Saturday, July 27, 2024
HomeHomeआधुनिक भारत में शिक्षा का विकास और शिक्षा के क्षेत्र में किया...

आधुनिक भारत में शिक्षा का विकास और शिक्षा के क्षेत्र में किया गये महत्वपूर्ण कार्य।

 

आधुनिक भारत में शिक्षा का विकास और शिक्षा के क्षेत्र में किया गये महत्वपूर्ण कार्य। 

 

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने शासन के प्रारम्भिक दिनों में भारत में शिक्षा के प्रसार के लिए कोई प्रयास नहीं किया। इन दिनों कुछ उदार अंग्रेजों ईसाई मिशनरियों और उत्साही भारतीयों ने इस दिशा  में प्रयास किया।  

1780 ई. में वॉरेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता में मदरसा की स्थपना की थी. इसके प्रथम प्रमुख (नजिन ) मौलवी मुइज – उद – दींन  थे, इस मदरसे में फारसी, अरबी और मुस्लिम कानून पढ़ाया जाता था और इसके स्नातक ब्रिटिशराज में दुभाषिए (Interpreter ) के रूप में सहायक करते थे। 1791 ई. में बनासर के ब्रिटिश रेजिडेंट जोनाथन डंकन के प्रयत्नो के फलस्वरूप बनारस में एक (प्रथम )संस्कृत कॉलेज खोला गया, जिसका उदेश्य ”हिन्दुओं के धर्म,साहित्य और कानून का अध्यन्न करना था ”

 

 

1781 में हेस्टिंगस के सहयोग सर विलियम जोंस ने एशियाटिक सोसायटी और बंगाल की स्थापना की जिसने प्राचीन भारतीय इतिहास के संस्कृतिक और अध्यनन हेतु महत्वपूर्ण प्रयास किये। ब्रिटिश रेजीडेण्ट जोनाथन डंकन द्वारा 1791 में वाराणसी में हिन्दू कानून और दर्शन हेतु सस्कृत कॉलेज की स्थापना की। 

 

 

1800 ईस्वी वेलेजली द्वारा कम्पनी केअसैनिक अधिकारियों की शिक्षा के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की गई। अग्रेंज धर्म प्रचारक एवं ईसाई मिशनरियों ने भारत में शिक्षा के प्रसार हेतु सिरामपुर ( कलकत्ता )को अपना क्रेन्द्र बनाया तथा बाइबिल का 26 भाषाओं में अनुवाद किया। 

 

 

राजाराम मोहन राय, राधाकांत देव्, महाराज तेजसेन, चन्द्र राय बहादुर आदि के प्रयासों से भारत में शिक्षा के क्षेत्र में कुछ प्रगति हुई राजा राममोहन राय डेविड हेयर और सर हाइट ने मिल जुलकर कोलकाता में हिंदू कॉलेज की स्थापना की जो कालांतर में प्रेसिडेंसी कॉलेज बना। ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में शिक्षा के क्षेत्र में वास्तविक प्रयास 1813 ईस्वी में किया गया। 1813 का चार्टर एक्ट में गवर्नर जनरल कोअधिकार दिया गया कि बस एक लाख लाख रूपये भारतीयों के शिक्षा पर खर्च करें। 

 

 

लोक शिक्षा की  सामान्य के दस सदस्य भारत में शिक्षा के माध्यम के विषय पर दो गुटों में विभाजित थे, जिसमे एक प्राच्य विद्या समर्थक दल था तथा दूसरा आंग्ल शिक्षा समर्थक का था। 

 

 

प्राच्य शिक्षा समर्थक दल के नेता एच. टी. प्रिंसेप तथा एच. एच. विल्सन थे। प्राच्य विद्या  समर्थक का मानना था की भारत में संस्कृत अरबी अध्यन्न को प्रोत्साहन दिया जाये। एक गुट जो बम्बई में सक्रीय था तथा जिसके मुनरो और एलिफिंस्टन थे, वे पाश्चात्य शिक्षा को स्थानीय देशी भाषा में देने के समर्थन थे। 

 

दुसरे और आंग्लवादी दल ने भारत में शिक्षाके माध्यम रुप मेंअंग्रेजी की वकालत की। उनका विश्वास था की यदि अंग्रेजी भाषा के माध्यम के रुप में अपनाया गया तो आने वाले वर्षों बंगाल के सभ्य वर्ग में एक भी मूर्तिपूजक नहीं रहेंगे।  

 

 

प्राच्य – पाश्चात्य विवाद जनरल विलियम बैंटिक अपने कौंसिल के विधि सदस्य  लॉर्ड मैकाले को लोक शिक्षा समिति का प्रधान नियुक्ति किया। 2 फ़रवरी 1935 को मैकाले ने अपना स्मरणार्थ लेख प्रस्तुत किया मैकाले ने भारतीय भाषा  साहित्य  तीख़ी आलोचना करते हुए अंग्रेजी शिक्षा की वकालत की। 

 

 

मैकाले के अनुसार – यूरोप के एक अच्छे पुस्तकालय की आलमारी का एक तख्ता भारत और अरब के समस्त साहित्य से अधिक मूलयवान है। 

 

 

मैकाले भारत अंग्रेजी शिक्षा द्वारा एक ऐसी वर्ग तैयार करना चाहता था – जो रक्त और रंग से भारतीय हो परन्तु प्रवृति, विचार, नैतिकता और प्रज्ञा से अंग्रेज हो। 

 

 

गवर्नर जनरल बैंटिक ने मैकाले के सुझाव के आधार पर अंग्रेजी शिक्षा लागू किया। 

 

 

शिक्षा के क्षेत्र में किये गए कार्य 

 

* चार्ल्स विन्लिकिस ने ‘ भगवदगीता ‘ का प्रथम आंग्ल अनुवाद किया, जिसकी प्रस्तावना स्वयं वॉरेन हेस्टिंग्स ने लिखी। 

 

* विन्लिकिस ने फ़ारसी तथा बंगाल मुद्रण  के लिए दलाई के अक्षरों का अविष्कार किया। 

 

* हॉलहेड ने 1778 ई. संस्कृत व्याकरण प्रकाशित किया। 

 

* सर विलियम जोंस वॉरेन हेस्टिंग्स के समय कलकत्ता उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश नियुक्ति हुए। 

 

* ‘ एशियाटिक रिसर्चेज ‘ ( Asiatic Researches ) नामक परीका के माध्यम से भारत के अतीत को प्रकाश में लाने का कार्य किया. 

 

* इसी कर्म में इन्होंने 1789 ई.  में कालिदास रचित ‘ अभिज्ञानशकुंतलम ‘ का अंग्रेजी में अनुवाद किया एवं इसके पांच संस्करण प्रकाशित किए। 

——————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————–
 OTHER TOPICS LINK:–
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments