिक संस्थानों में स्थानीय विद्यार्थियों के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी।
- राज्य के मेडिकल, इंजीनियरिंग, और अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज में प्रवेश के समय स्थानीय विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- स्थानीय भाषाओं और संस्कृतियों का संरक्षण:
- राज्य सरकार स्थानीय भाषाओं, संस्कृतियों और पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष योजनाएँ बनाएगी।
- स्थानीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रमों में इन्हें शामिल किया जाएगा।
- स्थानीयता के विवादों का समाधान:
- स्थानीयता के विवादों को सुलझाने के लिए जिला स्तर पर विशेष समितियाँ बनाई गई हैं। यह समितियाँ सुनिश्चित करेंगी कि नीति का पालन निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो।
- स्थानीयता नीति के फायदों की पहुँच:
- नीति का लाभ सभी जिलों के निवासियों को मिले, इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में नीति के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
- निगरानी और सुधार:
- नीति के कार्यान्वयन की नियमित निगरानी की जाएगी और समय-समय पर इसमें सुधार किए जाएंगे।
- स्थानीयता नीति की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी जो यह सुनिश्चित करेगी कि नीति का उद्देश्य पूरा हो रहा है और इसमें आवश्यक बदलाव सुझाएगी।
- विशेष योजनाएँ और कार्यक्रम:
- राज्य सरकार द्वारा स्थानीय निवासियों के विकास के लिए विशेष योजनाएँ और कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इनमें कौशल विकास, स्वरोजगार, और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल होंगे।
झारखण्ड की स्थानीयता नीति का उद्देश्य राज्य के स्थानीय निवासियों को रोजगार और शिक्षा में बेहतर अवसर प्रदान करना और राज्य के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। यह नीति राज्य के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।