Saturday, July 27, 2024
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Biography of Thakur Roshan Singh/ठाकुर रोशन सिंह की जीवनी। – learnindia24hours

 

                    ठाकुर रोशन सिंह

जन्म:- 22 जनवरी, 1892 शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश

मृत्यु:- 19 दिसम्बर, 1927 नैनी जेल, इलाहाबाद

पिता:- ठाकुर जंगी सिंह

माता: कौशल्या देवी

 

ठाकुर रोशन सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश
के शाहजहाँपुर जिले में स्थित गांव नबादा में 22
जनवरी, 1892 को हुआ,
 
इनके पिता जी का नाम ठाकुर जंगी सिंह था और माता जी का नाम
कौशल्या देवी

था। । ये कुल पांच भाई बहन थे जिनमे ये सबसे बड़े थे इनका
परिवार  आर्य
समाज
से जुड़ा हुआ था स्वस्थ,
लम्बे, तगड़े सबल शारीर के भीतर स्थिर उनका हृदय और मस्तिष्क भी उतना ही सबल और
विशाल था।

गाँधी जी द्वारा चलाये जा रहे असहयोग आन्दोलन में रोशन सिंह ने
भी बढचढ कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ अपना योगदान दिया जिसमे उन्होंने उत्तर
प्रदेश के

शाहजहाँपुर और बरेली ज़िले के ग्रामीण क्षेत्र
में जाकर असहयोग आन्दोलन के प्रति लोगो को
जागरूक किया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। ठाकुर रोशन सिंह 1929 के आस-पास
‘असहयोग आन्दोलन’ से पूरी तरह प्रभावित हो गए थे। वे देश सेवा की और झुके और अंतत:
रामप्रसाद बिस्मिल के
संपर्क
में आकर क्रांति
पथ के यात्री बन गए। यह उनकी ब्रिटिश विरोधी और भारत भक्ति का ही प्रभाव था की वे
बिस्मिल के साथ रहकर खतरनाक कामों में उत्साह पूर्वक भाग लेने लगे।

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में उसी दौरान  पुलिस द्वारा हुयी झड़प में उन्होंने पुलिस वाले की रायफल छीन ली और उसी
रायफल से उन्ही पुलिस वालो पर जबर्दस्त फायरिंग शुरू कर दी जिसके कारण पुलिस को वह
से भागना पड़ा. लेकिन उसके बाद रोशन सिंह जी को
गिरफ्तार कर के उनपे बरेली गोली-काण्ड को लेकर मुकदमा चाय गया और उन्हें दो साल की सजा
सुना दी गयी. और उसके बाद उन्हें सेण्ट्रल जेल बरेली भेज दिया गया।

चौरी-चौरा कांड के दौरान 5
फ़रवरी 1922 को गोरखपुर
के पास एक कसबे में भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की
एक पुलिस चौकी को आग लगा दी गयी, जिससे उसमें छुपे हुए 22
पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल
के मर गए थे तब गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन के
दौरान  हिंसा होने के कारण अपने द्वारा
चलाये गए  असहयोग
आन्दोलन को बंद
कर दिया।

इसी की बाद शाहजहाँपुर  में एक गुप्त बैठक रखी गयी. जिसका उदेश्य  राष्ट्रीय स्तर पर
अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित
कोई बहुत बडी क्रान्तिकारी पार्टी बनाने का
क्युकि वो समझ रहे थे कि अहिंसा के जरिये आज़ादी मिलना मुश्किल है। इस गुप्त बैठक की अगुवाई राम प्रसाद बिस्मिल जी ने की। रोशन सिंह जी का निशान अचूक था उडती हुई चिडिया को मार
गिराते थे. इस कारण उन्होंने भी इस संगठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नरमदल
और गरम दल की विचारधारा आपस में मेल ना खाने की वजह से कांग्रेस सन 1922 में दो हिस्सों में बट गयी.  और उसके बाद 
मोतीलाल नेहरू और देशबन्धु चितरंजन दास और
अन्य लोगो ने मिल कर “स्वराज” नाम से अपनी नयी
पार्टी बना ली। वहीं नरमदल वालो के पास काफी पैसे वाले थे
वही दूसरी तरफ क्रान्तिकारी
पार्टी के पास संगठन को चलने के लिए काफी पैसे की जरुरत थी।

क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश
हुकूमत के विरुद्ध सशस्त्र क्रान्ति छेड़ने की खतरनाक मंशा से ब्रिटिश सरकार के
खजाने को लूटने के लिए रामप्रसाद बिस्मिल की अगुवाई
में  9 अगस्त, 1925 में “काकोरी (काकोरी कांड)
डक़ैती”
की इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। और इसी के तहत दफा 120 (बी) और 121 (ए) के तहत 5-5 साल की सजा सुना दी और 396 के
अन्तर्गत सजाये-मौत
की सजा दे  दी
गयी। इलाहाबाद स्थित मलाका (नैनी) जेल में आठ महीने
के कारावास के दौरान अंग्रेजो द्वारा तमाम कठनाईयों और उनके अत्याचारों को सहा। जेल
जीवन में पुलिस ने उन्हें मुखबिर बनाने के लिए
बहुत कोशिश की, लेकिन वे डिगे नहीं। चट्टान की तरह अपने सिद्धांतो पर दृढ रहे।

फाँसी से पहली रात ठाकुर
साहब कुछ घण्टे सोये फिर देर रात से ही ईश्वर-भजन करते रहे। प्रात:काल शौचादि से निवृत्त
हो यथानियम स्नान ध्यान किया कुछ देर गीता-पाठ में लगायी फिर पहरेदार से
कहा-“चलो।“ वह हैरत था ये साब देख कर ठाकुर साहब ने अपनी काल-कोठरी को प्रणाम किया
और गीता हाथ में लेकर निर्विकार भाव से फाँसी घर
की ओर चल दिये। फाँसी के फन्दे को चूमा फिर जोर से तीन
वार वन्दे मातरम् का उद्घोष किया और वेद-मन्त्र
का जाप करते हुए 19 दिसम्बर, 1927 को फांसी के  फन्दे से झूल गये।

क्रांतिकारी अमर शहीद के अंतिम दर्शन
के लिए हजारों की संख्या में स्त्री-पुरुष, युवा और वृद्ध इलाहाबाद के नैनी स्थित
मलाका जेल के फाटक के पास खड़े हो गए जब जेल का फाटक खुला और अन्दर से जेल के
कर्मचारी ने शहीद रोशन सिंह का शव लाकर दिया तब लोग वह
जोर जोर नारे लगाने लगे “रोशन सिंह अमर रहें”
, और इसी के बाद
उनकी शवयात्रा एक भारी जुलूस के रूप में शहर में निकाली  गयी उसके बाद गंगा-यमुना
के संगम तट
पर वैदिक रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम
संस्कार
कर दिया गया।


  

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https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html        

महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/ What is Mahalwari and Ryotwari system?————-

https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html

रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/What is Rayotwari System? ————————

https://www.learnindia24hours.com/2020/10/what-is-rayotwari-systemfor-exam.html 



 

 

 

 

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