Saturday, July 27, 2024
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#Biography of Lala Lajpat Rai #लाला लाजपत राय की जीवनी। – learnindia24hours


लाला लाजपत राय

 

जन्म:- 28 जनवरी 1865

  दुधिके गॉव, मोगा जिले, पंजाब

मृत्यु:- 17 नवम्बर 1928 (उम्र
63)

लाहौर, पाकिस्तान

माता:- गुलाब देवी

पिता:- राधा किशन आज़ाद

 

 












लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को दुधिके गॉव मोगा
जिले पंजाब
हुआ था इनके पिता का नाम मुंशी राधा
किशन आज़ाद
और माता का नाम गुलाब देवी था ये
ज्येष्ठ पुत्र थे।

लाजपत राय जी के पिता सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के अध्यापक थे, इसलिए लाला जी की शुरुआती शिक्षा इसी स्कूल
से शुरु हुई। वे बचपन से ही पढ़ने में काफी होश्यिार थे। स्कूली शिक्षा पूरी करने
के बाद 1880 में कानून
की पढ़ाई के करने के लिए लाहौर के सरकारी कॉलेज में एडमिशन
ले लिया और अपनी कानून की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने कुछ समय तक वकालत भी की लेकिन
लाला लाजपत राय का मन वकालत करने में नहीं लगा । वहीं उस समय अंग्रेजों की कानून
व्यवस्था के खिलाफ उनके मन में क्रोध पैदा हो गया और उन्होंने अंग्रेजों से लोहा
लेने की ठानी।

लाला लाजपत राय ने राष्ट्रीय कांग्रेस के
1888 और 1889
के वार्षिक सत्रों के दौरान एक प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा
लिया और फिर वे साल 1892 में उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने के लिए लाहौर चले गए जहां उन्होंने वही पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की नींव रखी थी। निष्पक्ष
स्वभाव की वजह से ही उन्हें हिसार मुन्सिपैल्टी की
सदस्यता मिली, जिसके बाद वो एक सेक्रेटरी भी बन गए। ये उन शुरुआती नेताओं में से एक
 थे जिन्होंने पूर्ण
स्वराज की मांग
की थी।

लाला लाजपत राय साल 1882 में पहली बार आर्य
समाज के लाहौर
के वार्षिक उत्सव में शामिल हुए और वह इस सम्मेलन से इतने
प्रभावित हुए कि उन्होंने आर्य समाजी बनने का फैसला ले लिया। वहीं उस समय आर्य
समाज हिन्दू समाज में फैली कुरोतियों को धार्मिक अंधविश्वासों के खिलाफ था। वही
लाला लाजपत राय जी ने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी
दयानंद सरस्वती
के साथ मिलकर आज समाज को आर्य समाज आंदोलन को आगे बढ़ाया। लाला
लाजपत राय की वजह से ही आर्य समाज पंजाब में बहुत ही मशहूर हो गया। लाला लाजपत राय
जी ने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण काम किए। आपको बता दें कि इस दौरान
आर्य समाज ने दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों की
शुरुआत की। जब स्वामी दयानंद का साल 1883 में निधन हो
गया तो, आर्य समाज के द्धारा एक शोक सभा का आयोजन किया गया जिसमें यह फैसला लिया
गया था कि स्वामी दयानंद के नाम पर एक ऐसे महाविद्यालय की स्थापना की जाए, जिसमें
वैदिक साहित्य, संस्कृति और हिन्दी की उच्च शिक्षा के साथ-साथ अंग्रेज़ी और
पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान में भी छात्रों को शिक्षा दी जाए । जिसका सारा कार्यभार
लाला लाजपत राय जी ने संभाला । लाला लाजपत राय ने लाहौर
के डीएवी कॉलेज
की भी स्थापना में भी अपना सहयोग दिया। उन्होंने अपने अथक
प्रयास से इस कॉलेज को उस समय के भारत के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा के केन्द्र में बदल
दिया। वहीं यह कॉलेज उन युवाओं के लिए वरदान साबित हुआ।

लाला लाजपत राय को 1920 में नेशनल कांग्रेस
का प्रेसिडेंट
बनाया गया। उन्होंने लाहौर में
सर्वेन्ट्स ऑफ पीपल सोसाइटी का गठन
किया था, जो कि नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन था। वहीं उनकी बढती लोकप्रियता का प्रभाव
ब्रिटिश सरकार पर भी पड़ने लगा था । साल 1921 से लेकर
1923 तक मांडले जेल
में कैद कर लिया, लेकिन ब्रिटिश सरकार को उनका यह दांव
उल्टा पड़ गया लोगो ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे
जिसके बाद लोगों के दबाव में आकर अंग्रेज सरकार ने अपना फैसला बदलकर लाला लाजपत
राय को जेल से रिहा कर दिया था।

वहीं जब दो साल बाद लाला लाजपत राय जेल से छूटे तो उन्होनें देश में
बढ़ रही साम्प्रदायिक समस्याओं पर ध्यान दिया दरअसल उस समय की परिस्थितियों में
हिन्दू-मुस्लिम एकता के महत्व को उन्होंने समझ लिया था। इसी वजह से साल 1925 में उन्होंने कलकत्ता में हिन्दू महासभा का आयोजन
किया, जहां उनके ओजस्वी भाषण ने बहुत से हिन्दुओं को देश के स्वतंत्रता संग्राम
में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया था।

 स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देते हुए उन्होंने
पूरे देश में स्वदेशी वस्तुएं अपनाने के लिए एक अभियान चलाया था। वहीं जब 1905 में बंगाल का विभाजन कर दिया तो उस समय बिपिन चंद्र पाल एवं सत्येंद्र नाथ बनर्जी के साथ मिलकर उन्होंने
इसका जमकर विरोध किया था।

लाला जी ने अपने जीवन में कई संघर्षों को पार किया है। एक समय ऐसा भी
आया कि जब लाला जी के विचारों से कांग्रेस के कुछ नेता पूरी तरह असहमत दिखने लगे।
क्योंकि उस समय लाला जी को गरम दल का हिस्सा माने जाने लगा था, जो कि ब्रिटिश सरकार
से लड़कर पूर्ण स्वराज लेना चाहती थी। वहीं कुछ समय तक कांग्रेस से अलग रहने के
बाद साल 1912 में उन्होंने वापिस कांग्रेस को ज्वॉइन
कर लिया। फिर इसके दो साल बाद वह कांग्रेस की तरफ से प्रतिनिधि बनकर इंग्लैंड चले गए। जहां उन्होंने भारत की स्थिति में
सुधार के लिए अंग्रेजों से विचार-विमर्श किया।

इस दौरान वे अमेरिका गए और अमेरिका में
उन्होंने इंडियन होम रूल लीग की स्थापना की इसके
अलावा एक “यंग इंडिया” नाम का जर्नल भी प्रकाशित
करना शुरू किया।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस से युद्ध
में सहायता की मांग की थी तो उसने यह भी वादा किया था कि युद्ध समाप्ति पर भारतीय
नागरिकों को अपनी सरकार निर्माण करने का अधिकार प्रदान कर देगी लेकिन जैसे ही
युद्ध खत्म हुआ तो ब्रिटिश सरकार अपने वादे से मुकर गई थी। जलियांवाला बाग हत्या कांड की दिल दहला देने वाली घटना
के कारण असहयोग आन्दोलन किया गया जिसमें पंजाब से लाला लाजपत राय जी के नेतृत्व की कमान संभाली।

1928 में ब्रिटिश सरकार द्वारा साइमन कमीशन लाए जाने के बाद उन्होंने इसका जमकर
विरोध किया और कई रैलियों का आयोजन किया और भाषण दिए। दरअसल साइमन कमीशन भारत में
संविधान के लिए चर्चा करने के लिए एक बनाया गया एक कमीशन था, जिसके पैनल में एक भी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किया गया।
वहीं लाला जी और उनके साथी इस साइमन कमीशन का
विरोध शांतिपूर्वक करना चाहते थे, उनकी यह मांग थी कि अगर कमीशन पैनल में भारतीय
नहीं रह सकते तो ये कमीशन अपने देश वापस लौट जाए। लेकिन ब्रिटिश सरकार इनकी मांग
मानने को तैयार नहीं हुई और इसके उलट ब्रिटिश सरकार ने लाठी
चार्ज
कर दिया, जिसमें लालाजी बुरी तरह से घायल हो गए और फिर 17 नवंबर 1928 स्वराज्य का यह उपासक हमेशा के लिए सो गए।

लाला लाजपत राय लिखित मुख्य किताबें


हिस्ट्री ऑफ़ आर्य समाज”

इंग्लैंड’ज डेब्ट टू इंडिया:इंडिया

दी प्रॉब्लम ऑफ़ नेशनल एजुकेशन इन इंडिया

स्वराज एंड सोशल चेंज,दी युनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका:अ हिन्दू’स
इम्प्रैशन एंड स्टडी”

मेजिनी का चरित्र चित्रण (1896)

गेरिबाल्डी का चरित्र चित्रण (1896)

शिवाजी का चरित्र चित्रण (1896)

दयानन्द सरस्वती (1898)

युगपुरुष भगवान श्रीकृष्ण (1898)

मेरी निर्वासन कथा

रोमांचक ब्रह्मा

भगवद् गीता का संदेश (1908)

 

लाला लाजपत राय के विचार –

“मनुष्य अपने गुणों से आगे बढ़ता है न कि दूसरों कि कृपा से”।

 

“मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के कफन में कील
साबित होगी”।

 

“मेरा विश्वास है कि बहुत से मुद्दों पर मेरी खामोशी लम्बे समय में
फायदेमंद होगी”।


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महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/ What is Mahalwari and Ryotwari system?————-

https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html

रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/What is Rayotwari System? ————————

https://www.learnindia24hours.com/2020/10/what-is-rayotwari-systemfor-exam.html 



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