Saturday, July 27, 2024
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#राष्ट्रसंघ क्या है? एवं उसके कार्य की विवेचना कीजिए।#part-1 What is League of Nation -learnindia24hours

                                                             Part -1

Q. राष्ट्रसंघ क्या है? एवं उसके कार्य की विवेचना कीजिए। 

ANS:-  स्थाई शांति की कल्पना हर युग में होती रही है। 19वीं शताब्दी में भी या कल्पना मीठी नहीं कॉन्सर्ट ऑफ़ यूरोप और पवित्र संघ की स्थाई शांति के लिए बनाए गए थे। 1916 ईस्वी में राष्ट्रपति विल्सन ने पहली बार राष्ट्रीय के एक संघ(A Concert of Nations) की चर्चा की। 1917 ईस्वी में तो अपने पंच न्यायालय (Court of Arbitration) की  बात कही।  प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ और जिसके पाश्चात्य सभी को एक एक संगठन बनाने की सुझी  ताकि विश्व में शांति कायम हो सके। शांति की आवश्यकता ने हीं राष्ट्र संघ को जन्म दिया। प्रारंभ में इस संघ की सदस्यता वर्साय की  संधि पर हस्ताक्षर करने वाले राष्ट्रो तक ही सीमित थी। शुरू में सदस्य 26 से कुछ दिनों में यह संख्या 60 पहुंच गई। संयुक्त राज्य अमेरिका जिसने इस संघ के निर्माण और जन्म में सबसे अधिक महत्व भूमिका निभाई थी वहीं इसका सदस्य नहीं बना। विल्सन सदस्य बनना चाहते थे, किंतु सीनेट में उसके विरोधी बहुमत में थे, इसलिए वे संघ के सदस्य नहीं बन सके।


राष्ट्र संघ के उद्देश्य :—

1. युद्ध बंद करना। 
2 . शांति स्थापना करना 
3. 1919 से 1920 ईस्वी शांति समितियों को लागू करना।
4. अंतरराष्ट्रीय सहयोग ओं को बढ़ाना।

राष्ट्रसंघ एक नैतिक संघ था। इसका मानवीय और सामाजिक मूल्य अधिक था। संघ की धाराओं को संविधान का मलेवर नहीं दिया गया। 
धारा 10में वर्णित थे की कोई देश एक -दूसरे की राजनितिक स्वंतत्र के खिलाफ आक्रमण नहीं क्र सकता है।  धारा 11  के अनुसार शान्ति ओर सुरक्षा का उपाय करना था।  धारा 12 के अनुसार  हर झगड़े को सुलझाने के लिए कौंसिल और एसेंबली के पास भेजना था।  इस प्रतिवेदन के तीन महीने के भीतर लड़ाई नहीं करनी थी। जो सदस्य  गैर – सदस्य देश आक्रमण की पहल करेगा या कवनेणड की अवहेलना करेगा उसके साथ लीग के सदस्यों को चाहिए की उससे सारे  व्यापारिकऔर वित्तीय सम्बन्ध समाप्त कर ले।  संघ की कौंसिल को यह तय करना था की कवानेन्ट  की रक्षा के लिए सदस्य राष्ट्रों  को कितनी सेना और कितने हथियार का आयोग करना था। 

गैरकानूनी युद्ध को रोकने के लिए  संघ के पास अपनी सेना नहीं थी।  यह सदस्य देशों  की नैतिक जिम्मेदारी थी की मदद देकर युद्ध बंद करा दें।    
राष्ट्रसंघ के पीछे प्रथम महायुद्ध के कारणों  का कटु अनुभव था।  गुप्त सदियों  के द्वारा कई  देश आपस में मिलकर समझौता क्र लेते थे और शांति के लिए खतरा पैदा क्र देते थे।  यह तय हुआ की संघ ऐसी गप्त सदियों  को नहीं होने देगा।  हर संधियों को प्रकाशित करना निस्चय किया गया।  राष्ट्रसंघ के समझौते के विरुद्ध जिसने भी संधि पहले क्र ली है उसे रद्द  करने को कहा गया। वर्साय की संधि को लागु करने में संघ को मदद देनी थी।  सार  का प्रशासन देखना, डाइजिंग शहर का शासन देखना और अल्पसंख्यकों के हितो की देख भय करना और तुर्की के जिन साम्राज्य क्षेत्रों पर संरक्षण शासन लागू  था उसकी देखभाल करना उसके कार्य थे। 
इन कार्यो के साथ मानीवय कार्यो को भी देखना था, जैसे- औरतों – बच्चो  का क्रय – विक्रय रोकना ; अफीम और मादक द्रव्यों के सेवन को रोकना; पूंजी और श्रमिक के संबन्ध  को सुधारना इत्यादि। 
राष्ट्रसंघ के अवय

1)व्यवस्थापिका (Assembly )
2)सभा परिषद   (Council)
3)स्थायी अंतराष्ट्रीय  न्यायालय (Permanent International Court of Justice)

4)सचिवालय (Secretariat)

5)अंतराष्ट्रीय श्रमिक संघ (I.L.O.)

अंतराष्ट्रीय श्रमिक संघ (I.L.O.)

 1. सभा :-  राष्ट्र संघ के प्रत्येक सदस्य को सभा की सदस्यता प्राप्त थी। कम से कम एक और अधिक से अधिक 3 सदस्य इसमें सदस्य देश भेजते थे, किंतु वोट एक ही माना जाता था। सभा का अधिवेशन स्विट्जरलैंड के जेनेवा  नगर में होता था। कार्यक्रम फ्रेंच या अंग्रेजी भाषा में होता था। वर्ष में कम से कम एक बार अधिवेशन होता था। यदि एक भी सदस्य प्रस्ताव का विरोध कर देता तो यह  पास नहीं होता था। दो तिहाई बहुमत से नए सदस्य  लिए जा सकते थे।  
 यह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सदस्य को चुनौती थी। महामंत्री की नियुक्ति की स्वीकृति भी इसी के द्वारा होती थी।

2. परिषद:-  सदस्य दो प्रकार के होते थे। 1  स्थाई एवं  2 अस्थाई जैसे इंग्लैंड, जापान, इटली और फ्रांस  ये  चार देश स्थाई सदस्य थे। संघ के बाकि सदस्य देशों के प्रतिनिधि को  परिषद के लिए चुनते थे। यह अस्थाई सदस्य कहलाते थे। जर्मनी जब परिषद का सदस्य बना तो संख्या 10 हो गई। परिषद कार्यकरणी  का कार्य करती थी। इसका अधिवेशन वर्ष में चार बार अवश्य होता था।

3. न्यायालय:-  अंतरराष्ट्रीय झगड़ों  का निपटारा और शांति की स्थापना करना इसका उद्देश्य था। हग  में यह  न्यायालय स्थापित किया गया। 11 न्यायाधीश और 4  उपन्यायाधीश  इसमें होते थे। बाद में न्यायाधीशों की संख्या 15 कर दी गई।  अवधि 9 वर्ष की होती थी।  इसका निर्णय अंतिम माना जाता था। परिषद या व्यवस्थापिका सभा चाहते तो इसमें परामर्श ले सकती थी। अंतरराष्ट्रीय संविधान की व्याख्या करना, न्याय करना अंतरराष्ट्रीय संधियों पर विचार करना और क्षतिपूर्ति के कर्तव्य पर विचार करना इसके कार्य क्षेत्र में थे।

4. सचिवालय जेनेवा में था। सेक्रेटरी जनरल का चुनाव परिषद करती थी और व्यवस्थापिका सभा की स्वीकृति भी ली जाती थी या 12 विभागों में विभक्त था। प्रत्येक विभाग का एक सेक्रेटरी  होता था। इसके अलावा अनेक देशों के व्यक्ति कर्मचारी होते थे।

5. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन:- या संगठन श्रमिकों की स्थिति सुधारने के लिए बनाई गई थी और इसका संगठन किया गया था।

i)अन्तराष्ट्री श्रमिक  संगठन के अवयव 
ii)सामान्य श्रमिक  सभा 
iii)शर्कीक परिषद 


अंतर्राष्ट्रीय श्रम  कार्यालय 

1.  सामान्य श्रमिक सभा:-  प्रत्येक सदस्य देश के 4 प्रतिनिधि आते थे। दो राज्य की ओर से 1  पूंजीपति की ओर से और 1  श्रमिक का प्रतिनिधि होता था। कोई निर्देश दो तिहाई बहुमत से होता था।

2. परिषद:-  इसमें 24 सदस्य होते थे। 12 विभिन्न राज्यों के 6  पूंजीपति के और 6 श्रमिक के प्रतिनिधि होते थे। प्रतिवर्ष इसकी चार  बैठक होती थी।

3. श्रम कार्यालय:-  35 विशेषज्ञों की समिति या समूह के संचालक का निर्वाचन परिषद करती थी। श्रम संबंधित सूचना एकत्र करना चरमपंथियों को मानो मानो ना मनवा ना और श्रमिकों के कल्याण कार्यों का निरीक्षण करना इसका कार्य था।

4. सफलता:–  स्थापना के समय यह संभावना थी कि भविष्य में युद्ध नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय के आधार पर सहयोग, सद्भावना और संगठन का पथ- प्रदर्शन इसमें किया। इसी की नीव पर  संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।

5. अंतरराष्ट्रीय झगड़ों को सुलझाना:-
जब दो राष्ट्रों के बीच झगड़ा हो तो संघीय परिषद एक निष्पक्ष पंचायत को मामला सौंप दें। निर्णय को जो देश नहीं मानता था, उससे और देशों को व्यापारियों एवं आर्थिक संबंध तोड़ने को कहा जाता था। सैनिक कार्यवाही भी की जाती थी।

जैसे :–  स्वीडन और फिनलैंड:- का झगड़ा दोनों देश आलैंड विप समूह पर अपना अपना हक जताते थे। 1920 ईस्वी में झगड़ा हो गया। परिषद ने द्वीप पर सीलैंड का अधिकार घोषित कर दिया।

पोलैंड और जर्मनी :- दोनों अपर सैईलेसिया को लेकर झगड़ पड़े राष्ट्र संघ की परिषद ने दोनों के लिए सीमा निर्धारित कर दी।

बुल्गेरिया और यूनान:- सीमा को लेकर दोनों देश लड़ पड़े। राष्ट्र संघ की परिषद ने दोनों की सीमा निर्धारित कर दी।

पेरू और कोलंबिया:-  का झगड़ा पैरों ने पड़ोसी राज्य कोलंबिया पर अधिकार जमा लिया। कोलंबिया ने राष्ट्रसंघ की शरण ली। परिषद ने बलात अधिकृत नगर को वापस दिला दिया।


 इस कथन से यह सिद्ध होता है कि राष्ट्र संघ अपने मुख का विश्व शांति की स्थापना में पूर्ण सफलता नहीं रहा। किंतु लोक हितकारी तथा समाज का सामाजिक कार्यों में उसे पूर्ण सफलता मिली।


सामाजिक लोक कल्याणकारी कार्य अनेक अंतरराष्ट्रीय समितियों द्वारा आवागमन के साधनों में सुधार किया गया। महामारी और भीषण संक्रमण रोगों को रोकने स्त्री के क्रय- विक्रय को समाप्त करने तथा नशीली चीजें के व्यवहार को कम करने अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने का भी काम किया गया। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ मजदूर के संगठन के लिए रामबाण सिद्ध हुआ। संसार के प्राया अनेक देश में इसके द्वारा बताए गए नियमों का पालन किया। प्रतिदिन 8 घंटे से अधिक काम नहीं करने सप्ताह में 42 घंटे से अधिक काम नहीं करने और 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखाने में काम नहीं करने जैसे नियम बनाएं। स्त्री के लिए विशेष छूट की व्यवस्था की गई। इस प्रकार राष्ट्र संघ ने बहोत  कार्यों में सफलता प्राप्त परन्तु  कुछ कार्य में उसने विश्व शांति स्थापित नहीं हो सकी। जिसके कारण हमें द्बितीय विश्वा युद्ध का मुँह देखना पड़ा और यह संघ की स्थपना व्यर्थ हो गई। 


Part-1

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For Detail chapter you can click below link  :-

https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html   
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महलवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/ What is Mahalwari and Ryotwari system?————-

https://www.learnindia24hours.com/2020/09/what-is-mahalwari-and-ryotwari-system.html

रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है ?/What is Rayotwari System? ————————

https://www.learnindia24hours.com/2020/10/what-is-rayotwari-systemfor-exam.html 



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