जन्म – 4 जनवरी 1809
मृत्यु – 6 जनवरी 1852
फ्रांस के शिक्षाविद तथा अन्वेषक थे जिन्होने अंधों के लिये लिखने
तथा पढ़ने की प्रणाली विकसित की। यह पद्धति ब्रेल लिपि
नाम से जगप्रसिद्ध है। ब्रेल लिपि के
निर्माण से नेत्रहीनों की पढ़ने की कठिनाई को मिटाने वाले लुई स्वयम भी नेत्रहीन
थे। लुई ने अपनी आखें एक दुर्घटना में गवां दी। तीन
वर्ष की उम्र में एक लोहे का सूजा लुई की आँख में घुस गया।
1819 में इस दस वर्षीय लूई को ‘ रायल
इन्स्टीट्यूट फार ब्लाइन्डस् ’ में दाखिला मिला । लुइस ब्रेल ने आठ वर्षो के अथक परिश्रम से इस
लिपि में अनेक संशोधन किये और अंततः 1829 में छह बिन्दुओ पर
आधारित ऐसी लिपि बनाने में सफल हुये। मगर इसे शिक्षाशाष्त्रियों द्वारा मान्यता
नहीं दी गयी । लुइस 43 वर्ष की अवस्था
में अंततः 1852 में उनकी मृत्यु हो गई ।
लुइस ब्रेल द्वारा अविष्कृत छह बिन्दुओ पर आधारित लिपि उनकी मृत्यु के उपरान्त
दृष्ठिहीनों के मध्य लगातार लोकप्रिय होती गयी। लुइस की मृत्यु के पूरे एक सौ वर्षों के
बाद फ्रांस में 20 जून 1952 का दिन उनके सम्मान का दिवस निर्धारित किया
गया। इस दिन उनके ग्रह ग्राम कुप्रे में सौ वर्ष पूर्व दफनाये गये उनके पार्थिव
शरीर के अवशेष पूरे राजकीय सम्मान के साथ बाहर निकाले गये। लुइस के शरीर के अवशेष
ससम्मान निकाले गये। सेना के द्वारा बजायी गयी शोक धुन के बीच राष्ट्रीय ध्वज में
उन्हें पुनः लपेटा गया और अपनी ऐतिहासिक भूल के लिये माफी मांगा गया ।उन्हें
राष्ट्रीय सम्मान के साथ पुनः दफनाया गया।
भारत
सरकार द्वारा सम्मान
· भारत सरकार ने 4 जनवरी 2009 में लुइस ब्रेल के
सम्मान में डाक
टिकिट जारी किया है ।
महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/ What is Mahalwari and Ryotwari system?————-
रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/What is Rayotwari System? ————————