Saturday, July 27, 2024
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Biography of James Watt/जेम्स वाट की जीवनी। – learnindia24hours

जेम्स वाट

 

जन्म: 19 जनवरी, 1736 को ग्रीनॉक, स्कॉटलैंड, यूनाइटेड किंगडम

निधन: 25 अगस्त, 1819 बर्मिंघम, इंग्लैंड, यूनाइटेड किंगडम

माता:- एग्नेस मुइरहेड

पिता:- जेम्स वाट

पत्नी: मार्गरेट (पैगी) मिलर और एन मैकग्रेगर

दादा:- थॉमस वाट

जेम्स वाट (जेम्स जूनियर) का जन्म 19 जनवरी
1736 को स्कॉटलैंड के ग्रीनॉक
में हुआ था उनके पिता
जेम्स जहाज के मालीक और ठेकेदार
थे और  थे, जबकि उनकी माता
एग्नेस मुईरहेड,
एक अच्छी पढ़ी-लिखी महिला था। जेम्स ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई
गांव में ही शुरुआत की इनके दादा, थॉमस वाट, एक प्रसिद्ध
गणितज्ञ और स्थानीय स्कूल मास्टर
थे। जब वे 17 वर्ष के थे तब से अपने पिता
के साथ वर्कशॉप में जाते और मशीनरी सामानों में दिलचस्पी लेने लगे थे। स्कूल के
दिनों में उन्होंने निपुणता से अपने इंजीनियरिंग गुणों और गणित के गुणों का प्रदर्शन
किया था 18 साल के थे तभी उनकी माता की मृत्यु हो
गयी थी और इसके बाद उनके पिता की सेहत भी ख़राब होती गयी। बाद में उपकरणों का
अभ्यास करने के लिये उन्होंने लन्दन (
London) की यात्रा की और फिर स्कॉटलैंड वापिस आ गये। सर्दी की एक रात जब
जेंट्स अंगूठी पर बैठे पतीले को देखा जिसका पानी उबल रहा था जेम्स ने देखा कि
केतली का ढक्कन भाव की वजह से बार-बार ऊपर उठ रहा था उन्होंने बाप की शक्ति को
पहचाना और इसका उपयोग करने की योजना बनाई।

वर्ष 1764 कि बात है न्यूकोमेन जो कि वाष्प
के इंजन के पहले अविष्कारक
थे उन्होंने वाट को अपने इंजन का नमूना मरम्मत
के लिए दिया| उस इंजन की  मरम्मत करते समय
वाट के दिमाग यह बात आई कि इस इंजन में वाष्प आवश्यकता से अधिक खर्च होती है| उसने
यह भी विचार किया कि वाष्प की इस बर्बादी का कारण इंजन के बॉयलर का अपेक्षाकृत
छोटा होना है|

 

अब
वाट ऐसे इंजन के निर्माण में लग गया जिसमे वाष्प कि खपत कम से कम हो और वाष्प
बर्बाद न हो| वाष्प इंजन के इस समाधान के लिए वह 1 वर्ष तक जूझता रहा| और आखिरकार
1765 में इस समस्या का समाधान उसके हाथ में लग गया। इस समस्या का हल था कि एक पृथक
कंडेसर का निर्माण करना| वाट ने विचार किया कि बॉयलर से एक पृथक कंडेसर हो और उसको
बॉयलर के साथ भी जुडा होना चाहिए| इस तरह न्यूकेमोन के वाष्प इंजन में सुधार करके नए वाष्प इंजन का निर्माण जेम्स वाट का प्रथम और महानतम
आविष्कार
था| उन्होंने भाप के शक्तियों को पहचाना और उसका सही उपयोग करना
चाहे इसके लिए उन्होंने  बहुत सारे प्रयोग किए।
लोगों ने उसका मजाक उड़ाया – “कैसा मूर्ख आदमी है जो यह सोचता है कि भाप से मशीनें
चला सकता है!” लेकिन जेम्स वाट ने हार नहीं मानी।


 कठोर परिश्रम और लगन के
फलस्वरूप उन्होंने अपना पहला स्टीम इंजन बना लिया.
उस इंजन के द्वारा उन्होंने भांति-भांति के कठिन कार्य आसानी से करके दिखाए. उनमें
सुधार होते होते एक दिन भाप के इंजनों से रेलगाडियां चलने लगीं. लगभग 200 सालों तक
भाप के इंजन सवारियों को ढोते रहे और अभी भी कई देशों में भाप के लोकोमोटिव चल रहे
हैं. वर्ष 1782 में वाट ने दोहरा कार्य करने वाले इंजन का
आविष्कार
किया| इस इंजन के लिए उसने विशेषाधिकार पत्र प्राप्त कर लिया| 1764 में उन्होंने मार्गरेट मिलर से शादी कर ली और
उन्हें पाँच बच्चे भी हुए, लेकिन उनमे से दो ही युवावस्था तक जीवित रह सके उनकी
पत्नी 1772 में एक बच्चे हो जन्म देते हुए मृत्यु
हो गयी थी। 1777 में उन्होंने दोबारा एन्न मैकग्रेओर से
शादी
कर ली, जो ग्लासगो डाई-मेकर की बेटी
थी। उनसे उन्हें दो बच्चे हुए पहले ग्रेगोरी जो
भूवैज्ञानिक और खनिज विज्ञानी
थे और दुसरे बेटे जेनेट थे। जेम्स 25 अगस्त, 1819 में 83 वर्ष की उम्र मे इस दुनिया से
अलविदा
कर गये।


शून्य की स्थिति बनाये रखने के लिए जेम्स ने उसमें एक वायुपम्प लगाकर
पिस्टन की पैकिंग मजबूत बना दी। घर्षण रोकने के लिए तेल डाला तथा एक रटीम टाइट
बॉक्स लगाया, जिससे ऊर्जा की क्षति रुक गयी। इस तरह वाष्प इंजन का निर्माण करने
वाले जेम्स वाट पहले आविष्कारक बने अपने इंजन में और सुधार करते हुए जेम्स ने इसे
खदानों से पानी निकालने के लिए भी काम में लिया । 1790 तक
जेम्स वाट एक धनवान् व्यक्ति
बन गये थे । जेम्स ने अपने भाप के इंजन में
समय-समय पर बहुत से सुधार किये । उन्होंने सेंट्रीपयूगल गवर्नर लगाकर घूमते इजन की
गति को नियन्त्रित किया ।

भाप के दबाव को दर्ज तथा आयतन के अनुपात को दर्ज करने के लिए एक ऐसा
संकेतक बनाया, जिसे थर्मोडायनामिक्स कहते हैं ।
जेम्स वाट को उनकी खोजों के लिए रॉयल्टी के तौर पर 76 हजार डॉलर पेटेन्ट से मिले ।

1814 में विज्ञान अकादमी ने उन्हें सम्मानित किया गए। 1800
में ग्लास्को विश्वविद्यालय
ने डॉक्टर और लौज की मानद उपाधि प्रदान की । जेम्स वाट मैकेनिकल इंजीनियर थे। भाप के इंजन पर उनसे
पहले भी कई वैज्ञानिक काम कर चुके थे, लेकिन आखिर में सबसे
अच्छा इंजन विकसित करने का श्रेय जेम्स
के खाते में ही गया।


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