Monday, December 23, 2024
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महात्मा गाँधी : परिचय और उनके द्वारा किये गए कार्य और आंदोलन

महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और अहिंसा के महान प्रवक्ता थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ। गांधी जी ने अपनी शिक्षा लंदन में प्राप्त की और बाद में दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

 

 

महात्मा गांधी के मातापिता के नाम और उनके भाईबहनों के नाम निम्नलिखित हैं:

  मातापिता:

–  पिता :  कर्मचंद गांधी  (काका)

–  माता :  पुतलीबाई

 

  भाईबहन:

गांधी जी के चार भाई और एक बहन थीं:

  1. लक्ष्मीदास गांधी (बड़े भाई)
  2. कस्तूरिलाल गांधी (बड़े भाई)
  3. दयालू गांधी (बड़े भाई)
  4. हरिलाल गांधी (बड़े भाई)
  5. रूपलिया गांधी (बहन)

 

गांधी जी का परिवार उनके जीवन और सोच पर गहरा प्रभाव डालने वाला रहा, और उनके माता-पिता ने उन्हें नैतिक और धार्मिक मूल्यों की शिक्षा दी।

गांधी जी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के आधार पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन चलाया। उन्होंने असहमति के शांतिपूर्ण प्रदर्शन और नागरिक अवज्ञा के माध्यम से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी। उनका जीवन सरलता और सादगी का प्रतीक था, और उन्होंने समाज में सुधार, विशेषकर अस्पृश्यता उन्मूलन और ग्रामीण विकास पर ध्यान केंद्रित किया।

महात्मा गांधी को बापू और राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है। 30 जनवरी 1948 को उन्हें assassinated किया गया, लेकिन उनका योगदान और विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

 

 

महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे:

भारत के बाहर महात्मा गांधी का पहला बड़ा आंदोलन  चंपारण सत्याग्रह  के बाद दक्षिण अफ्रीका में हुआ। वहां, उन्होंने भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के खिलाफ भेदभाव और अशिक्षा के चलते गांधी जी ने  1910  में “सत्याग्रह” का पहला प्रयोग किया।

इस आंदोलन के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु थे:

  1. संविधानिक अधिकारों की मांग : गांधी जी ने भारतीयों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन शुरू किया।
  2. नागरिक अधिकारों के उल्लंघन : वहां के नस्लभेद कानूनों और भारतीयों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई।
  3. अहिंसा और सत्याग्रह : गांधी जी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के माध्यम से संघर्ष किया, जो बाद में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण बन गए।

 

 

यह आंदोलन गांधी जी की राजनीतिक जागरूकता का प्रारंभिक चरण था, जिसने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए तैयार किया।

  1. चंपारण सत्याग्रह (1917) : यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले में नील के खेतिहर किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया। गांधी जी ने किसानों के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया और उन्हें न्याय दिलाया।
  2. खेड़ा सत्याग्रह (1918) : यह आंदोलन किसानों द्वारा उच्च करों के खिलाफ किया गया, खासकर जब उनकी फसलें सूखे के कारण खराब हो गई थीं। गांधी जी ने किसानों का समर्थन किया और सरकार को मजबूर किया कि वह करों में राहत दे।
  3. नमक सत्याग्रह (1930) : गांधी जी ने समुद्र तट पर जाकर नमक बनाने का आंदोलन चलाया, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश नमक कानून का उल्लंघन किया। यह आंदोलन भारतीयों की स्वायत्तता की प्रतीक बना।
  4. भारत छोड़ो आंदोलन (1942) : यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता के लिए अंतिम बड़ा प्रयास था। गांधी जी ने “अंग्रेजों, भारत छोड़ो!” का नारा दिया और पूरे देश में स्वतंत्रता की मांग को तेज किया।

गांधी जी की विचारधारा में प्रेम, सहिष्णुता और मानवता की सेवा का महत्वपूर्ण स्थान था। उन्होंने न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में भी काम किया। उनके सिद्धांतों ने न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में आंदोलनों को प्रेरित किया।

महात्मा गांधी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और अहिंसा के रास्ते पर चलकर हम किसी भी अन्याय का सामना कर सकते हैं। उनका योगदान आज भी हमें प्रेरित करता है और उनकी विचारधारा समकालीन मुद्दों पर भी प्रासंगिक है।

महात्मा गांधी की शिक्षाएं और उनके सिद्धांत भारतीय समाज में गहरी छाप छोड़ गए हैं। उनके विचारों का प्रभाव न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी महसूस किया गया।

 

  गांधी जी के प्रमुख विचार:

  1. अहिंसा : गांधी जी ने अहिंसा को अपने आंदोलनों का मूल सिद्धांत बनाया। उनका मानना था कि किसी भी समस्या का समाधान बिना हिंसा के किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है।”
  2. सत्य : सत्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें “महात्मा” का खिताब दिलाया। उन्होंने हमेशा सत्य को सर्वोपरि रखा और इसे अपने जीवन का आधार बनाया।
  3. स्वदेशी : उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग की वकालत की और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का आह्वान किया। “खादी” को प्रोत्साहित करके उन्होंने आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया।
  4. सामाजिक सुधार : गांधी जी ने समाज में फैली कुरीतियों, जैसे जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने हर मानव को समान मानते हुए “हरिजन” शब्द का उपयोग किया।
  5. प्राकृतिक चिकित्सा : उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा और आहार पर भी जोर दिया। उनका विश्वास था कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए सरल और स्वच्छ आहार आवश्यक है।

 

  उनके योगदान का महत्व:

–  स्वतंत्रता संग्राम : गांधी जी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने एक नई दिशा पकड़ी। उन्होंने जन जागरूकता बढ़ाई और लोगों को एकजुट किया, जिससे देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई।

–  विश्व स्तर पर प्रभाव : उनके सिद्धांतों ने विश्व के अन्य देशों में भी स्वतंत्रता और मानवाधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया। उनके विचारों ने नेताओं जैसे मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला को भी प्रभावित किया।

–  विरासत : गांधी जी का जीवन एक प्रेरणादायक कथा है, जो आज भी लोगों को संघर्ष, सहिष्णुता और प्रेम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। उनकी जयंती, 2 अक्टूबर, विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जाती है।

महात्मा गांधी का योगदान केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है; उन्होंने मानवता को एक ऐसा मार्ग दिखाया है जिसमें सत्य, अहिंसा, और सेवा का महत्व सर्वोपरि है। उनकी सोच और कार्य आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

 

महात्मा गांधी के संघर्षों में कई महत्वपूर्ण समझौते और वार्ताएं हुईं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  1. चंपारण समझौता (1917) :
    यह समझौता चंपारण सत्याग्रह के बाद हुआ, जिसमें ब्रिटिश अधिकारियों ने नील के किसानों के प्रति अपने अत्याचारों को समाप्त करने का आश्वासन दिया। इस समझौते के माध्यम से किसानों को उनकी समस्याओं का समाधान मिला।
  2. खेड़ा समझौता (1918) :
    खेड़ा सत्याग्रह के दौरान, किसानों ने करों की माफी की मांग की। इस समझौते में सरकार ने सूखे से प्रभावित किसानों को राहत देने का आश्वासन दिया और करों में छूट दी।
  3.   गांधीइरविन समझौता (1931) :
    यह समझौता भारत छोड़ो आंदोलन के समय हुआ। इसके तहत सरकार ने कुछ राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का वादा किया और गांधी जी ने सिविल अवज्ञा आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया।
  4. गोलमेज सम्मेलन (1930-1932) :
    यह सम्मेलन भारतीय राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया गया। हालांकि इसमें कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया, लेकिन यह भारतीय राजनीति में विभिन्न विचारधाराओं के बीच संवाद का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
  5. लंदन गोलमेज सम्मेलन (1931) :
    इस सम्मेलन में गांधी जी ने भारतीय प्रतिनिधित्व के मुद्दों को उठाया, लेकिन इसके परिणामस्वरूप कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया।
  6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942) :
    इस आंदोलन के बाद, स्वतंत्रता की दिशा में कई वार्ताएं हुईं, जो अंततः भारत की स्वतंत्रता की ओर ले गईं।

इन समझौतों और वार्ताओं ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को महत्वपूर्ण दिशा दी और गांधी जी के नेतृत्व में जनता की आकांक्षाओं को प्रभावित किया।

 

महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई महत्वपूर्ण मांगें उठाईं, जो देश की स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय के लिए थीं। यहां कुछ प्रमुख मांगें हैं:

 

  1. स्वराज की मांग:

गांधी जी ने भारतीयों के लिए पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) की मांग की। उनका मानना था कि भारत को अपने प्रशासन और शासन में पूर्ण स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।

 

  1. नमक कानून का विरोध:

गांधी जी ने नमक कानून के खिलाफ विद्रोह किया, जिसमें उन्होंने नमक बनाने के लिए समुद्र तट पर मार्च किया। यह आंदोलन भारत के संसाधनों पर अंग्रेजों के नियंत्रण के खिलाफ था।

 

  1. आर्थिक न्याय:

गांधी जी ने भारतीय किसानों और श्रमिकों के लिए बेहतर आर्थिक परिस्थितियों की मांग की। उन्होंने भूख और गरीबी मिटाने के लिए विभिन्न उपायों का प्रस्ताव दिया।

 

  1. जातिवाद का उन्मूलन: उन्होंने समाज में फैले जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई और सभी मानवों के लिए समानता की मांग की। उन्होंने हरिजन शब्द का उपयोग करके सामाजिक समरसता की दिशा में काम किया।

 

  1. स्वदेशी आंदोलन:

गांधी जी ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा दिया और ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार की मांग की। उन्होंने खादी को प्रोत्साहित किया।

 

  1. सामाजिक सुधार:

गांधी जी ने महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग की। उन्होंने समाज में सुधार के लिए कई कार्यक्रम चलाए।

 

  1. गांधीइरविन समझौता (1931):

इस समझौते में उन्होंने राजनीतिक बंदियों की रिहाई और सिविल अवज्ञा आंदोलन को समाप्त करने की मांग की।

 

इन मांगों ने गांधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी और भारतीय समाज में गहरी परिवर्तन लाने में मदद की। उनका दृष्टिकोण हमेशा अहिंसा, सत्य, और समर्पण पर आधारित था।

 

 

महात्मा गांधी को उनके जीवन और कार्यों के लिए कई उपाधियाँ दी गईं, जिनमें से प्रमुख हैं:

  1. महात्मा : यह उपाधि “महान आत्मा” के अर्थ में दी गई, जो उनके नैतिक बल और मानवता की सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसे रवींद्रनाथ ठाकुर ने उन्हें दिया था।
  2. 2. बापू : यह शब्द “पिता” के अर्थ में प्रयोग किया जाता है। भारतीय जनता ने उन्हें प्यार से “बापू” कहा, जो उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा को दर्शाता है।
  3. राष्ट्रपिता : गांधी जी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके अद्वितीय योगदान के लिए यह उपाधि दी गई। यह उन्हें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का सबसे बड़ा नेता मानती है।
  4. सत्याग्रही : उन्हें इस उपाधि से भी सम्मानित किया गया, जो उनके सत्य के प्रति अडिगता और अहिंसा के सिद्धांत का प्रतीक है।

इन उपाधियों ने गांधी जी के व्यक्तित्व और उनके कार्यों के प्रति सम्मान को दर्शाया। उनका जीवन और विचारधारा आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

 

 

महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई। उन्हें नई दिल्ली में नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी। यह घटना उस समय हुई जब गांधी जी अपनी प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए जा रहे थे।

 

 

गांधी जी की हत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया और उनके अनुयायियों में गहरा शोक फैल गया। उनकी हत्या के बाद, भारत ने न केवल एक महान नेता को खोया, बल्कि अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों का भी एक बड़ा ध्वजवाहक खो दिया।

 

उनकी अंत्येष्टि में लाखों लोगों ने भाग लिया, और उनका योगदान आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। उनकी मृत्यु के बाद, भारत सरकार ने 31 जनवरी को एक राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया। गांधी जी का जीवन और विचार आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

 

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