Saturday, July 27, 2024
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story about Shah Jahan/शाहजहाँ की जीवनी – learnindia24hours

                                        


       शाहजहाँ

जन्म:-5 जनवरी 1592 लाहौर पाकिस्तान

मृत्यु:-22 जनवरी 1666 आगरा

पिता :जहांगीर

माता :- जगत गोसाईं (बिलकीस मकानी)

पत्नी :- कन्दाहरी बेग़म, अकबराबादी महल, मुमताज महल, हसीना बेगम, मुति बेगम, कुदसियाँ बेगम, फतेहपुरी महल, सरहिंदी बेगम

बच्चे :- पुरहुनार बेगम, जहांआरा बेगम, दारा शिकोह, शाह शुजा, रोशनारा बेगम, औरंग़ज़ेब, मुराद बख्श, गौहरा बेगम

शासन काल:- 19 जनवरी 1627 से 31 जुलाई 1658

 

शाहजहां का पूरा
नाम
अल् आजाद अबुल मुजफ्फर शाहब उद-दीन
मोहम्मद खुर्रम
है ये पांचवे मुग़ल
शहंशाह
थे। इनका नाम केवल मुगल बादशाह के तौर पर ही नहीं बल्कि एक आशिक के भी रूप में जाना जाता है। जिसने अपनी बेग़म मुमताज़  के
लिये विश्व की सबसे ख़ूबसूरत इमारत ताज महल बनावाया।
सम्राट जहाँगीर के मौत के बाद, छोटी उम्र में ही उन्हें मुगल
सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में चुन लिया गया था। 1627
में अपने पिता की मृत्यु
होने के बाद वह गद्दी पर बैठे। उनके शासनकाल को
मुग़ल शासन का स्वर्ण युग कहा गया है ।

शाहजहां (ख़ुर्रम) जहाँगीर का छोटा
पुत्र था, जो छल−बल से अपने पिता का उत्तराधिकारी हुआ था। 1627 ई. में जहाँगीर की
मृत्यु के उपरान्त शाहजहाँ ने अपने ससुर आसफ़ ख़ाँ
को यह निर्देश दिया, कि वह शाही परिवार के उन समस्त लोगों को समाप्त कर दें, जो
राज सिंहासन के दावेदार हैं। जहाँगीर की मृत्यु के बाद शाहजहाँ दक्षिण में था। अतः
उसके ससुर आसफ़ ख़ाँ ने शाहजहाँ के आने तक ख़ुसरों के लड़के दाबर बख़्श को गद्दी
पर बैठाया। शाहजहाँ के वापस आने पर दाबर बख़्श का क़त्ल कर दिया गया। इस प्रकार
दाबर बख़्श को बलि का बकरा कहा जाता है। आसफ़ ख़ाँ ने शहरयार, दाबर बख़्श, गुरुसस्प
,   होशंकर 
आदि का क़त्ल कर दिया और 24 फ़रवरी, 1628 ई. को
शाहजहाँ का राज्याभिषेक आगरा
में ‘ शाहजहाँ ने सन् 1648 में आगरा की बजाय दिल्ली को राजधानी बनाया। तख्त-ए-ताऊस शाहजहाँ
के बैठने का राजसिंहासन था ।

 

शाहजहां एवं मुमताज:-

612 ई. में ख़ुर्रम का विवाह आसफ़
ख़ाँ की पुत्री आरज़ुमन्द बानों बेगम  ( मुमताज़ महल) से हुआ, जिसे शाहजहाँ ने ‘मलिका-ए-जमानी’ की उपाधि प्रदान की। 38-39 बरस की उम्र
तक मुमताज तकरीबन हर साल गर्भवती रहीं. शाहजहांनामा
में मुमताज के बच्चों का ज़िक्र है. इसके मुताबिक-

 

     1. मार्च 1613: शहजादी हुरल-अ-निसा

2. अप्रैल 1614: शहजादी जहांआरा

3. मार्च 1615: दारा शिकोह

4. जुलाई 1616: शाह शूजा

5. सितंबर 1617: शहजादी रोशनआरा

6. नवंबर 1618: औरंगजेब

7. दिसंबर 1619: बच्चा उम्मैद बख्श

8. जून 1621: सुरैया बानो

9. 1622: शहजादा, जो शायद होते ही मर
गया

10. सितंबर 1624: मुराद बख्श

11. नवंबर 1626: लुफ्त्ल्लाह

12. मई 1628: दौलत अफ्जा

13. अप्रैल 1630: हुसैनआरा

14. जून 1631: गौहरआरा

14 में से छह बच्चे
मर गए और 1631 ई. में प्रसव पीड़ा के कारण मुमताज बेगम मृत्यु
हो गई। आगरा में उसके शव को दफ़ना कर उसकी याद में संसार प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण किया गया।

धार्मिक नीति

उसमें इस्लाम धर्म के प्रति कट्टरता
और कुछ हद तक धर्मान्धता थी। वह मुसलमानों में सुन्नियों के प्रति पक्षपाती और
शियाओं के लिए अनुदार था। हिन्दू जनता के प्रति सहिष्णुता एवं उदारता नहीं थी।
शाहजहाँ ने खुले आम हिन्दू धर्म के प्रति विरोध भाव प्रकट नहीं किया,मगर वह कट्टर
था ।

शाहजहाँ 8 वर्ष तक आगरा के
क़िले के शाहबुर्ज में क़ैद
रहा। उसका अंतिम समय बड़े दु:ख और
मानसिक क्लेश में बीता था। उस समय उसकी पुत्री जहाँआरा उसकी सेवा के लिए साथ रही
थी। शाहजहाँ ने उन वर्षों को अपने वैभवपूर्ण जीवन का स्मरण करते और ताजमहल को
अश्रुपूरित नेत्रों से देखते हुए बिताये थे। अंत में जनवरी, सन् 1666 में बीमारी के कारण उसका देहांत हो गया। उस समय
उसकी आयु 74 वर्ष की थी।

 



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