रेशम कीटों का पालन/सेरीकल्चर (Sericulture) और प्रबंधनका विज्ञान और कला है, जिसे हिंदी में रेशम कीट पालन कहा जाता है। यह मुख्य रूप से शहतूत के पेड़ (Mulberry) पर आधारित रेशम कीटों (Bombyx mori) के पालन और उनसे रेशम के उत्पादन पर केंद्रित है। सेरीकल्चर में निम्नलिखित प्रमुख तत्व शामिल होते हैं:
- शहतूत की खेती: शहतूत के पेड़ रेशम कीटों का मुख्य आहार होते हैं। शहतूत की उच्च गुणवत्ता वाली पत्तियों का उत्पादन रेशम कीटों की अच्छी वृद्धि के लिए आवश्यक है।
- रेशम कीटों का पालन: रेशम कीटों के अंडों का चयन, उन्हें उचित तापमान और आर्द्रता में रखना, और उनसे उगाए गए कीटों की देखभाल करना।
- कोकून उत्पादन: रेशम कीटों द्वारा निर्मित कोकून (Cocoon) का संग्रहण। कोकून से रेशम का धागा प्राप्त होता है। कोकून क्या हैं? – Read More
4. कोकून से रेशम निकालना: कोकून से रेशम का धागा निकालने की प्रक्रिया जिसे रीलिंग (Reeling) कहते हैं। इसमें कोकून को गर्म पानी में डुबोकर रेशम के धागे को अलग किया जाता है।
5. रेशम धागे की गुणवत्ता जांच: रेशम के धागे की मजबूती, चमक, और मोटाई की जांच करना ताकि उच्च गुणवत्ता का रेशम प्राप्त हो सके।
6. विपणन और बिक्री: तैयार रेशम धागे और अन्य रेशम उत्पादों का विपणन और बिक्री।
7. रोग और कीट प्रबंधन: रेशम कीटों में विभिन्न प्रकार के रोग और कीट हो सकते हैं, जिनका नियंत्रण और प्रबंधन आवश्यक है।
सेरीकल्चर न केवल रेशम उत्पादन का महत्वपूर्ण स्रोत है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां शहतूत की खेती संभव है। यह कृषि के साथ एकीकृत होकर किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करता है।