Wednesday, October 30, 2024
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न्याय की देवी : की मूर्ति में हुए बदलाव और मूर्ति का इतिहास।

न्याय की देवी की मूर्ति में हुए बदलाव

न्याय की देवी के आँखों से हटी पट्टी और अब न्याय की देवी देख सकती है, अब भारतीय कानून को अँधा कानून नहीं कहा जाएगा।
न्याय की देवी के हाथो में अब तलवार के जगह भारतीय संबिधान हैं, अगर हम वेशभूषा की बात करे तो भारतीय मूल के वस्त्रा/आभूषण भी धारण की हुई है।
जैसा की कई सोशल मीडियाओ के माध्यम से हमें यह जानकारी प्राप्त हुई है की सुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी की मूर्ति में बड़े बदलाव किये गए है. अभी तक इस प्रतिमा पर लगाया गया पर्दा हटाया जा चूका है। जिससे हमें कई बदलाव देखने को मिलते है।

सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों का कहना है की नई प्रतिमा पिछले साल बनाई गई थी और अप्रैल 2003 में नई जज लाइब्रेरी के पास स्थापित की गई थी लेकिन अब इसकी तस्वीरें वायरल हो रही है।

नयी मूर्ति

  • न्याय की देवी कौन है ?

भारत के सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी, जिसे “दिव्य न्याय” के रूप में भी जाना जाता है, की नई मूर्ति स्थापित की गई है। इस मूर्ति का उद्देश्य न्याय की भावना और उसकी महत्ता को दर्शाना है। यह मूर्ति न्याय के प्रतीक के रूप में खड़ी है और इसे न्यायालय परिसर में एक महत्वपूर्ण स्थान पर रखा गया है।

यह मूर्ति आमतौर पर देवी की पारंपरिक आकृति में होती है, जिसमें एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में तराजू होता है। यह न्याय और निष्पक्षता का प्रतीक है। इस स्थापना का उद्देश्य समाज में न्याय के प्रति जागरूकता बढ़ाना और नागरिकों में विश्वास स्थापित करना है।

पुरानी मूर्ति

 

 

  • क्या आप मूर्ति की विशेषताओं या इसे स्थापित करने के पीछे के विचारों के बारे में अधिक जानना चाहेंगे?

इस नई मूर्ति की स्थापना भारत के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ाती है। यह मूर्ति न्याय की देवी, जो कि प्राचीन ग्रीक संस्कृति से प्रेरित है, का एक आधुनिक रूप है। मूर्ति की डिजाइन और निर्माण में स्थानीय कारीगरों और कलाकारों की सहभागिता रही है, जिससे यह और भी खास बन गई है।

इस स्थापना के पीछे का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य न्यायालय की साख को और मजबूत करना और लोगों के बीच न्याय के प्रति विश्वास बढ़ाना है। मूर्ति का अनावरण समारोह में न्यायपालिका के कई महत्वपूर्ण सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए थे, जिन्होंने न्याय और समानता के मूल्यों पर जोर दिया।

मूर्ति के चारों ओर एक समर्पित क्षेत्र भी बनाया गया है, जहां लोग आकर न्याय के प्रति अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। यह स्थान न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि यह सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है कि वे न्याय की रक्षा के लिए अपने कर्तव्यों को समझें और निभाएं।

इस तरह की पहलों से यह संदेश मिलता है कि न्याय केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण मूल्य है।

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