Q. पोपुलिस्ट आंदोलन क्या है एवंम पॉपुलिस्ट आंदोलन पे निबंध ।
ANS: मुख्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि होने के कारण कृषि उत्पादित वस्तुओं का भाव गिर गया। कीमतें गिरने से किसान की स्थिति बिगड़ रही थी। वह कर्ज में डूब रहे थे। सरकार की कुछ आर्थिक नीति उन्हें अपने पति को दिख रही थी। पुलिस आंदोलन कृषि को द्वारा अपने हित की रक्षा के लिए चलाया गया आंदोलन था। अमेरिका राजनीतिक में भी अनेक विरोधी दलों का पर्दुभाव हुआ जिनका नेतृत्व किसानों ने किया। फलस्वरूप देश में एक व्यापक आंदोलन शुरू हुआ तथा 1896 ईस्वी के चुनाव में असन्तुष्ट वर्ग ने जमकर प्रशासन का विरोध किया।
असंतोष के कारण:-
1. प्राकृतिक प्रकोप:- आसमय सूखे तथा अन्य टिड्डी दलों के उतरने से फलता पूर्णता: नष्ट हो जाती थी। सूखे का प्रकोप ज्यादातर मिसीसिपी वेस्ट की दूसरी और अधिक पड़ता था। कई बार तो किसानों को पलायन करना पड़ता था। डिड्डी दलों के प्रकोप से प्रेरी के फार्म पुरे के पुरे खत्म हो जाते थे। कटाव दक्षिण के हरे- भरे क्षेत्र की स्थिति भयावह कर देते थे। इस प्राकृतिक प्रकोपों से किसान बिलकुल विवश हो जाते थे।
2 .कीमतों में कमी:- खेती में उत्पन्न होनेवाले फसलो की कीमतें लगातार कम होती जा रही थी। परिणामतः किसानों को अधिक उत्पादन के बावजूद भी कम कीमत मिल रही थी। गेंहू की कीमत 106.3 सेण्ड प्रति बुशल 63.3 सेण्ड प्रति बुशल रह गयी थी। मक्का तथा कपास के मूल में भी कमी आ गई थी। कीमतों में कमी का कारण मुख्यता मांग से ज्यादा उत्पादन था। इसे निर्यात करना ही एकमात्र उपाय था। निर्यात में उन्हें रूस, कनाडा, अर्जेंटीना तथा आस्ट्रेलिया के साथ स्पर्धा करनी पड़ी थी। इन देशों का भी उत्पादन 1880 – 1900 ईसवी तक काफी बढ़ चुका था। अतः अनाज की कीमतें इतनी घट चुकी थी कि उत्पादन का व्यय भी पूरा नहीं हो पा रहा था। इस समस्या का समाधान अंततः एफ. डी रूजवेल्ट ने ‘न्यूडील’ द्वारा निकाला।
3. कारों की अधिकता :- प्ररम्भिक कर प्रणाली व्यक्तिगत संपत्ति जैसे – जमीन, पशुओं वगैरह पर लगायी जाती थी पर कपेरिशनो के उदय से नए प्रकार की निजी सम्पत्ति का उदय शेयर तथा बांड के न तो सरलतापूर्वक पता लफया जा कारों सरलता से ऐडा करते थे। राजनीतिज्ञों पर वेध तथ अवैध तथा अवैध तरीको से दबाव डाला जाता ता की वे इन करो में सरकार से छूट दिलवाये। परिणामतः मध्यवर्ग किसानों की जमींन पर भरी था इसके अतिरिक्त किसान अपने क्र का भर उपभोक्ताओं औद्योगिक कापोरेशन अपने उत्पादन पर अतिरिक्त कर लगा देते थे।
4. धुलाई का भारी खर्च :- कम कीमर और महंगी ढुलाई ने किसानो को हिला रख दिया था। रेलवे कर्मचारियों के असहयोग ने मुश्किलों को और बढ़ा था।
1) वे पश्चिम के किसानो पूर्व में ले जाने में बहोत अधिक भाड़ा लेते थे।
2) भण्डार गृह,रेल कर्मचारियों के हाथ में थे, बहुत अधिक थे, वे पक्षपात भी बहुत करते थे। जैसे पसीचिम किसानों से पूर्व की किसानों अपेक्षा ज्यादा भाड़ा लिया जाता था।
1887 ईस्वी में पेनसिलवेनिया रेल रीद पर शिकागो से पूर्व की और प्रति टन प्रति मिल ढुलाई भाड़ा 95 सेन्ट था, वेलिंगटन रेल रोड पर शिकागों से मिसौरी रिवर तक 132 सेण्ड था, मिसौरी से पश्चिम को और वेलिंगटन रेल रोड पर यह किराया 4.80 डॉलर था।
रेलवे कंपनियों का तर्क था की कम जनसँख्या वाली जगहों के लिए अधिक भाड़ा था।
5. कर्ज का प्रभाव :- व्यपारियों तेजी की अवधि में किसानों ने भुमि तथा मशीन खरीदने के लिए 15 से 20% ब्याज की डॉ पर बड़ी राशियाँ ऋण के रूप में ली थीं परन्तु कम आमदनी की वजह से उसे चुकाना संभव नहीं हो रहा था। ऋण की रकम बढ़ जाने पर किसानों को अपनी भूमि तथा पशु गिरवी रखनी पड़ी। 1890 ईस्वी में कुल फर्मों में से 27% गिरवी पड़े थे। कहा जाता है 1890 ईस्वी में नेब्रास्का, साउथ ,डकोटा, नार्थ डकोटा, मिनिसोटा तथा कन्सास में हर परिवार से कुछ न कुछ गिरवी पड़ा था। ये कर्ज धीरे – धीरे बढ़ते जा रहे थे तथा किसानों को अपने शिकंजे में कसते जा रहे थे।
6. सरकारी सहायता पाने में असमर्थ :- 1890 ईस्वी में किसानों की संख्या कुल जनसँख्या की आधी थी फिर भी तत्कालीन फेडरल विधानमण्डल या राज्य के विधानमण्डलों में उनका कोई प्रतिनिधि नहीं था। अतः उनके हितों पर कोई ध्यान नहीं था। इसमें प्राय: बैंकरों तथा रेल रोड कम्पनी के प्रतिनिधि थे जो बैंकरों , साहूकारों तथा व्यपारियो को लाभ न पहुँचा सका। ‘सरक्षणात्मक टैरिफ कानून’ से भी व्यपारियों को लाभ हुआ। किसानों को हर चीज की अधिक कीमत देनी पड़ती थीं।
रेलवे कंपनियों का तर्क था की कम जनसँख्या वाली जगहों के लिए अधिक भाड़ा था।
5. कर्ज का प्रभाव :- व्यपारियों तेजी की अवधि में किसानों ने भुमि तथा मशीन खरीदने के लिए 15 से 20% ब्याज की डॉ पर बड़ी राशियाँ ऋण के रूप में ली थीं परन्तु कम आमदनी की वजह से उसे चुकाना संभव नहीं हो रहा था। ऋण की रकम बढ़ जाने पर किसानों को अपनी भूमि तथा पशु गिरवी रखनी पड़ी। 1890 ईस्वी में कुल फर्मों में से 27% गिरवी पड़े थे। कहा जाता है 1890 ईस्वी में नेब्रास्का, साउथ ,डकोटा, नार्थ डकोटा, मिनिसोटा तथा कन्सास में हर परिवार से कुछ न कुछ गिरवी पड़ा था। ये कर्ज धीरे – धीरे बढ़ते जा रहे थे तथा किसानों को अपने शिकंजे में कसते जा रहे थे।
1900 ईस्वी तक जितनी भूमि किसानों को मकान बनाने के लिए मिल सकी उससे अधिक भूमि रेल रोड कंपनी द्वारा बेची जा चुकी थी।
इन सब कारणों से किसानों में भारी असंतोष व्याप्त था। उन्होंने अपनी स्थिति को सुधारने के लिए स्वयं को संगठित किया तथा आंदोलन की शुरुआत की।
1867 ईसवी में ओलिवर कैली नामक एक क्लर्क ने किसानों का संगठन बनाया जिसे ‘ग्रेज’ के नाम से जाना जाता है। ‘ग्रेज’ का उद्देश्य सामाजिक सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक था। समय के अंतराल में में ग्रेजर आंदोलन की उपयोगिता जाती रही।