Saturday, July 27, 2024
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1971 भारत – पाकिस्तान युद्ध/1971 बांग्लादेश के स्वतंत्रा में भारत की अहम भुमिका?

बांग्लादेश के स्वतंत्रा में भारत
की अहम भुमिका


अप्रैल 1971 को 10 लाख
शरणार्थी भारत आने लगे जिसके कारण इंदिरा गाँधी
  भारतीय
जेनरल मनेकसाव
  को पूर्वी पाकिस्तान हमला करने को
कहा
  पश्चिमी सेना के विरुद्ध परन्तु।  पूर्वी पाकिस्तान के क्षेत्र में समय अधिक वर्षा के कारण  इंदिरा गाँधी को कहा की आप इस  युद्ध के नवंबर तक रोक ले। ताकि उनके
पास अपनी सेना को क्षेत्रीय वातावरण के हिसाब से परीक्षण देने का मौका मिल जाये और
इधर पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश के मुक्तिवाहिनी दल ) को भी  युद्ध परीक्षण
भी  युद्ध के लिए देपायेंगे।
 


भारत पर पाक द्वारा आकर्मण 

1971 में भारत रूस के मध्य हस्ताक्षर हो गया। जिसके बाद पकिस्तान को बारूद पर बैठा दिया गया बीएस इंतजार था एक चिंगारी की जिसको पाकिस्तान ने खुद लगा दिया और भारत को इसका फायदा
मिला ।
 

 

भारत पर पाकिस्तान द्वारा प्रारंभ  आक्रमण हुआ की 3 दिसंबर 1971  पठानकोट श्रीनगरआगरा हवाई अड्डे चंडीगढ़ पे ताबड़तोड़ हमला कर  दिया । 

उन्होंने अपने तोप टेंक इसके साथ -साथ हवाई जहाजों द्वारा भी भयंकर आक्रमण
हुआ। सभी पाकिस्तान सैनिक भारत में प्रवेश करने लगे।
 

 

भारत की स्थिति  युद्ध में 

राजस्थान के जयसलमेर जिला में एक स्थान है लोंगेवाला वहां  केवल 120  सैनिक भारत की ओर तैनात
थे।
  और यही पाकिस्तान से सोचा की 120  सैनिक को मार गिरा कर  वह भारत  आक्रमण करेंगे।  उस समय लोंगेवाला में
भारत के सैनिक मेजर कुलदीप चांदपुरी सिंह थे
  जिन्होंने
उस रात पाकिस्तानियों
  के साथ  केवल 120 सैनिक के साथ 2800  सेनिको  युद्ध टेंक बम  इत्यादियो से
 युद्ध की।
  और रात भर मेजर कुलदीप सिंह ने
बहोत ही वीरता के
  सेनाओं  को धुल चलाया।  रात भर  युद्ध
संभालने के बाद सुबह
  हंटर विमान ने बची कुचि   युद्ध को  भी जित लिया जिसमे पकिस्तान के  स्थिति दयनीय   युद्ध  में मारे
गए पाकिस्तानियो लासो को लेने तक नहीं आये। पकिस्तान के सिपाही
  डर के मारे नहीं आये क्योकि भयानक  युद्ध के कारण  रेगिनस्तान कब्रिस्तान हो गया था । 

 

जल सैना की वीरता 

इधर अरब  सगार   और से
पाकिस्तान ने
  जो एक सीपोर्ट  पुर्वी  पाकिस्तान समुन्द्र के रस्ते भेजा
जहाँ
  भारत का विक्रांत उससे लड़ने के लिए तैयार
बैठा था
  परन्तु भारतीय सेनिको ने चलाकी  से को  विशाखपट्नम बुलवाया और  राजपुत  ने मार दिया।  जिससे पाक परेशान हो गया और अमेरिका से मदद मांगी जहां 
UNO  में इस्पे सवाल भी उठा की पाक पे भारत द्वारा जुल्म
हो रहा है वही रशिया ने इस पर वीटो लाकर मनाही कर
  दी  और पाकिस्तान हतास हो गया  परन्तु अमेरिका ने अपने सातवा बड़ा  को
भारत के खिलाफ पाकिस्तान के तरफ से भेजा और
  भी
रूस
  मांगी और  परमाणु
पनडुब्बी और चालीसवाँ
  बड़ा  भेजा जो बहोत ही शक्तिशाली थी   

 

पकिस्तान के अलावा इस  युद्ध में शामिल देश 

पाकिस्तान के तरफ से अमेरिकाब्रिटेन  अगुवाई कर रहे थे।  और भारत के तरफ  रूस पुर्वी  पाकिस्तान ( बांग्लादेश )
अगुवाई
  कर  रहे
थे।
  जिसमे पकिस्तान  को भारत ने चेतावनी दी की आत्म समर्पण कर  ले नहीं तो  युद्ध नहीं रुकेगा।  और एयरफ़ोर्से ने बांग्लादेश (पूर्व पाकिस्तान ) के गवनर  के घर  दिया (A.H  मालिक ) ने उसके बाद त्याग पत्र दे दिया 

 

परिणाम 

16 दिसंबर को भारतपाक  के जनरल नियाजी से आत्म समर्पण करवाया भारत के लेप्टेरिन जनरल निर्मल जीत  अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण पत्र पर हस्तक्षेप कर  दिया।  बांग्लादेश  के ढाँचे  रेस्ट कोर्स पर किया। उसके बाद
सभी ने अपने हथियार
  निचे ढाल दिया। जिसके बाद  93000  सैनिक को जेल में
भारत द्वारा ढाल दिया। जिसके बाद बांग्लादेश स्वतंत्रा हुआ ।
 
और इस युद्ध को विजय दिवस के नाम से भी जाना जाता है।

इधर  पाकिस्तान ने सेख-मुजिम-ऊर- रेहमान स्वतंत्रा  हुए और अब वर्तमान में उनकी बेटी शेख हसीना बांग्लादेश को संभाल रही। भारत
और बांग्लादेश के मध्य मधुर सम्बन्ध बना है।
 

भारत ने अपने पड़ोसी देश के नाते बांग्लादेशियों की मदद की जिससे आज के
वर्तमान समय में भी दोनों देशो में मध्य व्यपारिक
राजनितिक इत्यादि
संभंध बहोत ही अच्छे है।
 

 

Click on below link:-

1971 का बांग्लादेश स्वतंत्रा संग्राम (learnindia24hours.com)

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