Wednesday, December 25, 2024
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रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/What is Rayotwari System?/for exam:-NTPC,RRB,UPSC .. -learnindia24hours

इन बिंदुओं  पर चर्चा होगी :-

·       रैयतवाड़ी  व्यवस्था
क्यों लाया गया ?

·       रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?

·       रैयतवाड़ी व्यवस्था कब लागू हुई ?

·       रैयतवाड़ी व्यवस्था किसके द्वारा
लया  गया ?

·       रैयतवाड़ी व्यवस्था कहा –
कहा  लागु  थी ?

·       रैयतवाड़ी
व्यवस्था  कितने प्रतिशत भूमि पर       लागू थी ?

·       भू – राजस्व का निर्धारण कैसे
किया जाता           था?

·       रैयतवाड़ी व्यवस्था  के
दोष ?

 

 

 रैयतवाड़ी  व्यवस्था क्यों लाया गया ?

 

अंग्रेजों ने अपने बढ़ते हुए खर्चों पूर्ति और आर्थिक मात्रा धन कमाने
के उदेश्य  से भारत के पारंपरिक  भू – व्यवस्था में हस्तक्षेप
करना प्रारंभ किया।आरंभ में क्लाइव और उसके उत्तराधिकारियों ने व्यापक
बदलाव करते हुए बिचौलियों  की माध्यम से भू – राजस्व की वसूली की।

 

 इसके बाद विभिन्न प्रशासकों ने विभिन्न क्षेत्रों में की प्रकार की
भू – राजस्व व्यवस्थाएँ चलाई। जैसे – इजारेदारी प्रथा , स्थायी बंदोबस्त
, रैयतवाड़ी और महलवाड़ी व्यवस्था।

 

परन्तु बाद में रैयतवाड़ी व्यवस्था लाने  का कारण :-

 

* बिचौलियों (जमींदारों )  वर्ग  समाप्त करना

* सरकार स्थायी बंदोबस्त के दोषो को  चाहती थी

* क्योकि स्थायी बंदोबस्ती में निश्चित राशि से अधिक वसूली की गयी
सारी  रकम जमींदारों द्वारा हड़प लिया जाता था।

* इसके आलावा दक्षिण और  दक्षिण पश्चिमी भारत में इतने बड़े
जमींदार नहीं है की इनसे स्थायी बंदोबस्त किया जा सके।

 

 

रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?

 

इसमें रैयतों/किसानों  को भूमि का मालिकाना हक़ प्रदान किया
गया।  अब किसान स्वयं कंपनी को भू – राजस्व देने के लिए उत्तरदायी
थे।  इस व्यवस्था में भू- राजस्व राजस्व  का निर्धारण उपज के आधार
पर नहीं बल्कि भूमि की क्षेत्रफल के आधार पर किया गया। भूमि कर न देने की स्तिथि
में भूमिदार को , भूस्वामित्व के अधिकार से वंचित  होना पड़ता था।

 

रैयतवाड़ी व्यवस्था कब लागू हुई ?

 

1802  ईस्वी में

 

किसके द्वारा लया  गया ?

उस समय मद्रास के तत्कालीन गवर्नर टॉमस मुनरो ने यह व्यवस्था
लाई  थी।

 

रैयतवाड़ी व्यवस्था कहा – कहा  लागु  थी ?

 

यह व्यवस्था  मद्रास, बंबई ( वर्तमान में मुम्बई ) एवं
असम  के कुछ भागों  में लागू की गई थी।

 

 रैयतवाड़ी
व्यवस्था  कितने प्रतिशत भूमि पर लागू थी ?

 

 51% भूमि पर लागू थी।

 

 भू – राजस्व का निर्धारण कैसे किया जाता था?

 

 भू – राजस्व निर्धारण वास्तविक उपज की मात्रा पर न करके भूमि के
क्षेत्रफल के आधार पर 

किया जाता था।

 

 रैयतवाड़ी
व्यवस्था  के दोष ?

 * ग्रामीण  समाज की सामूहिक स्वामित्व की
अवधरणा  समाप्त।

* जमींदारों का स्थान स्वयं ब्रिटिश सरकार  ने ले लिया।

* सरकार  ने अधिकधिक राजस्व वसूलने के लिये  मनमानी
ढंग से भू – राजस्व 
का निर्धारण किया।

 * लगान  की दर अधिक हो गया। 

 * किसान का भूमि पर तब तक ही स्वामित्व रहता था, जब तक की यह
लगान 
की         राशि सरकार को निश्चित समय  भीतर
अदा  करता रहे।

 


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