झारखण्ड राज्य का नया राजचिन्ह 14 अगस्त 2020 को रांची के आर्यभट्ट सभागार में अनावरण किया गया, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और प्राकृतिक संसाधनों को प्रकट करता है। इस अनावरण समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री, महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारी और विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। आइए, इस राजचिन्ह के अधिक विस्तृत विवरण और उसके प्रतीकात्मक महत्व पर गौर करते हैं।
विस्तृत विवरण:
- केंद्रीय तत्व:
- अशोक चक्र: नए राजचिन्ह के केंद्र में अशोक चक्र स्थित है, जो भारतीयता और राष्ट्रीयता का प्रतीक है। यह चक्र भारत के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाता है।
- सत्यमेव जयते: अशोक चक्र के नीचे देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है ‘सत्य की ही जीत होती है’। यह भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।
- प्राकृतिक और सांस्कृतिक तत्व:
- हाथी: हाथी झारखण्ड की समृद्ध वन्यजीवन और जंगलों का प्रतीक है। यह राज्य की शक्ति, समृद्धि और शांति का प्रतिनिधित्व करता है। हाथी राज्य का राजकीय पशु भी है।
- पत्तियाँ और बेलें: राजचिन्ह के चारों ओर पत्तियों और बेलों की डिज़ाइन झारखण्ड की हरियाली और जैव विविधता को दर्शाती है। यह राज्य की प्राकृतिक संपदा और पर्यावरणीय समृद्धि का प्रतीक है।
- टेराकोटा डिज़ाइन: टेराकोटा डिज़ाइन का उपयोग राज्य की आदिवासी कला और संस्कृति को सम्मानित करने के लिए किया गया है। यह राज्य की पारंपरिक कला और शिल्प कौशल को प्रकट करता है।
- रंग संयोजन:
- हरा रंग: हरा रंग राज्य की वनस्पति और हरियाली का प्रतीक है, जो राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरणीय संतुलन को दर्शाता है।
- सफेद रंग: सफेद रंग शांति और समृद्धि का प्रतीक है, जो राज्य की समृद्धि और विकास की दिशा में अग्रसर होने का संदेश देता है।
- लाल रंग: लाल रंग राज्य के क्रांतिकारी इतिहास और बलिदान का प्रतीक है। यह राज्य की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और संघर्ष की याद दिलाता है।
प्रतीकात्मक महत्व:
- सांस्कृतिक पहचान: नए राजचिन्ह में राज्य की स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और आदिवासी धरोहर को प्रमुखता दी गई है। इससे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सम्मानित करने का संदेश मिलता है।
- पर्यावरण संरक्षण: प्राकृतिक तत्वों जैसे पत्तियाँ, बेलें और हाथी के माध्यम से यह राजचिन्ह राज्य के पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता को संरक्षित करने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- एकता और विकास: नए राजचिन्ह का अनावरण झारखण्ड राज्य की एकता, विकास और समृद्धि के प्रतीक के रूप में सामने आता है। यह राज्य की नई पहचान को स्थापित करता है और राज्यवासियों के बीच गर्व और सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है।
अनावरण समारोह:
14 अगस्त 2020 को हुए इस समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारी उपस्थित थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नया राजचिन्ह झारखण्ड राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक संसाधनों और आदिवासी समुदायों के योगदान को सम्मानित करता है। इस राजचिन्ह के माध्यम से राज्य की समृद्धि, एकता और विकास के प्रति प्रतिबद्धता का संदेश दिया गया।
निष्कर्ष:
झारखण्ड राज्य का नया राजचिन्ह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक संसाधनों और आदिवासी समुदायों के योगदान को सम्मानित करने का एक प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है। यह राज्य की एकता, विकास और समृद्धि को दर्शाता है और राज्यवासियों के बीच गर्व और सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है। इस नए राजचिन्ह का अनावरण झारखण्ड राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने राज्य की नई पहचान को स्थापित किया और राज्य की समृद्धि और विकास की दिशा में अग्रसर होने का संदेश दिया।
1971 का बांग्लादेश स्वतंत्रा संग्राम (learnindia24hours.com)
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