Monday, December 23, 2024
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मुण्डा जनजाति की शासन व्यवस्था क्या है पूरी जानकारी

 

मुण्डा
जनजाति जो झारखण्ड की एक प्रमुख जनजातियों में से एक है। और मुण्डा जनजातियों की मुण्डा शासन व्यवस्था ‘ जो कुछ इस प्रकार से है।

मुण्डा  जनजाति की शासन
व्यवस्था को
 ‘मुण्डा
शासन व्यवस्था
 ‘ कहा जाता है। 

 मुण्डा  शब्द का सामान्य अर्थ
विशिष्ट व्यक्ति तथा विशिष्ट अर्थ गाँव
  का राजनितिक प्रमुख होता है। 

 मुण्डा
शासन व्यवस्था
  सम्बंधित महत्वपूर्ण पदोंसंगठनों एवं संबंधित
तथ्यों का विवरण निम्नलिखत है :-

मुण्डा:- 

 

 

 

 

 

 

·       यह मुण्डा गाँव का प्रधान होता
है।
 

·       यह पद वशांनुगत होता है। 

·        इसका प्रमुख कार्य ग्रामीणों से
लगान वसूलना
गाँव की विधि व्यवस्था बनाये रखना तथा
गाँवो के
 विवादों निपटारा करना होता है। 

·         मुण्डाओ द्वारा निर्मित खेत को खुंटकट्टी
भूमि कहा जाता है।
 तथा इस भूमि को निर्मित करने
वाला
 खुंटकट्टीदार कहलाता है

·        मुण्डा शासन व्यवस्था खूंट का अर्थ ‘ परिवार ‘ होता है। 

 हातू  मुण्डा:-

 

·       यह ग्राम पंचायत प्रधान होता है।
मुण्डा ग्राम पंचायत को
 ‘ हातू ‘ कहा जाता

·       है। 

 

 परहा/पड़हा:-

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

·       कई गॉँव बानी पंचायत (अंतर्ग्रमीण पंचायत) को परहा/पड़हा कहा जाता
है।
 

·       परहा/पड़हा पंचायत प्रमुख कार्य दो या अधिक गाँवो
के
 विवादों का निपटाराकरना है। यह
मुण्डाजनजाति शासन व्यवस्था के सर्वोच्च
   पर अवस्थित है। 

·        इसे मुण्डा जनजाति सर्वोच्च न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा विधायिका की
संज्ञा दी जा सकती है।
 

·       पड़हा पंचायत का सर्वोच्च अधिकारी
पड़हा
 राजा होता है। 

·       पड़हा राजा  के अन्य प्रमुख अधिकारी कुवरलाल तथा कार्तो होते है। 

·       विभिन्न अधिकारी का विवरण
निम्नलिखित है
 

Ø   ठाकुर – राजा का सहायक 

Ø   दीवान – राजा का मंत्री 

Ø   पाण्डेय – दस्तावेज़ों का रखरखाव
करने वाला अधिकारी
 

Ø  बरकंदाज – गाँव का सिपाही 

Ø  दरोगा – सभा की कार्यवाही का
नियंत्रण
 

Ø   लाल – सभा का वकील 

Ø   परंपरागत मुण्डा प्रशासन में महिलाओं को
उच्च स्थान प्रदान नहीं किया जाता है।
 

आखड़ा:-

·  पड़हा पंचायत स्थल को अखड़ा कहा
जाता है।
 यह गाँव का सांस्कृतिक केंद्र भी
होता है।
  

 मानक:-

· पड़हा पंचायत के प्रधान को मानकी कहा जाता है। यह पद वंशनुगत होता है। 

पाहन: 

 

 

· मुण्डा गाँव का धार्मिक प्रधान पाहन कहलाता है।

पाहन गाँव  में शांति बनाये रखने हेतु पूजा
– पाठ तथा बलि चढ़ाने का कार्य करता है। कार्यों
  के संचालन हेतु पाहन लगान मुक्त
भूमि प्रदान की जाती है
  जिसे डाली – कटारी भूमि कहा जाता
है।

 महतो: 

 

· यह पाहन का सहायक होता है। 

· यह मुख्यतः गॉंव संदेशवाहक का कार्य करता है। 

 

भुत – खेत:

 

 

·  गॉंव को भुत -प्रेत से बचाने के
लिए पहन द्वारा विशेष पूजा की जाती है इस लिए पाहन को अतिरिक्त भूमि प्रदान की
जाती है जिसे भुत खेता
 कहा जाता है। इसकी उपज आय भुत –
प्रेत की पूजा व्यवस्ता का संचालन
 किया जाता है। 

पुजार/पनभरा:

·  पहन का सहायक पुजार/पनभरा कहलाता है। 

पड़हा राजा: 

   ·   यह पड़हा पंचायत का सर्वोच्च अधिकारी होता है। 

अन्य तथ्य: 

 

·  इस जनजाति की शासन व्यवस्था दीवानठाकुरकोटवारपांडेकर्ता तथा आदि नामक अधिकारी होते हैपड़हा राजा को शसन संचलन में सहयोग
प्रदान करते है ।

 

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