कोकून (Cocoon) रेशम के कीट
एक विशेष रक्षात्मक आवरण है, जिसे वह अपने शरीर से निकलने वाले रेशम के धागों से बुनता है। यह आवरण कीट के जीवनचक्र में प्यूपा (Pupa) चरण के दौरान कीट की रक्षा करता है। रेशम कीट कीटविज्ञान के दृष्टिकोण से चार मुख्य चरणों से गुजरता है: अंडा (Egg), लार्वा (Larva), प्यूपा (Pupa), और वयस्क (Adult)। कोकून बनाने का चरण लार्वा और प्यूपा चरण के बीच होता है।
कोकून की कुछ मुख्य विशेषताएँ:
- संरचना: कोकून सिल्क फाइबर से बना होता है जो लार्वा के सलाइवरी ग्रंथियों से निकलता है। ये फाइबर प्रोटीन से बने होते हैं।
- उद्देश्य: कोकून का मुख्य उद्देश्य प्यूपा को बाहरी खतरों, जैसे शिकारियों और प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों से बचाना है।
- रेशम उत्पादन: रेशम उत्पादन के लिए कोकून को गर्म पानी में उबालकर या भाप से नरम किया जाता है, ताकि रेशम का धागा अलग किया जा सके। एक कोकून से आमतौर पर 300 से 900 मीटर तक रेशम का धागा निकलता है।
- प्रसंस्करण: कोकून से रेशम निकालने की प्रक्रिया को रीलिंग (Reeling) कहते हैं। इसमें कोकून को उबालकर या भाप देकर नरम किया जाता है और फिर धागे को सावधानीपूर्वक अलग किया जाता है।
- प्रकार: कोकून का रंग और आकार रेशम कीट की नस्ल और उसकी आहार संबंधी आदतों पर निर्भर करता है। कुछ कोकून सफेद होते हैं, जबकि कुछ पीले या सुनहरे रंग के हो सकते हैं।
कोकून का महत्व न केवल रेशम उत्पादन में है, बल्कि यह सेरीकल्चर उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत भी है।
कोकून से रेशम बनाने की प्रक्रिया को रीलिंग (Reeling) कहते हैं। यह एक जटिल और सावधानीपूर्वक प्रक्रिया है, जिसमें कोकून से रेशम का धागा निकाला जाता है। इस प्रक्रिया के प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं Read More
1. कोकून का संग्रह
सबसे पहले, रेशम कीटों (Bombyx mori) द्वारा बनाए गए कोकून को इकट्ठा किया जाता है। कोकून को अच्छे से संरक्षित किया जाता है, ताकि उनका नुकसान न हो।
2. कोकून को उबालना (Boiling or Steaming)
कोकून को नरम करने के लिए गर्म पानी में उबाला जाता है या भाप दी जाती है। इस प्रक्रिया से कोकून में मौजूद रेशम के धागे ढीले और मुलायम हो जाते हैं, जिससे रेशम निकालना आसान होता है। उबालने से रेशम के धागे अलग हो जाते हैं और प्यूपा का शव भी बाहर निकल जाता है, जिससे वह कोकून में नहीं फंसता।
3. रेशम के धागे निकालना (Reeling the Silk)
जब कोकून उबाला जाता है, तब उस पर झीला (Reel) लगाया जाता है। यह एक मशीन होती है जिसका उपयोग कोकून से रेशम के धागे को एकत्र करने के लिए किया जाता है। उबाले गए कोकून से रेशम के कई महीन धागे एक साथ निकलते हैं। इन धागों को फिर एक साथ जोड़ा जाता है ताकि मजबूत और लंबा रेशम का धागा तैयार हो सके।
4. रेशम के धागे को सुखाना
निकलने के बाद रेशम के धागों को सुखाया जाता है ताकि वे शुष्क और मजबूत हो सकें। इन धागों को धूप में या एक नियंत्रित तापमान में सुखाया जाता है।
5. रेशम का संसाधन (Silk Spinning)
अब, इस सूखे रेशम धागे को अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए उसे अलग-अलग प्रक्रियाओं से गुजारते हैं। रेशम की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उसे रीलिंग प्रक्रिया के दौरान समायोजित किया जाता है।
6. रेशम के धागों की छंटाई (Twisting and Spinning)
उसी समय, रेशम के धागों को मोड़ा और ट्विस्ट किया जाता है, ताकि उनका वजन और लंबाई बढ़ सके और वे कपड़ों के निर्माण के लिए तैयार हो सकें। यह प्रक्रिया विभिन्न रेशम के धागों को एक साथ मिलाकर उन्हें और मजबूत बनाती है।
7. रेशम का रंग और परिष्करण (Dyeing and Finishing)
रेशम के धागों को रंगने और परिष्कृत करने की प्रक्रिया भी की जा सकती है। रेशम को प्राकृतिक रंगों या रासायनिक रंगों से रंगा जा सकता है। इस प्रक्रिया के बाद रेशम को मुलायम और चमकदार बनाया जाता है।
8. रेशम का उपयोग
अब रेशम तैयार हो चुका होता है, और इसका उपयोग वस्त्र निर्माण (साड़ियों, सूट, ड्रेस आदि) और अन्य उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों (जैसे रेशम के बिस्तर, कालीन, आदि) में किया जाता है।
सारांश:
कोकून से रेशम बनाने की प्रक्रिया में मुख्य रूप से कोकून का संग्रह, उबालने, रेशम के धागे को निकालने, सुखाने, ट्विस्ट करने, रंगने और परिष्कृत करने की प्रक्रिया शामिल होती है। यह प्रक्रिया बहुत ही सावधानी से की जाती है, क्योंकि रेशम के धागे बेहद नाजुक और कीमती होते हैं।