अरबों
प्रश्न
का स्वरूप होगा।
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Q. सिन्ध पर अरबों के आक्रमण के कारणों विवेचना करें।
ANS:- भारत अरबों सम्बन्ध इस्लाम के अभ्युदय से पहले से चला आ रहा था। भारत के पश्चिमी समुंद्री तट वाले क्षेत्रों के साथ शांतिपूर्ण व्यापारिक गतिविधियों जारी रखने में , उन्हें भारतीय शासकों का सक्रिय सहयोग प्राप्त होता रहा। जब अरब इस्लाम धर्म का उत्थान हुआ , तो दोनों के व्यपारिक सम्बन्धो में आमूलचूल परिवर्तन हुए। इस्लाम का प्रचार खलीफाओं ने अपना परम् कर्तव्य समझा इसके लिए साम्राज्य विस्तार की नीति पर देना शुरू किया। ईरान को जितने को खलीफा उमर के शसनकाल में 636 ईस्वी में बम्बई के निकट थाना। यह उनका जल अभियान था, जिसमे उन्हें खदेड़ दिया गया। लेकिन हिम्मत नहीं हरी। वे भारत अपार सम्पत्ति प्राप्त करने तथा यहां इस्लाम प्रसार की भावना से प्रेरित। थे लगातार कई आक्रमण किये। प्राम्भिक आक्रमणकारियों अल – मुहल्ल , अब्दुला, सीनान–बिन – सलाह, रशीद–बिन– आमिर, अल सुदी आदि मुख्य थे। इन आक्रमणकारियों में से कुछ को अपनी जान गँवानी पड़ी और कुछ को अपमानित होकर वापस चला जाना पड़ा। लेकिन इबन हरिअल बेहदि के नेतृत्व में मकरान पर विजय प्राप्त करने से सिन्ध पर आक्रमण करने का द्वार खुल गया। इन प्रांरभिक प्रयासों के विषय में प्रोफेसर एस. आर. शर्मा ने लिखा कि – 643 ईस्वी और 656
ईस्वी के मध्य अरबों ने भारत पर जितनी आक्रमण किये, उतनी बार उन्हें खदेड़ दिया गया। इस निराशजनक परिस्थितियों में भी अरबो ने हमले जारी रखे और आठवीं शताब्दी की प्रारम्भिक वषो में उन्हें मकरान (बलूचिस्तान ) पर अधिकार करने में सफलता प्राप्त हुई अब उनके लिए सिन्ध विजय का द्वार खुल गया।
सिन्ध पर अरबों के आक्रमण के कारणों इस प्रकार थे :-
राजनितिक कारण :-
सिन्ध पर अरब आक्रमण एक पूर्व नियोजित राजनितिक योजना का प्रतिफल था। पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु के उपरान्त इस्लामी साम्राजय का विस्तार द्रुतगति से होने लगा और सौ वर्षो के अन्दर अरब के अलावे सीरिया, मेसोपोटामिया, आर्मीनिया, ईरान, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान , ट्रांसऑक्सियना, अफ्रीका का उत्तरी तट, उत्तर एवं दक्षिण मिस्र, पर अरबों का आक्रमण उनकी राजनितिक एवं प्रदेशिक विस्तार कीनीति का परिणाम थी।
आर्थिक कारण :-
सिन्ध पर अरब आक्रमण का मुख्य उदेश्य भारत से विपुल धनराशि प्राप्त करना था। भारत आर्थिक दृष्टि से एक सम्मपन्नव देश था और अर्ब सौदागर इससे वाकिफ थे। उन्होंने भारत के राजनितिक शक्ति के विघटन को बहोत नजदीक से देखा और उनके मन में यह आकांशा पैदा हुई, की क्यों न भारत के इस कमजोरी का फायदा उठाकर धनं – सम्पति जमा किया जाय। इस उदेस्य से ही अनुप्रेरित होकर उन्होंने सिन्ध पर आक्रमण करना शुरू किया और अंततः इसमे उन्होंने सफलता भी हासिल हुई।
धार्मिक कारण :-
अरबवासी इस्लाम धर्म के एकमात्र संरक्षक एवं परिष्टपोषक थे। उनमे अदम्य उत्साह था और उन्हीने तलवार के बल पर इस धर्म के प्रचार एवं प्रसार की कोशिश की। कफरों को नष्ट करना उन्होंने अपना परम कर्तव्य माना। खलीफाओं ने जिन प्रदेशों पर विजय प्राप्त किया , वह उन्होंने स्थानीय धर्म पर प्रहार किया और उसे समूल नष्ट करने की कोशिश की। साम्राज्य विस्तार और धर्म प्रचार की भावना ने ही , अरबवासियों को भारत के सिन्ध प्रदेश आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।
लूट का बहाना :-
अरब का सिन्ध पर आक्रमण का तात्कालिक कारन समुद्री डाकुओं द्वारा जहाजों पर डाका मन जाता है। अरब व्यपारी लंका में अपने जहाजों पर समान लादकर अर्ब सागर होते हुए अपने देश को लोट रहे थे। जब वे सिन्ध के तट के नजदीक से गुजरे तो, थट्ट नामक स्थान पर समुद्री डाकुओं ने उन्हें लूट लिया। फलतः व्यपारियों ने अपनी दुर्दशा की कहानी बढ़ा – चढ़ाकर बसरा के शसक हज्जाज को सुनायी। आवेश में आकर हज्जाज ने सिन्ध के शसक दाहिर से लूट का धन का उत्तरदायित्व अपने ऊपर साफ इन्कार दिया। कि वे समुद्री लुटेरे उसकी प्रजा नहीं है और वह किसी भी सूरत में हर्जाना देने को तैयार नहीं है हज्जाज के क्रोध ठिकाना नहीं रहा। उसने खलीफा वाहिद अनुमति प्राप्त क्र अबदुल्लाह के नेतृत्व में एक विशाल सेना सिन्ध भेजी। उबेदुल्लाह युद्ध पराजित हो गया और मार डाला गया। इसके पश्चात हज्जाज ने बदौल को भेजा परन्तु उसका वही हाल हुआ। हज्जाज अपमान कि कोई सीमा नहीं रही, लेकिन उसने धैर्य खोया। सत्रह वर्षीय चचेरे भाई एवं दामाद मुहम्मद –बिन – कासिम के सेनापति विशाल सेना को सिन्ध पर आक्रमण करने एवं अपमान का बदला देने के लिए भेजा मुहम्मद –बिन – कासिम 711 ईस्वी में सिन्ध पहुँचा।
मुहम्मद –बिन – कासिम