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राष्ट्र संघ I गाठन का कारण

राष्ट्र संघ परिभाषा

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राष्ट्र संघ (League of Nations) की स्थापना के मुख्य कारण निम्नलिखित थे:

 

  1. प्रथम विश्व युद्ध की विनाशलीला: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में हुए व्यापक विनाश और जनहानि ने यह स्पष्ट कर दिया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक संगठन की आवश्यकता है। इस युद्ध ने यह साबित कर दिया कि अगर देशों के बीच मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से नहीं सुलझाया गया तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

 

  1. शांति और सुरक्षा की आवश्यकता: युद्ध के बाद एक ऐसा मंच तैयार करने की आवश्यकता महसूस हुई जहां देशों के बीच विवादों का शांतिपूर्ण समाधान हो सके। इस प्रकार के संगठन की आवश्यकता थी जो सदस्य देशों के बीच वार्ता और मध्यस्थता के माध्यम से संघर्षों को हल कर सके।

 

  1. अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: राष्ट्र संघ का उद्देश्य न केवल युद्ध को रोकना था बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग को भी बढ़ावा देना था। यह संगठन अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों को भी प्रोत्साहित करता था।

 

  1. वर्साय की संधि: प्रथम विश्व युद्ध के बाद, वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) के तहत राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने “चौदह बिंदुओं” (Fourteen Points) में इस संगठन की स्थापना का सुझाव दिया था। हालांकि, अमेरिका स्वयं राष्ट्र संघ का सदस्य नहीं बना।

 

  1. सामूहिक सुरक्षा का सिद्धांत: राष्ट्र संघ की स्थापना के पीछे सामूहिक सुरक्षा (collective security) का विचार था। इसके अनुसार, किसी भी सदस्य देश पर हमला पूरे संघ पर हमला माना जाएगा और सभी सदस्य मिलकर उस आक्रमणकारी देश का विरोध करेंगे।

 

राष्ट्र संघ की स्थापना इन उद्देश्यों और कारणों के आधार पर की गई थी, लेकिन अपने उद्देश्यों को पूर्ण रूप से प्राप्त करने में यह संगठन सफल नहीं हो सका और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसे भंग कर दिया गया। इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का गठन किया गया, जो आज भी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने का कार्य कर रहा है।

 

राष्ट्र संघ की स्थापना के अतिरिक्त कारणों और इसके कार्यों के बारे में विस्तार से:

 

  1. विश्वव्यापी संघर्ष को रोकना:

– राष्ट्र संघ का चार्टर: राष्ट्र संघ का चार्टर एक अंतरराष्ट्रीय समझौता था जिसे सभी सदस्य देशों ने स्वीकार किया। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सदस्य देश अपनी विवादों को युद्ध के बजाय वार्ता और मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाएं।

– न्यायिक समाधान: राष्ट्र संघ के तहत स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (Permanent Court of International Justice) की स्थापना की गई थी, जो अंतरराष्ट्रीय विवादों का न्यायिक समाधान करता था।

 

  1. अंतरराष्ट्रीय सहयोग:

– सामाजिक और आर्थिक मुद्दे: राष्ट्र संघ ने स्वास्थ्य, श्रम, आप्रवास, तस्करी, और मादक पदार्थों के नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित किया। इसके विभिन्न आयोग और समितियां इन मुद्दों पर काम करती थीं।

– अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO): 1919 में, राष्ट्र संघ के एक अंग के रूप में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और बेहतर श्रम स्थितियों को सुनिश्चित करना था।

 

  1. संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान:

– विवाद समाधान तंत्र: राष्ट्र संघ ने कई अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का प्रयास किया, जैसे कि अल्बानिया, ग्रीस-बुल्गारिया विवाद, और मछली पकड़ने के अधिकारों के संबंध में कई विवाद।

– निरस्त्रीकरण: राष्ट्र संघ निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देने के प्रयास में भी शामिल था। इसके तहत, सैन्य बलों को कम करने और हथियारों के नियंत्रण को प्रोत्साहित किया गया।

 

  1. मानवाधिकार और कानून:

– अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा: राष्ट्र संघ ने विभिन्न देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश की। इसके लिए विशेष आयोग और समितियां स्थापित की गईं।

– अंतरराष्ट्रीय संधियाँ: राष्ट्र संघ ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों की निगरानी की, जैसे कि नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने और शरणार्थियों की सहायता के लिए संधियाँ।

 

  1. वैश्विक स्वास्थ्य और महामारी नियंत्रण:

– स्वास्थ्य संगठन: राष्ट्र संघ के तहत स्वास्थ्य संगठन (Health Organization) की स्थापना की गई, जिसने वैश्विक स्तर पर महामारी और संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने के प्रयास किए। इसने बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नींव रखी।

 

  1. असफलताएँ और चुनौतियाँ:

– संयुक्त राज्य अमेरिका की गैर-भागीदारी: अमेरिका, जिसने राष्ट्र संघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अंततः इसका सदस्य नहीं बना। इसकी वजह से राष्ट्र संघ की प्रभावशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

– द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत: राष्ट्र संघ द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में विफल रहा, जो इसकी सबसे बड़ी असफलता मानी जाती है। इससे संगठन की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता पर सवाल उठे।

 

  1. उत्तराधिकार और संयुक्त राष्ट्र का गठन:

– संयुक्त राष्ट्र का गठन: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, राष्ट्र संघ की विफलताओं से सीख लेकर एक नए और अधिक प्रभावी संगठन की आवश्यकता महसूस की गई। इस प्रकार 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का गठन किया गया।

– सिद्धांत और उद्देश्य: संयुक्त राष्ट्र ने राष्ट्र संघ के कई सिद्धांतों और उद्देश्यों को अपनाया, लेकिन इसके संगठनात्मक ढांचे और कार्यप्रणाली में सुधार किए गए ताकि यह अधिक प्रभावी हो सके।

 

राष्ट्र संघ की स्थापना के ये सभी कारण और इसके विभिन्न कार्य इस बात को स्पष्ट करते हैं कि इस संगठन ने वैश्विक शांति और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, भले ही इसे अपनी सभी आकांक्षाओं में सफलता नहीं मिली।