Monday, December 23, 2024
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SAARC का नक्शा 

सार्क के जब ऐतिहासिक
पृष्ठभूमि का हम अवलोकन करते है।
  तब हम यह देखते है की
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशो का एक आर्थिक
 राजनितिक
संगठन है।
 अगर हम इसकी स्थापना की बात करे तो इसकी
स्थापना
 दिसंबर 1985 में हुई। अगर सदस्य देशो की बात करे तो सदस्य
देश है। मालदीव
श्रीलंकाभारतपाकिस्ताननेपालभूटानबांग्लादेशयह सभी सातो देश इसके प्रारंभिक
सदस्य रहे। है सार्क के
 14वे सिखर सम्मलेन जिसका आयोजन
अप्रैल
 2007 में किया गया था। अफगनिस्तान को सार्क में आठवे सदस्य के रूप में सम्मलित किया गया था। अगर हम ऐतिहासिक पृष्ट भूमि का अवलोकन करे तो हम यह देखते कि  इस तरह के राजनितिक आर्थिक सर्वप्रथम 1917 में बांग्लादेश के राष्ट्रीपति जिआउर रेहमान के द्वारा प्रस्ताव दिया गया
था।
  1981 ईस्वी में जिआउर रेहमान के प्रस्ताव को
स्वीकार किया गया तथा
 1983 में आयोजित
अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में विदेश मंत्रियो ने
 अपनी सहमति
दी थी और इस प्रकार से सार्क
 8 देशों की एक
राजनितिक और आर्थिक संगठन के रूप
 वैश्विक पटल पर
उपस्थित हुआ।
 


स्थापना दिवस:- 8 दिसंबर 1985

 

मुख्यालय :- काठमांडू में स्थित है सार्क का संचालन सदस्य देशो के
मंत्री परिषद द्वारा नियुक्त महासचिव के माध्यम से किया जाता है।
 इस महासचिव की नियुक्ति 3 वर्षो के लिए वर्णमाला
कर्म के अनुसार की
 जाती है। 

 

उदेश्य :- सार्क का प्रमुख उदेश्य दक्षिण एशियाई देशों में लोक
कल्याण के साथ – साथ जीवन यापन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। दक्षिण एशियाई देशो
के बिच सामूहिक आत्मनिर्भर को बढ़ावा देना और
 मजबूती
प्रदान 
करनाआर्थिकसांस्कृतिकतकनिकी  और वैज्ञानिक जैसे क्षेत्रों में सक्रीय सहयोग वह आपसी
सहयोग को बढ़ावा देना है
 अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर उन्हें सहयोग प्रदान करना है। आर्थिक विकास सामाजिक और सांस्कृतिक विकास जैसे
क्षेत्रों
 में लाना और
सभी व्यक्तियों को आत्मसम्मान
 के साथ जीवन व्यतीत करने हेतु सुविधा देने तथा अंतराष्ट्रीय मंचो
और क्षेत्रीय संगठन 
के साथ मिलकर काम करना है। 


सार्क के सिद्धांतो का उल्लेख:-  सार्क चार्टर के अनुच्छेद 2 में सार्क सिद्धांतो का उल्लेख किया गया
है। इसमें स्पष्ट रूप से
 सदस्य राष्ट्र एक दूसरे 
के आंतरिक मामलो में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे। संगठन
के ढाँचे के अंतर्गत सहयोग प्रभुसत्ता संम्पन्न क्षेत्र अखंडता राजनैतिक
स्वतंत्रता
, दूसरे देशो के आंतरिक मामलो में हस्तक्षेप न
करना तथा आपसी हित के सिद्धांतो
 का आदर करना शामिल है। सार्क के चार्टर में 10 अनुच्छेद है। जिनमे सार्क के उदेश्यों सिद्धांतो तथा वित्तीय व्यवस्थाओ का विस्तार से
वर्णन किया गया है।
 

 

सार्क देशों के लिए भारत का महत्व :-

भारत के लिए सार्क देशो के साथ संबंध का
अत्यधिक महत्व है क्योंकि सार्क के
 सभी सदस्य देश भारत
के समीपवर्ती पड़ोसी देश है।
 भारत का विश्वास रहा है की
पड़ोसी देशो में शांति और सुरक्षा आवश्यक रूप से जरुरी है।
 भारत शांतिपूर्ण रूप से जरुरी है। भारत शांतिपुर्ण सहअस्तित्व के पाँचों
सिद्धांतो का पालन करता है और सभी प्रकार के संघर्षो एवं विवादों को बातचीत एवं
शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में विश्वास रखता है।
 

भारत क्षेत्रफल वह जनसँख्या के दृष्टि से देखा जाए तो इसका क्षेत्र सबसे बड़ा देश है और यही कारण है की अंतराष्ट्रीय
मामलो में भारत की भुमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारत
के प्रधानमंत्री श्री
 नरेन्द्र मोदी जी ने अपने शपत
समारोह में हिस्सा लेने के लिए सार्क के सदस्य सभी देशों के राष्ट्रपति को
निमंत्रण भेजा गया था। 
इस निमंत्रण में  स्पष्ट संदेश दिया गया था की भारत
में नये
  राजनितिक परिस्तिथियों में दक्षिण एशिया
में अपने पड़ोसी देशो के साथ संबंधो और इस क्षेत्रों के एकीकरण को बहोत अधिक महत्व
देने जा रहा है।
 इस समाहरोह में इस क्षेत्र के
सभी राज्य और
 की परिस्तिथि में भारत की मित्रता पुर्ण
छवि को उजागर किया है।
 

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