Saturday, July 27, 2024
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लौरिया – नंदनगढ़ ( बिहार )/महाविहार

 

लौरियानंदनगढ़ अशोक स्तम्भ

लौरिया नंदनगढ़ अशोक स्तम्भ भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण धातुक ध्वज है जो चंपारन जिले के लौरिया आराज में स्थित है। यह एक प्राचीन मौर्य शिलालेख है जो मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था। यह बिहार के चम्पारण जिले में बेतिया से लगभग से लगभग 25 किमी. उत्तर – पश्चिम में स्थित है।  यह अशोक स्तम्भ के लिए भी प्रसिद्ध है।

 

 

इस स्तम्भ की बनावट की अगर हम बात करे तो शीर्ष/ऊपर एक सिंह बना है। जो एक लम्बे स्तम्भ पे बेठा है, स्तम्भ की बनावट पे बहोत ही कुशल कारीगरी का उदहारण देखने को मिलता है और यह दृश्य बहुत ही शोभनीय लगती है। इस स्तभ की जानकारी हमें अशोक के सप्त धम्म लेख अंकित अभिलेख से मिलती हैं. इसकी ऊंचाई लगभग 40 फुट  है।

 

लौरिया नंदनगढ़ अशोक स्तम्भ की उच्चता लगभग 25 फीट है और यह संग्रहालय में स्थित है। इस स्तम्भ पर शिलालेखों की कई पंक्तियाँ और चित्रण है जो मौर्य साम्राज्य की विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। इसमें सम्राट अशोक के विचार, उनके धर्मिक उद्देश्य, समाज के लिए मार्गदर्शन आदि का वर्णन किया गया है।

 

इस स्तम्भ के शिलालेखों में प्रमुख बातें यह हैं-

“लौरिया नंदनगढ़ अशोक स्तम्भ” में विशिष्ट विशेषताएँ शामिल हैं जो मौर्य सम्राट अशोक के संदेशों और विचारधारा को प्रकट करती हैं। यहाँ कुछ मुख्य विशेषताएँ हैं:

  1. धर्ममहामत्र शिलालेख: स्तम्भ के शुरुआती भाग में, सम्राट अशोक के धर्ममहामत्र (धर्मरक्षक) की भूमिका को विशेष रूप से दर्शाया गया है। यह लेख मनुष्यों को धर्म, अहिंसा, माता-पिता के प्रति श्रद्धा आदि की महत्वपूर्णता के बारे में शिक्षा देता है।
  2. यात्रापलिका शिलालेख: यह शिलालेख यात्रियों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रापलिका की महत्वपूर्णता को बताता है। यह अशोक के इरादे का प्रतिनिधित्व करता है कि वह यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा का पूरा ध्यान रखते थे।
  3. विनय शिलालेख: इस शिलालेख में अशोक ने विनय और सद्भावना के महत्व की बात की है। यह दर्शाता है कि विनय और मानवीयता के गुण व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर कैसे महत्वपूर्ण हैं।
  4. धर्म और समाज की संरचना: यह स्तम्भ अशोक के धर्म और समाज की संरचना को प्रकट करते हैं, जिसमें धार्मिक तात्कालिकता, अहिंसा, सामंजस्य जीवन और समरसता का प्रमोट किया गया था।
  5. धम्मसुता: स्तम्भ पर कई शिलालेखों में “धम्मसुता” के अनुसार धर्म, अहिंसा और सद्भावना के सिद्धांत पर चर्चा की गई है।

 

ये शिलालेख और चित्रण लौरिया नंदनगढ़ अशोक स्तम्भ को एक महत्वपूर्ण स्मारक बनाते हैं जो मौर्य सम्राट अशोक के सोच और धर्मिक दृष्टिकोण को हमें समझने में मदद करते हैं।

लौरिया नंदनगढ़ अशोक स्तम्भ ने हमें मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक के सोच और धर्मिक दृष्टिकोण का अद्भुत परिप्रेक्ष्य दिलाया है। इसमें विभिन्न शिलालेखों के माध्यम से अशोक की विचारधारा को समझाने का प्रयास किया गया है। यह एक प्राचीन और महत्वपूर्ण स्मारक है जो भारतीय सभ्यता और इतिहास की अमूल्य धरोहर का हिस्सा है।यह एक महत्वपूर्ण स्मारक है जो भारतीय इतिहास और संस्कृति के अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है।

 

लौरियानंदनगढ़ महाविहार

 

यहाँ खुदाई करने पर ईसा पूर्व 200 से 200 ई.पू. तक के काल की अनेक पुरावस्तुओं के अतिरिक्त एक विशाल स्तूप भी मिला है। यहाँ से प्राप्त मिटटी का बना सिक्का बनाने  साँचा है। इससे अनुमान लगाया गया है की लौरिया – नंदनगढ़ महाविहार का एक अपना टकसाल भी रहा होगा।

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