Saturday, July 27, 2024
HomeBIOGRAPHYBiography of Mahadev Govind Ranade/महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी - learnindia24hours

Biography of Mahadev Govind Ranade/महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी – learnindia24hours

 

                                  


महादेव गोविन्द रानाडे

जन्म:- 18 जनवरी, 1842, निफाड, नाशिक, महाराष्ट्र

मृत्य:- 16 जनवरी, 1901

पिता:- गोविंद अमृतगोविंद अमृत रानाडे

महादेव गोविन्द रानाडे का जन्म नाशिक के
निफड तालुके में 18 जनवरी, 1842
को हुआ था। उनके पिता का नाम ‘गोविंद अमृत रानाडे’ था जो एक मंत्री
थे। 14 साल की अवस्था में उन्होंने बॉम्बे के एल्फिन्सटन
कॉलेज
से पढ़ाई प्रारंभ की। महादेव गोविन्द रानाडे इसके प्रथम बी.ए. (1862) और प्रथम एल.एल.बी.
(1866)
बैच का हिस्सा थे। वे बी.ए. और एल.एल.बी. की कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किए। बाद में रानाडे ने एम.ए. किया और एक बार फिर अपने कक्षा में प्रथम स्थान पर रहे। महादेव गोविन्द रानाडे का चयन प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट के तौर पर हुआ। सन 1871 में उन्हें ‘बॉम्बे स्माल काजेज कोर्ट’ का चौथा न्यायाधीश, सन 1873 में पूना का प्रथम श्रेणी
सह-न्यायाधीश, सन 1884 में पूना ‘स्माल काजेज कोर्ट’
का न्यायाधीश और अंततः सन 1893 में बॉम्बे उच्च न्यायालय
का न्यायाधीश
बनाया गया। सन 1885 से लेकर बॉम्बे
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश
बनने तक वे बॉम्बे
विधान परिषद्
में रहे। सन 1897 में रानाडे को
सरकार ने एक वित्त समित्ति का सदस्य
बनाया। उनकी इस सेवा के लिए ब्रिटिश
सरकार ने उन्हें ‘कम्पैनियन ऑफ़ द आर्डर ऑफ़ द इंडियन
एम्पायर’
से नवाज़ा। उन्होंने ‘डेक्कन
अग्रिकल्चरिस्ट्स ऐक्ट’
के तहत विशेष न्यायाधीश के तौर पर भी कार्य किया।
वे बॉम्बे विश्वविद्यालय में डीन इन आर्ट्स भी रहे।

आत्माराम पांडुरंग, डॉ आर.जी. भंडारकर और वी.ए.मोदक के साथ उन्होंने
प्रार्थना समाज’ के स्थापना में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई। महावेद गोविन्द रानाडे ने पूना सार्वजानिक सभा, अहमदनगर शिक्षा
समिति और भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के स्थापना
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। रानाडे ने सोशल
कांफ्रेंस मूवमेंट
की स्थापना की और सामाजिक कुरीतियाँ
जैसे बाल विवाह, विधवाओं का मुंडन, शादी-विवाह और समारोहों में जरुरत से ज्यादा
खर्च और विदेश यात्रा के लिए जातिगत भेदभाव का पुरजोर विरोध
किया। इसके
साथ-साथ उन्होंने विधवा पुनर्विवाह और स्त्री शिक्षा पर भी बल दिया। वे ‘विधवा
विवाह संगठन’ के संस्थापकों में से एक थे। हालाँकि रानाडे ने अंधविश्वासों और
कुरीतियों का जमकर विरोध किया पर अपने निजी जीवन में वे खुद रुढ़िवादी थे। जब उनकी पहली
पत्नी का देहांत
हुआ तब उनके सुधारवादी मित्रों ने ये उम्मीद की कि रानाडे
किसी विधवा से विवाह करेंगे पर अपने परिवार के दबाव के चलते उन्होंने एक कम उम्र की लड़की (रमाबाई रानाडे) से विवाह किया।
उन्होंने रमाबाई को पढाया-लिखाया और उनकी मृत्यु के बाद
रमाबाई
ने ही उनके सामाजिक और शैक्षणिक कार्यों को आगे बढ़ाया। 

प्रमुख रचनाएँ:- ‘विधवा पुनर्विवाह’, ‘मालगुजारी क़ानून’, ‘राजा राममोहन
राय की जीवनी’ आदि।

गोविंद रानाडे ‘दक्कन एजुकेशनल सोसायटी’ के संस्थापकों में से एक थे।


—————————————————————————————————————————  

For Detail chapter you can click below link  :-

https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html   
————————————————————————————————————————–     

महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/ What is Mahalwari and Ryotwari system?————-

https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html

रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/What is Rayotwari System? ————————

https://www.learnindia24hours.com/2020/10/what-is-rayotwari-systemfor-exam.html 



RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments